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लेबनान और इस्राईल में किसी भी वक़्त छिड़ सकती है जंग, सऊदी अरब ने अपने नागरिकों को तुरंत लेबनान छोड़ने का आदेश दिया : रिपोर्ट

क्षेत्र की समस्त समस्याओं की जड़ अमेरिका हैः सैयद हसन नस्रुल्लाह

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहा है कि क्षेत्र और लेबनान की समस्त समस्याओं की जड़ अमेरिका है और अमेरिका लेबनान के समस्त मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है और उसकी इस नीति का मुकाबला किया जाना चाहिये।

उन्होंने वर्ष 1982 में दक्षिणी लेबनान में जायोनी शासन द्वारा किये जाने वाले हमले की ओर संकेत किया और कहा कि उसी समय लेबनान में जायोनी शासन के खिलाफ प्रतिरोध का गठन हुआ और आंदोलन के गठन के आरंभ में शैख नाब्लसी ज़िन्दा और प्रतिरोध में शामिल थे।

सैयद हसन नस्रुल्लाह ने प्रतिरोध को विभिन्न अवसरों व रूपों पर अमेरिका और इस्राईल को हैरान करने वाला बताया और कहा कि हम सब परिवर्तनों और इस प्रतिरोध की उपलब्धियों के साक्षी हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि हमारे क्षेत्र में हर चीज़ में अमेरिका का हस्तक्षेप समस्याओं की असली जड़ है परंतु खेद के साथ कहना पड़ता है कि अमेरिका के खुल्लम- खुल्ला हस्तक्षेप के बावजूद हम उसकी इच्छाओं के सामने नतमस्तक होने की संस्कृति के साक्षी हैं।

उन्होंने सीरियाई जनता के खिलाफ अमेरिका के अत्याचारपूर्ण प्रतिबंधों की ओर संकेत किया और कहा कि अगर यह प्रतिबंध न होते तो सीरिया को युद्ध के परिणामों से निपटने के लिए किसी व्यक्ति या पक्ष की सहायता की ज़रूरत नहीं थी।

इसी प्रकार सैयद हसन नस्रुल्लाह ने कहा कि सीरिया में यह अमेरिकी अतिग्रहण है जो इस बात में बाधा बना हुआ है कि सीरिया की सरकार अपने तेल और गैस के स्रोतों से लाभ नहीं उठा पा रही है और यह अमेरिकी हैं जो सीरियाई स्रोतों से लाभ उठा रहे हैं।

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BREAKING: Saudi Arabia calls on its citizens to quickly leave Lebanon

इस्राईली सैनिकों में फैली हताशा, अपनी कमज़ोरी छिपा नहीं पा रहा है ज़ायोनी शासन

इस्राईल में एक बड़ी समस्या यह उत्पन्न हो गई है कि सेना में काम करने से लोग भागने लगे हैं और दूसरी ओर सैनिकों की आत्महत्या की दर बढ़ने लगी है।

इस्राईली अख़बार यदीऊत अहारोनोत ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट में अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के इलाक़े नेतानिया में एक सैनिक के आत्मदाह कर लेने की घटना के बारे में लिखा कि सैनिक बुरी तरह झुलस गया और उसे बचाया नहीं जा सका। सैनिक ने आवेदन कर रखा था कि उसे स्ट्रेस की बीमारी की वजह से सेना में सेवा से माफ़ किया जाए मगर इसका आवेदन ठुकरा दिया गया जिसके बाद उसने आत्मदाह कर लिया। यह सैनिक 2014 के ग़ज़्जा युद्ध में कठिन परिस्थितियों से गुज़रा था जिसके कारण से मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो गई थीं।

जनवरी 2023 में बिनयामिन नेतनयाहू की नई सरकार बनने के बाद से ज़ायोनी सैनिकों को बेहद कठिन हालात का सामना है। नेतनयाहू के कैबिनेट ने एक तरफ़ न्यायिक सुधार का मुद्दा उठाया जिसके चतले शुरू से ही तनाव पैदा हो गया और पूरे इस्राईल में प्रदर्शन और झड़पों को दौर शुरू हो गया। इस्राईली सैनिक इन झड़पों में निशाना बन रहे हैं। इसका इस्राईली सैनिकों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। सैकड़ों सैनिक न्यायिक सुधार बिल के ख़िलाफ़ सेना छोड़ चुके हैं और सैकड़ों अन्य सैनिक रिज़र्व फ़ोर्स से अलग हो गए हैं। दर्जनों की संख्या में उन लोगों ने पुलिस से सहयोग करने से इंकार कर दिया है जो स्वयंसेवी के रूप में यह काम करते थे।

न्यायिक सुधार के बिल पर आपत्ति के अलावा इस्राईली सैनिकों के लिए यह समस्या भी बड़ी गंभीर है कि उन्हें ज़ायोनी नागरिकों से भिड़ना पड़ रहा है जो इस बिल के ख़िलाफ़ हिंसक प्रदर्शन करते हैं। हालात को नियंत्रण में रखने के लिए वे ज़ायोनी नागरिकों पर बल प्रयोग करने पर मजबूर हैं इसकी वजह से उन्हें मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना है। इस्राईल के पूर्व युद्ध मंत्री बेनी गांट्ज़ ने इस बारे में कहा कि सेना और जनता एक साथ हैं, जब जनता बट जाती है तो यह विभाजन सेना के भीतर भी पहुंच जाता है। साफ़ साफ़ कहना चाहिए कि नेतनयाहू की सरकार ने यह हालात पैदा कर दिए हैं, यह हालात सेना ने नहीं पैदा किए हैं।

कहा जाता है कि आने वाले दिनों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच भीषण टकराव हो सकता है जिसकी वजह से सैनिकों के इस्तीफ़े भी बढ़ेंगे। तेल अबीब युनिवर्सिटी के आंतरिक सुरक्षा अध्ययन केन्द्र का कहना है कि इन त्यागपत्रों की वजह से सेना का ढांचा ध्वस्त हो सकता है।

यह हालात तब हैं जब ज़ायोनी सैनिकों ने पहले ही एलान कर रखा है कि उन्हें बड़ी गंभीर समस्याओं का सामना है। इस्राईली सैनिकों में स्ट्रेस की समस्या बहुत आम है जिसकी वजह प्रतिरोधक संगठनों से इस्राईल की बार बार होने वाली जंगें हैं। इस्राईली सेना के आंकड़े बताते हैं कि लगातार उन लोगों की संख्या बढ़ रही है जो सेना छोड़ने का आवेदन कर रहे हैं। वर्ष 2015 में मानसिक और मनोवैज्ञानिक समस्या की वजह से सेना छोड़ने वाले अगर साढ़े चार प्रतिशत थे तो 2020 में यह दर बढ़कर साढ़े आठ प्रतिशत हो गई है। इस बीच इस्राईली सैनिकों के बीच आत्म हत्या की दर भी तेज़ी से बढ़ रही है।


हमास के प्रमुख की हिज़्बुल्लाह के महासचिव से मदद की गुहार

फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोधी आंदोलन हमास ने हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह से अनुरोध किया है कि वह लेबनान स्थित फ़िलिस्तीनी धड़ों के बीच घातक टकराव को रोकने के लिए अपनी भूमिका अदा करें।

हमास के प्रमुख इस्माईल हनिया ने एक संदेश में हसन नसरुल्लाह से अनुरोध किया है कि वह दक्षिण लेबनान स्थित ऐन अल-हिलवाह फ़िलिस्तीनी शरणार्थी कैम्प में फ़िलिस्तीनी गुटों के बीच टकराव को रोकने के लिए हस्तक्षेप करें।

हनिया का कहना था कि हमास ऐन अल-हिलवाह में शांति और स्थिरता चाहता है और फ़िलिस्तीनी गुटों के हथियार, सिर्फ़ ज़ायोनी दुश्मन की ओर उठने चाहिए।

ग़ौरतलब है कि शनिवार को फ़िलिस्तीनी शरणरार्थी कैम्प में उस वक़्त हिंसा भड़क गई थी, जब एक बंदूक़धारी ने एक सशस्त्र संगठन के सदस्य मोहम्मद ख़लील की हत्या का प्रयास किया, लेकिन उसके बजाए उसने उसके साथी को गोली मार दी।

उसके बाद हुए टकराव में फ़तह पार्टी के एक वरिष्ठ कमांडर अबू अशरफ़ अल-आर्मोची की उनके कई साथियों के साथ हत्या कर दी गई। अल-आर्मोची ऐन अल-हिलवाह की सुरक्षा के प्रभारी थे।