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योनि पूजा क्यों और किसलिए…??

Shikha Singh
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मैं यहां केवल स्त्री पुरुष के लिंग की व्याख्या और स्त्री के महामारी के वर्णन से सहमत हूँ।
मैं ईश्वर को जोड़ कर नहीं देख रही
कोई भी इस पोस्ट का गलत मतलब न निकाले ।
यह twitter से लिया गया है।

योनि पूजा क्यों और किसलिए…??
अघोर के पञ्च स्तम्भ जिनमे से एक मैथुन है और जिसमे भी चार भाग:- लिंग, योनि, वीर्य और रज है। इस पुरे ब्रह्माण्ड और सृष्टी के रचना और संचालन का केंद्र ही योनि और लिंग है। जिनमे लिंग शिव और योनि माँ शक्ति का प्रतीक है। अघोर के पंचमकारों में होने के कारण योनि ही शक्ति का पुंज है। विभिन्न प्रकार की साधनाओ में जहा भैरव और भैरवी स्वयं विराजित होते है वह भी उत्पन्न ऊर्जा केवल भैरवी रूपी स्त्री में ही योनि में संचित होती है, जो की बाद में भैरव को संसर्ग में प्रदान की जाती है।अतः ये कह सकते है कि योनि के बिना अघोर तो क्या इस ब्रह्माण्ड का सचालन ही नहीं हो सकता। आज के ज़माने में स्त्री को केवल शरीर की भोग की वास्तु बना दिया है जबकि उसमे निहित असली ऊर्जा पुंज को भुला दिया गया है। जिनको कुण्डलिनी का नाम दिया गया है। कर्म योनी में और हमारे शरीर में यह शक्ति कुंडलिनी के रूप में आश्रित है, जिसे जाग्रत किये बिना आगे का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता। तंत्र शास्त्र में ही स्त्री को माँ आदिशक्ति के रूप में देखा जाता है और उसकी देह पूजा माँ कामाख्या के रूप में की जाती है क्योंकि यदि स्त्री को केवल भोग की वस्तु ना समझा जाए तो उसी को भैरवी के रूप में साधकर आप माँ आदिशक्ति के आशीर्वाद के पात्र बन सकते हो क्योंकि ब्रह्मी, वैष्णवी और रौद्री यह तीनो शक्तियाँ एक त्रिकोण के रूप में हर स्त्री के शरीर में स्थापित है। इसीलिए इस त्रिकोण को योनिरुपा कहा जाता है और इन शक्तियों की पूजा योनी पीठ के रूप में की जाती है। वास्तव में देखा जाए तो हर स्त्री का शरीर अपने आप में एक योनी पीठ है जिसके बाएं कोण में ज्ञान शक्ति, दायें कोण में इच्छा शक्ति और सब से नीचे वाले कोण में क्रिया शक्ति स्थापित है और योग में इसे कुंडलिनी शक्ति का केंद्र माना गया है। वेदों में स्त्री को ही पुरुष का भाग्य तक कहा गया है क्योकि जिस स्त्री की योनि का ऊर्जा पुंज उसकी कुण्डलिनी को जितना उच्च स्तर का करेगा वो और उसके संपर्क में आने वाले सदस्य उतने ही उच्च भाव में रहेंगे।

क्यों होती है योनि पूजा :- योनि पूजा के द्वारा मिलने वाले फलो का लेखन मैं तो क्या कोई भी नहीं कर सकती..
1.अघोर में की जाने वाली क्रियाओ जिनमे स्तंभन मारन उच्चाटन वशीकरन आदि है का सटीक असर करने और उनकी काट दोनों में योनि पूजन महत्व पूर्ण है।
2. किसी भी प्रकार के कीलन के भेदन में
3. कुण्डलिनी जागृत करने में
4.विभिन्न साधना और तांत्रिक क्रियाओ के फल प्राप्ति में
5. उच्च कोटि की सिद्धियों की प्राप्ति में
6. सूक्षम सरीर के सञ्चालन और उत्कोटि में
7. अपने व्यवसाय परिवार या समाज में प्रसिद्धि या स्वयं को उच्च करने हेतु
8. शरीरिक मानसिक और आर्थिक कष्टों के सटीक और शीघ्र निवारण हेतु और भी बहुत से कारण है जिनको गुप्त रख गया है।

Meghraj Singh
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पूरे विश्व के इंसानों के शरीर बहुत ही अद्भुत है क्योंकि रब ने सभी इंसानो के शरीर के अंदर बहुत ही क़ीमती अद्भुद रत्न छुपा रखे हैं ।
आओ जानिए पूरे विश्व के इंसानों के शरीर के अंदर रब ने कौन कौन से क़ीमती अद्भुद रत्न छुपा रखे हैं जैसे कि —-
नंबर वन— पूरे विश्व के इंसानों के शरीर के अंदर रब ने पूरे विश्व के धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान पुस्तकों का ज्ञान है और अध्यात्म का ज्ञान अनुभवी ज्ञान और विज्ञान छुपा रखे हैं ।
नंबर दो— पूरे विश्व के इंसानो के शरीर के अंदर रब ने पूरे विश्व के इंसानों की भाषाएँ पूरे विश्व के पशु पक्षियों की भाषाएँ समुद्र के सभी प्रकार के जीवी की भाषाएँ छुपाकर रखी है ।
नंबर तीन— पूरे विश्व के इंसानों के शरीर के अंदर रब ने पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान जैसे की पृथ्वी के अंदर क्या है इसका ज्ञान पाताल मे क्या है उसका ज्ञान आकाश मे क्या है उसका ज्ञान छुपा रखा है ।

यह अद्भुद क़ीमती रतन इंसानो कैसे मिल सकते हैं ।
विश्व के जिन इंसानों के अंदर झूठ ही झूठ बेईमानी ही बेईमानी होगी वह इन क़ीमती अद्भुद रत्नों के पास कभी नहीं पहुँच पाएंगे ।
विश्व के जिन इंसानों के अंदर थोड़ा झूठ है थोड़ा सच है वह दुविधा में रहेंगे वह इन क़ीमती अद्भुद रत्नों बारे में कभी नहीं जान पाएंगे ।
विश्व के अंदर जो इंसान सच को सचमुच अपनाएंगे वही क़ीमती अद्भुद रत्नों तक पहुँच पाएंगे ।
सच्चे गुरु की सच्ची कृपा से सच्चे इंसान ही यह क़ीमती अद्भुद रत्नों को अपने अंदर से प्राप्त कर पाएंगे ।

नोट — इन क़ीमती अद्भुद रत्नों तक सिर्फ़ सच्चे और ईमानदार इंसान ही पहुँच पाएंगे और सच्चे और ईमानदार इंसानों को ही गुरू अपनी मेहर से इन क़ीमती अद्भुद रत्नों देते है और परमआनंद भी दे देते हैं ।

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(सतयुगी किंग M S Khalsa)

डिस्क्लेमर : लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है, लेख सोशल मीडिया से प्राप्त हैं