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रणथंभौर टाइगर रिजर्व में फुल डे और हाफ़ डे सफ़ारी तत्काल प्रभाव से बंद, ताक़तवर होटल लॉबी में हड़कंप मच गया : हरीश जैन की रिपोर्ट

Harish Jain
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रणथंभौर टाइगर रिजर्व में फुल डे और हाफ डे सफारी तत्काल प्रभाव से बंद

जयपुर: खुद को वन वन्य जीव और सरकारी नियम कायदों से ऊपर समझ रही रणथंभौर की होटल लॉबी को आज सरकार ने करारा झटका दिया है. राज्य सरकार ने एक अहम फैसला करते हुए रणथंभौर टाइगर रिजर्व में फुल डे और हाफ डे सफारी को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश जारी कर दिया है. सरकार के इस फैसले से रणथंभौर की ताकतवर होटल लॉबी में हड़कंप मच गया है वहीं वन्य जीव प्रेमी इसे सरकार का साहसिक फैसला मान रहे हैं और कह रहे हैं कि इससे बाघ और दूसरे वन्यजीवों को राहत मिलेगी साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण के काम भी पुख्ता तरीके से हो पाएंगे. रणथंभौर टाइगर रिजर्व कुल बाघ 78 कुल जोन 10 कुल जिप्सी 276 कुल केंटर 289 एक पारी में जिप्सी कोटा 92 एक पारी में केंटर कोटा 52 हाफ डे, फुल डे अधिकतम 05 जिप्सी हाफ डे (भारतीय) 29443 ₹ जिप्सी हाफ डे (विदेशी) 37832 ₹ जिप्सी फुल डे (भारतीय) 54505 ₹ जिप्सी फुल डे (विदेशी) 70214 ₹ बेलगाम दौड़ती जिप्सियां लगातार कर्र कर्र आवाज़ करते बड़े-बड़े कैमरे और अनचाहा दखल पिछले चार-पांच साल में यही सब कुछ रणथंभौर की नियति बन चुका था. यही कारण था कि बाघों में तनाव बढ़ रहा था और उनका स्वभाव भी आक्रमक हो चला था. कोर वन क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे मानवीय दखल से बाघों की साइटिंग भी कम होने लगी थी और बाघ वन क्षेत्र से बाहर भी अक्सर निकलने लगे थे. बाघ और दूसरे वन्यजीव वन्य जीव प्रेमी और यहां तक की शोधकर्ता भी इस सबको गलत मान रहे थे लेकिन जो खुश थे वे हैं तो मुट्ठी भर लेकिन बहुत ही ताकतवर जी हां. हम बात कर रहे हैं उस दमदार और राजनीतिक पकड़ वाली होटल लॉबी की जो फुल डे और हाफ डे सफारी के नाम पर मोटा राजस्व कमा रही थी, उसे शायद वन और वन्य जीव संरक्षण से कोई लेना-देना नहीं था. इन 4-5 सालों में रणथंभौर में हाफ डे और फुल डे सफारी को बंद करने की कुछ आवाजें उठी लेकिन वे सब नक्कारखाने में तूंती की आवाज के समान दब कर रह गई. बाघों का स्वभाव बदलता रहा, शिकार की घटनाएं बढ़ी, टेरिटोरियल फाइट के मामले बढ़े, बाघ और इंसान के बीच का संघर्ष बढ़ा और बाघ इंसानी दखल से खुद को महफूज रखने के लिए वन क्षेत्र छोड़कर बाहर का रास्ता पकड़ने लगे. लेकिन कहते हैं ना कि ‘देर आयद दुरुस्त आयद’ देर से ही सही लेकिन सुबह की सरकार ने वन्यजीवों का मर्म समझा और होटल लॉबी के तमाम सियासी दबाव को दरकिनार करते हुए आज फुल डे और हाफ डे सफारी को बंद करने का साहसिक निर्णय कर डाला. वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने रणथंभौर में फुल डे और हाफ डे सफारी बंद करने की फाइल पर दस्तखत कर दिए और वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव शिखर अग्रवाल ने इन आदेशों को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए. अब वन्यजीव प्रेमियों में इस आदेश के बाद खुशी की लहर दौड़ गई. वन्यजीव प्रेमियों ने राज्य सरकार से मांग की है कि रणथंभौर में लिया गया निर्णय तेजी से सिटी वाइल्डलाइफ टूरिज्म हब बन रहे जयपुर के झालाना और आमागढ़ लेपर्ड सफारी में भी लागू किया जाए. यहां पर भी लेपर्ड की संख्या और घनत्व देश में सबसे ज्यादा है इसलिए यहां पर भी हाफ डे और फूल डे सफारी बंद कर वन्यजीवों के हितों की रक्षा की जाए. दरअसल फुल डे और हाफ डे सफारी के कंसेप्ट को वन्य जीव प्रेमी शुरू से ही गलत मान रहे थे… लेकिन कुछ लोगों ने अपने सियासी रसूख के बल पर इस व्यवस्था को शुरू करवा दिया था. इसका सीधा लाभ उन चंद होटल संचालकों को मिल रहा था जो सफारी की व्यवस्था में पूरी तरह से घुलमिल गए थे और तय दामों से 4 गुना तक दाम वसूल रहे थे. यही नहीं फुल डे और हाफ डे के दौरान जंगल के नियमों को भी तार-तार किया जा रहा था इससे वन्यजीव तो स्ट्रेस में थे ही जंगल की व्यवस्था भी कुछ लोगों के हाथ की कठपुतली बन गई थी. “