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रूस के अख़बार एज़विस्तेसिया ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरे देश में हिंदी भाषा लागू कर रहे हैं : रिपोर्ट

रूस के अख़बार एज़विस्तेसिया ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरे देश में हिंदी भाषा लागू कर रहे हैं और इसके लिए तर्क देते हैं कि भारत को अंग्रेज़ी भाषा के वर्चस्व से निजात दिलाने का यही एक रास्ता है।

नातालिया पोर्टीकोवा की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मोदी देश में मौजूद अन्य भाषाओं पर भी हिंदी को थोपना चाहते हैं जिसकी वजह से दक्षिणी राज्यों में विशेष रूप से विरोध के स्वर उभर रहे हैं जबकि पूर्वी राज्यों में भी लोगों को यह आइडिया पसंद नहीं आ रहा है। इन क्षेत्रों में अलग अलग भाषाएं बोली जाती हैं। इन इलाक़ों के लोगों का कहना है कि सरकार उनकी स्थानीय भाषा और संस्कृति को दबाने पर तुल गई है और पूरे देश पर हिंदी भाषा का साम्राज्य थोपना चाहती है।

अख़बार का कहना है कि वर्ष 2014 में मोदी सत्ता में पहुंचे, उसी समय से हिंदू राष्ट्रवाद उग्र रूप से आगे बढ़ने लगा और इसका असर जहां दूसरे कई क्षेत्रों में दिखाई दिया वहीं भाषा भी इसके निशाने पर आई।

मोदी सरकार ने हिंदी बोलने पर ज़ोर दिया। सरकार की गाइडलाइनों में अधिकारियों से कहा जाता है कि वे आपसी बातचीत में और मीडिया में इसी तरह सोशल मीडिया के क्षेत्र में हिंदी भाषा का ही प्रयोग करें।

पोर्टीकोवा का कहना है कि देश में अंग्रेज़ी भाषा का इस्तेमाल ख़त्म करवाने की कोशिश को पसंद नहीं किया गया क्योंकि एक तो यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संपर्क का माध्यम है और दूसरे यह कि इस योजना से भारत में प्रचलित अन्य भाषाओं पर भी हमला हो रहा है।

रूसी पत्रकार का कहना है कि हालिया समय में यह भी देखने में आया कि सरकार विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाई और परीक्षा हिंदी भाषा में करवाने की कोशिश में लगी हुई है। यह गाइडलान फिलहाल तो उत्तरी भारत के शैक्षिक संस्थानों में लाई गई है मगर दक्षिणी राज्यों के लोगों को इस पर आपत्ति है क्योंकि इन राज्यों के बच्चे उत्तरी भारत के विश्वविद्यालयों पढ़ते हैं।

तमिलनाडू के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह अन्य भाषाओं को ध्वस्त करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी की तरह तमिल भाषा को सरकारी भाषा का दर्जा मिलना चाहिए।

केरल और कर्नाटक में भी राजनैतिक दलों का कहना है कि हिंदी भाषा का थोपा जाना चिंताजनक है। बंगाली समुदाय का आरोप है कि हिंदी न बोलने वालों के साथ दूसरे दर्जे के नागरिक जैसा बर्ताव किया जा रहा है। बंगाली हालांकि भारत में काफ़ी व्यापक स्तर पर फैली हुई भाषा है मगर इस भाषा के ज़रिए न तो बैंक खाता खोला जा सकता है और न ट्रेन का टिकट ख़रीदा जा सकता है।

लेखिका का कहना है कि भारत में भाषाई मामलों के आंकड़ों के जानकार गणेश नारायण देवी यह मानते हैं कि संविधान ने भारत को बहुभाषीय देश मानते हुए लोकतंत्र की बुनियाद रखी है। क्योंकि सर्वे से पता चला है कि भारत में 1652 मातृ भाषाएं हैं।

भारत में अंग्रेज़ी भाषा बहुत व्यापक रूप से फैली हुई है और यह संपर्क का बहुत मज़बूत साधन है, इस भाषा ने भारत में तकनीक और सेवा क्षेत्रों के विकास में बड़ी बुनियादी भूमिका निभाई है। चीन की जगह लोग भारत को ज़्यादा इसलिए पसंद करते थे कि वह सस्ता होने के साथ ही साथ अंग्रेज़ी भाषा वाला देश है।

स्रोतः रूसी मीडिया