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दिल ज़ोरों से रोया है फिर….कुछ तो है जो खोया है फिर….By-सरिता जैन
Sarita Jain ================ जब भी अपनी अना से लड़ती हूँ इक मुख़ालिफ़ हवा से लड़ती हूँ। इन्तिहा दास्ताँ की करनी है इस लिए इब्तिदा से लड़ती हूँ। दोस्तों की जफ़ा नहीं समझी दुश्मनों की वफ़ा से लड़ती हूँ। मुझ पे गिरती हैं बिजलियाँ सी कई जब भी काली घटा से लड़ती हूँ। सर पे माँ […]
गुरु बृहस्पति विचारमग्न बैठे थे…देवताओं के लाख सद्प्रयासों के बावजूद दानवों की प्रगति दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी…
चित्र गुप्त ============ चार्वाक दर्शन (जनश्रुति) ******************* गुरु बृहस्पति विचारमग्न बैठे थे। देवताओं के लाख सद्प्रयासों के बावजूद दानवों की प्रगति दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। वे देवों पर युद्ध क्षेत्र से लेकर धर्म कर्म तक हर मामले में बीस ही साबित हो रहे थे। अचानक एक विचार उनके दिमाग में बिजली की […]
वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो!!By-यदवेंदेर शर्मा!!
रायता · Yadvinder Sharma · =============== वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो।। चाय का मजा, मिले, सिकी ब्रेड भी मिले। मुंह कभी दिखे नहीं, रजाई, खिसके नहीं। मां की लताड़ हो, या बाप की दहाड़ हो। तुम निडर डटो वहीं, रजाई से उठो नहीं। वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो।। मुंह […]