यूरोपीय आयोग ने डिजिटल यूरो कानून का मसौदा प्रकाशित किया है. यह करेंसी, वास्तविक यूरो का एक तरह से इलेक्ट्रॉनिक अवतार होगी और उम्मीद है कि यह 2026 की शुरुआत से इस्तेमाल में आ सकती है.
यूरोपीय आयोग ने इस हफ्ते डिजिटल यूरो पर कानून का एक मसौदा तैयार किया है. इस क्षेत्र के लिए इस तरह की करेंसी की योजना लंबे समय से विचाराधीन थी जो कि अब वास्तविकता बनने जा रही है.
28 जून को फाइनेंशियल स्टेबिलिटी, फाइनेंशियल सर्विसेज और कैपिटल मार्केट्स यूनियन के यूरोपीय आयुक्त मेरीड मैकगिनीज ने यूरोपीय देशों की सरकारों और यूरोपीय संसद के सामने डिजिटल यूरो और नगदी यूरो दोनों के लीगल टेंडर स्टेटस के संरक्षण के लिए एक प्रस्ताव रखा.
हालांकि इस बारे में यह आखिरी चरण नहीं है. यूरोपीय यूनियन की सरकारें और यूरोपीय संसद भले ही इस योजना का समर्थन करती हैं लेकिन इस बारे में आखिरी फैसला यूरोपीय सेंट्रल बैंक ईसीबी को लेना है कि डिजिटल यूरो जारी किए जाएंगे या नहीं. ईसीबी का कहना है कि वो इस बारे में अंतिम निर्णय इस साल के अंत तक यानी अक्टूबर के आस-पास ले सकता है.
ईसीबी प्रेसीडेंट क्रिस्टीन लागार्द एक बयान में कहती हैं, “यूरो यूरोपीय एकीकरण का सबसे ठोस प्रतीक है. नागरिक इसे सबसे भरोसेमंद मानते हैं और महत्व देते हैं. हम यूरोपीय संघ की संस्थाओं के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं जिससे ये सुनिश्चित कर सकें कि हमारी यह मुद्रा यानी करेंसी डिजिटल युग के लिए भी उपयुक्त है.”
डिजिटल यूरो है क्या?
यह डिजिटल यूरो, मौजूदा यूरो करेंसी के साथ ही काम करता रहेगा, उसके ऑनलाइन यानी इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम की तरह. मैकगिनीज कहते हैं कि डिजिटल यूरो नगदी का ही एक विकल्प होगा.
यह यूरो का पूरी तरह से डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक रूप होगा और इसे नगदी में नहीं बदला जा सकेगा. डिजिटल यूरो और यूरो से जुड़े ऑनलाइन भुगतान में मुख्य अंतर यह होगा कि डिजिटल यूरो में किए गए भुगतान सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक यानी डिजिटल तरीके से ही किए जा सकेंगे जबकि दूसरे अन्य ऑनलाइन बैंकिंग भुगतान को सैद्धांतिक रूप से नगदी में बदला जा सकता है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी यूरो और डिजिटल यूरो ईसीबी द्वारा समर्थित होंगे. उपयोग करने वाले अपने किसी भी व्यावसायिक बैंक से डिजिटल यूरो खरीद सकेंगे और इसे एक अलग अकाउंट में रख सकेंगे.
यूरोपीय संघ ऐसा क्यों करना चाहता है?
क्रिप्टोकरेंसी और दूसरी थर्ड-पार्टी भुगतान व्यवस्था ने इस बहस को तेज कर दिया है कि केंद्रीय बैंकों को भी अपनी डिजिटल करेंसी उतारनी चाहिए कि नहीं.
फेसबुक ने 2019 में जब घोषणा की थी कि वो अपनी आभासी मुद्रा लाने की योजना बना रहा है, तो इस फैसले ने कुछ यूरोपीय नीतिनिर्धारकों को चिंता में डाल दिया कि ऐसा ना हो कि आगे चलकर यह ईसीबी को कमजोर कर दे.
अक्टूबर 2020 में ईसीबी ने डिजिटल यूरो बनाने के लिए लोगों की राय जानने की शुरुआत की और तब से लेकर जुलाई 2021 तक तमाम डिजाइन के विकल्पों पर काम हो रहा है और यह कोशिश हो रही है कि लोगों की जरूरतों के हिसाब से
डिजिटल यूरो वास्तव में कैसे काम करेगा.
यूरोपीय संघ का कहना है कि इस तरह की करेंसी ‘तेजी से बदलती डिजिटल दुनिया में नागरिकों को धन के सुरक्षित रूपों तक पहुंच बनाने में यूरोसिस्टम के उद्देश्यों में सहयोग कर सकती है.’
ईयू का यह भी कहना है कि डिजिटल यूरो दूसरे डिजिटल भुगतान तरीकों में भी तकनीकी फायदा पहुंचा सकती है जो उससे जुड़े हुए हैं, वो भी बिना किसी जोखिम और अस्थिरता के.
मैकगिनीज ने अप्रैल में यूरोपीय संसद को बताया था, “यह क्रिप्टो-संपत्तियों जैसी मौजूदा निजी डिजिटल करेंसी के वास्तव में बिल्कुल विपरीत है. एक डिजिटल यूरो सुरक्षित, संरक्षित और सुदृढ़ होगा.”
डिजिटल यूरो के बारे में ईयू ने एक जो और कारण दिया है वो यह है कि अब इस इलाके में नगदी का चलन कम हो रहा है. ईसीबी के मुताबिक, हर तरह के लेनदेन में नगदी भुगतान में काफी कमी आई है. साल 2016 में जहां नगद भुगतान का हिस्सा 79 फीसदी था वो 2022 में घटकर 59 फीसदी पर आ गया. उन्हें उम्मीद है कि यह गिरावट आने वाले दिनों में और ज्यादा होगी.
ईयू तथाकथित स्टेबल कॉइन के बढ़ने की ओर भी इशारा करता है जो कि अन्य मुद्राओं से जुड़ी क्रिप्टो-संपत्तियां हैं. मैकगिनीज कहते हैं कि इस क्षेत्र में लोगों को लगता है कि यदि यूरो इस तरह के बदलावों के साथ नहीं आता है तो स्टेबल कॉइंस या दूसरे केंद्रीय बैंकों की डिजिटल करेंसी के बढ़ने और उस जगह को भरने का खतरा बढ़ जाएगा.