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ये है चीन का 12 सूत्री ”बीजिंग प्लान”, यूक्रेन के साथ एक साल से जारी युद्ध ख़त्म कर सकता है : रिपोर्ट

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि चीन का 12 सूत्री बीजिंग प्लान यूक्रेन के साथ एक साल से जारी युद्ध ख़त्म कर सकता है.

पुतिन ने ये बात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में कही जो इस समय मॉस्को दौरे पर हैं.

उन्होंने कहा कि ये संभव है, लेकिन इसे अमल में लाने के लिए पश्चिमी मुल्कों और यूक्रेन की रज़ामंदी ज़रूरी है.

बीते मंगलवार शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन के बीच मॉस्को में द्विपक्षीय रिश्तों और यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा हुई है.

चीन का 12 सूत्री बीजिंग प्लान
चीन ने रूस और यूक्रेन के बीच पिछले एक साल से जारी युद्ध को ख़त्म कराने के लिए 12 सूत्री कार्यक्रम तैयार किया है जिसे ‘बीजिंग पीस प्लान’ कहा जा रहा है.

ये प्लान पिछले महीने ही सार्वजनिक हुआ. इस पीस प्लान में स्पष्ट रूप से कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया है. लेकिन ये पीस प्लान राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करने की अपील करता है.

इस पीस प्लान में ये नहीं कहा गया है कि रूसी सैन्य बलों को यूक्रेन से निकल जाना चाहिए. लेकिन यूक्रेन का कहना है कि रूस के साथ किसी भी बातचीत की पहली शर्त उसके सैन्य बलों का यूक्रेनी ज़मीन से हटना है.

अब तक रूस की ओर से इस तरह की शर्त मानने के संकेत नहीं मिले हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सोमवार को कहा है कि रूस के यूक्रेन से हटे बग़ैर संघर्ष विराम की बात करने का मतलब यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को समर्थन देने जैसा है.

क्या बोले शी जिनपिंग और पुतिन
शी जिनपिंग के साथ बैठक ख़त्म होने के बाद साझा प्रेस वार्ता में पुतिन ने कहा, “यूक्रेन में संघर्ष ख़त्म करने के लिए चीनी पीस प्लान के कई प्रावधानों को अमल में लाया जा सकता है, जब भी पश्चिमी देश और यूक्रेन इसके लिए तैयार हों.”

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रूस को अब तक दूसरे पक्ष की ओर से इस मुद्दे पर ऐसी तत्परता नहीं दिखी है.

वहीं, पुतिन के साथ खड़े होकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि उनकी सरकार शांति और संवाद के पक्ष में थी और अब इतिहास गवाह है कि चीन सकारात्मकता के साथ खड़ा था.

चीन को संभावित शांति दूत के रूप में दिखाने के लिए शी जिनपिंग ने एक बार फिर दावा किया कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर चीन का रुख़ निष्पक्षता भरा रहा है.

दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय व्यापार, ऊर्जा और राजनीतिक संबंधों को लेकर भी चर्चा हुई.

पुतिन ने चीन को “रूस का सबसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार” बताते हुए पिछले साल से ज़्यादा व्यापार करने का संकल्प लिया.

इससे पहले शी जिनपिंग ने चीन और रूस को महान पड़ोसी शक्तियां और व्यापक रणनीतिक साझेदार बताया था.

रूस की सरकारी मीडिया के मुताबिक़ –

दोनों नेताओं ने दो साझा दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए हैं जिनमें से एक दस्तावेज़ में आर्थिक सहयोग से जुड़ी योजनाओं को विस्तार से बताया गया है. वहीं, दूसरे दस्तावेज़ में रूस और चीन के बीच साझेदारी को गहरा करने से जुड़ी योजनाओं का ज़िक्र है.
दोनों नेता साइबेरिया में एक पाइपलाइन बनाने पर राज़ी हो गए हैं जिससे रूसी गैस मंगोलिया से होते हुए चीन पहुंचाई जा सके.
दोनों नेता इस बात पर राज़ी हुए हैं कि परमाणु युद्ध कभी भी शुरू नहीं किया जाना चाहिए.
दोनों नेताओं ने नए ऑकस पैक्ट को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कीं. ऑकस पैक्ट ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच हुआ रक्षा समझौता है.
दोनों नेताओं ने एशिया में नेटो की बढ़ती मौजूदगी पर सैन्य और सुरक्षा के जुड़े मुद्दों को लेकर चिंता ज़ाहिर की है

पश्चिमी देशों की चिंता

पश्चिमी देशों में इन दिनों चीन की ओर से रूस को हथियार उपलब्ध कराए जाने से जुड़ी आशंकाएं चिंता का सबब बनी हुई हैं.

ब्रसेल्स में मौजूद नेटो प्रमुख जेन्स स्टॉल्टेनबर्ग ने कहा है कि उनके गठबंधन को अब तक ऐसे सबूत नहीं मिले हैं जो ये साबित करते हों कि चीन रूस को हथियार दे रहा है.

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इस बात के संकेत मिले हैं कि चीन रूस की ओर से हथियार मांगने के दरख़्वास्त पर विचार कर रहा था.

चीन और रूस के नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच गहरे रिश्तों का मतलब सैन्य-राजनीतिक गठबंधन नहीं है.

इन नेताओं ने कहा है कि अच्छे रिश्ते होने का मतलब ये नहीं है कि दो देश एक गुट तैयार कर रहे हैं, इन रिश्तों की प्रकृति टकराव भरी नहीं है और ये रिश्ते दूसरे देशों के ख़िलाफ़ नहीं हैं.

पुतिन ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए एक बार फिर पश्चिमी देशों पर यूक्रेन को न्यूक्लियर कंपोनेंट वाले हथियार देने का आरोप लगाया है.

इसके साथ ही पुतिन ने कहा है कि अगर ब्रिटेन ने डिप्लीटेड यूरेनियम (कम रेडियोधर्मी) से बने हुए गोले यूक्रेन भेजे तो रूस जवाब देने के लिए विवश हो जाएगा.

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि डिप्लीटेड यूरेनियम एक मानक कंपोनेंट है जिसका परमाणु हथियारों से कोई संबंध नहीं है.

क्या होता है डिप्लीटेड यूरेनियम

बीबीसी संवाददाता लौरा गोज़्ज़ी ने अपनी रिपोर्ट में इस मामले पर विस्तार से प्रकाश डाला है. रिपोर्ट के मुताबिक़, ब्रिटेन ने चैलेंजर 2 टैंकों के साथ-साथ कवच में छेद करने वाले गोले भी यूक्रेन भेजने का फ़ैसला किया है.

डिप्लीटेड यूरेनियम से आशय हथियार या रिएक्टर फ़्यूल के लिए इस्तेमाल किए गए प्राकृतिक यूरेनियम के बचे हुए पदार्थ से है. ठोस स्वरूप में इस पदार्थ की रेडियोधर्मिता अपेक्षाकृत रूप से कम होती है. लेकिन ये काफ़ी भारी पदार्थ है. लेड की तुलना में ये 1.7 गुना घना पदार्थ है.

टैंकों से छोड़े जाने वाले गोलों को मज़बूत बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है ताकि वे आर्मर और स्टील के बने कवच को भेद सकें.

गोलों या उनकी टिप (अग्र भाग) को डिप्लीटेड यूरेनियम से बनाया जा सकता है. जब ऐसे गोले किसी ठोस पदार्थ जैसे टैंक आदि से टकराते हैं, तो वे सीधे उनमें छेद करके घुस जाते हैं. इसके बाद ऊंचे तापमान वाला धुएं का ग़ुबार पैदा होता है. ये धुएं का ग़ुबार धीरे-धीरे धूल की तरह बैठ जाता है जो कि ज़हरीला और थोड़ा रेडियोधर्मी होता है.

रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोफ़ ने कहा है कि डिप्लीटेड यूरेनियम वाले हथियार यूक्रेन भेजने का मतलब ये है कि ब्रिटेन “साल 1999 के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून को तोड़ने के लिए तैयार” है.

उन्होंने ये भी बताया है कि ‘इस बात में कोई शक़ नहीं है कि इससे ब्रिटेन को बहुत नुक़सान होगा.’

वहीं, पेंटागन प्रवक्ता ने मंगलवार शाम कहा कि अमेरिका यूक्रेन में डिप्लीटेड यूरेनियम से बने गोले नहीं भेजेगा.

शी जिनपिंग ने पुतिन को बताया दोस्त

तीन दिवसीय दौरे के दूसरे दिन क्रेमलिन पहुंचने पर भी शी जिनपिंग का भव्य अंदाज़ में स्वागत किया गया.

शी जिनपिंग ने कहा कि वह मॉस्को पहुंचकर काफ़ी ख़ुश हैं. राष्ट्रपति पुतिन को उन्होंने एक ‘स्पष्ट वक़्ता, खुले दिल वाला दोस्त’ बताया.

राष्ट्रपति शी जिनपिंग अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की ओर से पुतिन के ख़िलाफ़ युद्ध अपराधों के मामलों में गिरफ़्तारी का वारंट जारी होने के कुछ दिन बाद ही मॉस्को पहुंचे हैं.

शी जिनपिंग जिस वक़्त मॉस्को दौरे पर हैं, ठीक उसी वक़्त जापानी प्रधानमंत्री फ़ुमियो किशिदा अचानक यूक्रेन पहुंचे हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से किसी संघर्षरत देश का दौरा करने वाले वह पहले जापानी प्रधानमंत्री हैं.

राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री किशिदा के निमंत्रण पर इस साल मई में होने जा रही जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में वीडियो लिंक के माध्यम से हिस्सा लेंगे.

प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान ज़ेलेंस्की ने ये भी कहा है कि उन्होंने चीन से बातचीत में शामिल होने के लिए कहा है, लेकिन अब तक उन्हें जवाब का इंतज़ार है.

उन्होंने कहा, “हमने चीन से कहा था कि वह पीस फ़ॉर्मूले के अमल में साझेदार बने. हम आपको संवाद के लिए आमंत्रित करते हैं. हम अब तक आपके जवाब का इंतज़ार कर रहे हैं.”

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जेम्स ग्रेगरी
बीबीसी न्यूज़