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यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कांग्रेस, AIMIM, JDU, DMK ने प्रधानमंत्री मोदी पर वोटबैंक की राजनीतिक करने का आरोप लगाया!

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर पीएम नरेंद्र मोदी के बयान के बाद इसे लेकर बहस शुरू हो गई है.

कांग्रेस, एआईएमआईएम, जेडीयू, डीएमके जैसी पार्टियों ने प्रधानमंत्री मोदी पर वोटबैंक की राजनीतिक करने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीबी, महंगाई, बेरोज़गारी और मणिपुर हिंसा जैसी चीज़ों पर जवाब नहीं देते हैं. उनका बयान इन मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है.

वहीं, कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने पीएम के बयान पर कहा, ”प्रधानमंत्री खुद वोटबैंक की राजनीति कर रहे हैं. अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना था तो 9 साल से उनकी सरकार है, पहले ही कर सकते थे. जैसे ही चुनाव आता है उन्हें ये सब चीज़ें याद आ जाती हैं.”

यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कांग्रेस नेता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य आरिफ़ मसूद ने कहा, ”देश बाबा साहब के बनाए संविधान पर भरोसा करता है, देश उसमें कोई बदलाव नहीं होने देगा.”

जेडीयू ने लगाया वोटबैंक की राजनीति का आरोप

जेडीयू नेता केसी त्यागी ने बीजेपी पर वोटबैंक की राजनीतिक करने का आरोप लगाया. त्यागी ने कहा, ”यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर सभी पार्टियों और स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा होनी चाहिए.”

ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ”नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक़, यूनिफॉर्म सिविल कोड और पसमांदा मुसलमानों पर कुछ टिप्पणी की है. लगता है मोदी जी ओबामा की नसीहत को ठीक से समझ नहीं पाए.”

ओवैसी ने क्या कहा?

एआईएमआईएम के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ”मोदी जी ये बताइए कि क्या आप ”हिन्दू अविभाजित परिवार” (HUF) को ख़त्म करेंगे? इसकी वजह से देश को हर साल 3 हजार 64 करोड़ रुपये का नुक़सान हो रहा है.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भोपाल में एक कार्यक्रम में कहा था कि आज कल यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है.

पीएम ने कहा, “आप मुझे बताइए कि एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक क़ानून हो और दूसरे के लिए दूसरा क़ानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा क्या?”

क्या है समान नागरिक संहिता

शादी, तलाक़, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में भारत में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून हैं.

हालांकि, देश की आज़ादी के बाद से समान नागरिक संहिता या यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (UCC) की मांग चलती रही है. इसके तहत इकलौता क़ानून होगा जिसमें किसी धर्म, लिंग और लैंगिक झुकाव की परवाह नहीं की जाएगी.