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ये इतिहास भी पढ़लें, सिकंदर महान को हराने वाली कठगणराज्य की राजकुमारी कार्विका : सिकंदर पटना भी आया था, जानते हैं आप?

Abhinandan Roshan
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【सिकंदर को हराने वाली कठगणराज्य की राजकुमारी कार्विका】
राजकुमारी कार्विका सिंधु नदी के उत्तर में कठगणराज्य की राजकुमारी थी । राजकुमारी कार्विका बहुत ही कुशल योद्धा थी। रणनीति और दुश्मनों के युद्ध चक्रव्यूह को तोड़ने में पारंगत थी। राजकुमारी कार्विका ने अपने बचपन की सहेलियों के साथ फ़ौज बनाई थी।

जिस उम्र में लड़कियाँ गुड्डे गुड्डी का शादी रचना खेल खेलते थे उस उम्र में कार्विका को शत्रु सेना का दमन कर के देश को मुक्त करवाना,शिकार करना इत्यादि ऐसे खेल खेलना पसंद थे। राजकुमारी धनुर्विद्या के सारे कलाओं में निपुण थी, दोनो हाथो से तलवारबाजी करते मां कालीका प्रतीत होती थीं।

कुछ साल बाद जब भयंकर तबाही मचाते हुए सिकंदर की सेना नारियों के साथ दुष्कर्म करते हुए हर राज्य को लूटते हुए कठगणराज्य की ओर आगे बढ़ रही थी, तब अपनी महिला सेना जिसका नाम राजकुमारी कार्विका ने चंडी सेना रखी थी जो कि ८००० से ८५०० विदुषी नारियों की सेना थी, के साथ युद्ध करने का ठाना।

३२५(इ.पूर्व) में सिकन्दर के अचानक आक्रमण से राज्य को थोडा बहुत नुक्सान हुआ पर राजकुमारी कार्विका पहली योद्धा थी जिन्होंने सिकंदर से युद्ध किया था। सिकन्दर की सेना लगभग १,५०,००० थी और कठगणराज्य की महज आठ हज़ार वीरांगनाओं की सेना थी जिसमें कोई पुरुष नहीं जो कि ऐतिहासिक है।

सिकंदर ने पहले सोचा “सिर्फ नारी की फ़ौज है , मुट्ठीभर सैनिक काफी होंगे” पहले २५००० की सेना का दस्ता भेजा गया उनमे से एक भी ज़िन्दा वापस नहीं आ पाया।राजकुमारी की सेना में ५० से भी कम वीरांगनाएँ घायल हुई थी पर मृत्यु किसी को छु भी नहीं पायी थी।

दूसरी युद्धनीति के अनुसार सिकंदर ने ४०,००० का दूसरा दस्ता भेजा उत्तर पूरब पश्चिम तीनों और से घेराबन्दी बना दिया परंतु राजकुमारी सिकंदर जैसे कायर नहीं थी खुद सैन्यसंचालन कर रही थी उनके निर्देशानुसार सेना ने तीन भागो में बंट कर लड़ाई किया और सिकंदर की सेना पस्त हो गई।

तीसरी और अंतिम ८५,०००० दस्ताँ का मोर्चा लिए खुद सिकंदर आया। नंगी तलवार लिये राजकुमारी कार्विका ने अपनी सेना के साथ सिकंदर को अपनी सेना लेकर सिंध के पार भागने पर मजबूर कर दिया। इतनी भयंकर तवाही से पूरी तरह से डर कर सैन्य के साथ पीछे हटने पर सिकंदर मजबूर हो गया।

सिकंदर की १,५०,००० की सेना में से २५,००० के लगभग सेना शेष बची थी , हार मान कर प्राणों की भीख मांग लिया सिकंदर ने और कठगणराज्य में दोबारा आक्रमण नहीं करने का लिखित संधी पत्र दिया राजकुमारी कार्विका को।

इस महाप्रलयंकारी अंतिम युद्ध में कठगणराज्य के ८,५०० में से २७५० साहसी वीरांगनाओं ने भारत माता को अपना रक्ताभिषेक चढ़ा कर वीरगति को प्राप्त कर लिया। जिसमे से इतिहास के दस्ताबेजों में गरिण्या, मृदुला, सौरायमिनि, जया यह कुछ नाम मिलते हैं।

नमन है ऐसी वीरांगनाओं को 🙏🙏

Praveen Jha -प्रवीण झा
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आज चाय पीते हुए एक अजीब क़िस्सा पढ़ा।
जैक निकोलसन अपने अभिनय के लिए विख्यात हैं। तीन बार ऑस्कर जीत चुके हैं। कई बार नामित हुए। सनद रहे कि एक फ़िल्म में उन्होंने सितार भी बजाया है।
उनकी जीवनी में लिखा है कि उनके पिता जॉन निकोलसन शराबी थे, तो उनकी माँ ने उन्हें घर से निकाल दिया। वह सड़कों पर शराब पीते हुए ही मर गए, और जैक की स्मृति में कभी मुलाक़ात नहीं हुई।

उनकी बहन जून निकोलसन उनसे सत्रह वर्ष बड़ी थी, और वह हॉलीवुड में अभिनय करना चाहती थी। वह घर छोड़ कर हॉलीवुड चली गयी थी, और कुछ छोटे-मोटे रोल भी करने लगी थी। जब जैक कुछ बड़े हुए तो उनकी बहन ने वहीं अपने पास बुला लिया। जैक को भी फ़िल्मी दुनिया में कुछ काम मिलने लगा। उन्हें खुशी इस बात की थी कि उनके घर से कुछ दूर उनके प्रिय अभिनेता मर्लन ब्रांडो रहते थे, जिनकी वह छुप-छुप कर नकल करते थे।

बहरहाल, एक दिन उनकी माँ और उनकी बहन चल बसे। जैक आखिरी वक्त में अपनी बहन के साथ थे जो उन्हें कह रही थी कि तुम फ़िल्मी दुनिया में एक दिन नाम करना। कुछ दिनों बाद जैक को एक गुमनाम चिट्ठी मिली, जिसे पढ़ कर जैक अचंभित हो गए। लिखा था-

“जॉन निकोलसन तुम्हारे पिता नहीं थे। वह शराबी तो तुम्हारा नाना था। तुम जिसे अब तक बड़ी बहन समझते रहे, वही तुम्हारी माँ थी। वह अविवाहित ही गर्भवती हो गयी जो आइरिश कैथॉलिक परिवारों में अच्छा नहीं माना जाता। उसे हॉलीवुड भी जाना था। इसलिए तुम्हारी नानी ने तुम्हें अपना पुत्र बना लिया।”

जैक के पास इस बात की पुष्टि के लिए कोई नहीं था। उसकी बहन और माँ दोनों की मृत्यु हो चुकी थी। जब टाइम मैगज़ीन के पत्रकार उनसे निजी सवाल कर रहे थे कि उनके पिता कौन हैं, जैक ने कहा कि मुझे नहीं मालूम।

जैक उसी वर्ष फ़िल्म ‘One flew over Cuckoo’s nest’ के लिए ऑस्कर जीते।