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शरद पवार और गौतम अडानी की मुलाक़ात : बीजेपी के एनसीपी को तोड़ने का प्लान फ़ेल हो गया : रिपोर्ट


मुंबई: 2019 के बाद एक बार फिर एनसीपी को तोड़ने की कोशिश में अजित पवार कामयाब नहीं हो पाए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एनसीपी को तोड़ने का उनका प्लान फेल हो गया। सूत्रों के मुताबिक अजित पवार को यह उम्मीद थी की पार्टी के 53 विधायकों में से 35 से ज्यादा विधायक उनके साथ जुड़ जाएंगे लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो पाए। सूत्रों के मुताबिक अजित पवार ने खुद विधायकों से बात भी की थी।

बगावत की इस कड़ी में मंगलवार यानी 18 अप्रैल का दिन बेहद अहम था। अजित पवार सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि 18 अप्रैल की बैठक पहले से तय थी। सभी विधायक अपने क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए मिलने आए थे। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि अजित पवार इस दिन अप्रत्यक्ष रूप से शक्ति प्रदर्शन करना चाहते थे। अजित पवार को उम्मीद थी की कि कई विधायक जुटेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

Harendra Singh (ताऊ )हरेन्द्रताऊ
@Harendratauu
महाराष्ट्र सरकार को बचाने और 2024 के चुनाव में शहंशाह के लिये बिसात बिछाने गौतम अडानी ओर शरद पवार के बीच 2 घण्टे बन्द कमरे में हुई मीटिंग।
इस मीटिंग से साफ हो गया कि अडानी ओर मोदी भाई भाई।

Prahlad Chadha
@chadha_prahlad
शरद पवार और अजीत पवार, भ्रष्टाचार के मुकदमे ई०डि और इनकम टैक्स एजेंसीज के दबाव में है ,- यही वजह है कि ,गौतम अडानी की पैरवी कर रहे हैं ! और बमबई मैं धारावी की करोड़ों रुपए की जमीन अडानी को देने को तैयार हैं और वह विपक्षी वह एकता में बाधक हे ?

अजित पवार के पास सिर्फ 13 विधायकों का समर्थन है। इनमें भी 12 एनसीपी के हैं और 1 निर्दलीय विधायक देवेंद्र भुयार अजित पवार के समर्थन में हैं। ज्यादा विधायकों का साथ नहीं मिल पाने की वजह से अजित पवार ने बगावत के अपने प्लान को होल्ड पर डाल दिया है।

अब सवाल उठता है कि क्या अजित पवार की दिल्ली में बीजेपी नेताओं के साथ कोई बैठक हुई थी? सूत्रों की मानें तो पिछले हफ्ते अजित पवार और अमित शाह की दिल्ली में कोई बैठक नहीं हुई। बीजेपी से हाथ मिलाने के लिए अजित पवार सीधे-सीधे दिल्ली से बात नहीं कर रहे हैं बल्कि एनसीपी के एक वरिष्ठ सांसद दिल्ली और अजित पवार के बीच में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। पिछले कई हफ्तों से यह सांसद दोनों पक्षों के बीच डील की शर्तों को अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं।

ठाकरे सेना ने कैसे किया अजित पवार- बीजेपी का प्लान किया फेल?
महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सूत्रों के मुताबिक, अजित पवार और बीजेपी में जारी बातचित की भनक उद्धव ठाकरे की सेना को कुछ समय पहले ही मिल गई थी। 11 अप्रैल को जब उद्धव ठाकरे और शरद पवार की मुलाकात सिल्वर ओक पर हुई तब शरद पवार ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी उद्धव ठाकरे को दी। इसके बाद 16 अप्रैल को संजय राउत ने शरद पवार के साथ हुई निजी बातचीत के उस खास हिस्से को सामना अखबार के जरिए सार्वजनिक कर दिया जिसमें शरद पवार ने कथित रूप से उद्धव ठाकरे को कहा था की एनसीपी के विधायकों पर काफी दबाव है और कुछ विधायक पार्टी छोड़ने का फैसला ले सकते हैं।

आमतौर पर निजी बातचीत को सार्वजनिक नहीं किया जाता है लेकिन शरद पवार के बयान से साफ हो गया था की एनसीपी टूट की कगार पर है। सूत्रों के मुताबिक, ठाकरे सेना ने एक सटीक रणनीति के तहत शरद पवार से हुई बातचीत के सिलेक्टेड हिस्से को अपने अखबार में छापा ताकि, विरोधी खेमे में खलबली मच जाए। हुआ भी यही। ठाकरे सेना अब सार्वजनिक रूप से कह रही है कि उनके खुलासे की वजह से बीजेपी का नकाब उतर गया है और उन्होंने ऑपरेशन लोटस को फेल कर दिया है। ठाकरे सेना के इस प्लान में शरद पवार शामिल थे या नहीं इसको लेकर अब तक कुछ स्पष्ट नहीं है।

क्या अजित पवार ने खो दिया परिवार का विश्वास?
महाविकास आघाड़ी के सूत्र दावा कर रहे हैं कि पार्टी को जोड़े रखने के लिए अब खुद शरद पवार एनसीपी के सभी विधायकों से बात कर रहे हैं। बुधवार से इसकी शुरुआत भी हो गई है। बिना सीनियर पवार की सहमति के कोई भी विधायक आगे कदम नहीं बढ़ाना चाहता है। 2019 के बाद यह दूसरी मौका है जब अजित पवार ने बगावत का नाकाम प्रयास किया। अजित पवार को लेकर महाविकास आघाड़ी के अन्य दलों में काफी नाराजगी है।

सूत्र दावा कर रहे हैं कि दूसरी बार बगावत की कोशिश कर अजित पवार ने परिवार का विश्वास खो दिया है। परिवार ने अजित पवार को सब कुछ दिया, फिर भी उनकी लालसा कम नहीं हो रही है। महाविकास आघाडी के सूत्रों की माने तो अजित पवार हर हाल में मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। अजित दादा इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि उनका जूनियर एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गया। लेकिन सीएम बनने का उनका सपना अब तक अधूरा ही है। अगर शिंदे सीएम बन सकते हैं तो फिर वह क्यों नहीं सीएम बन सकते है।

सूत्र दावा कर रहे हैं कि दूसरा प्रयास असफल होने के बाद भी अजित पवार ने हार नहीं मानी है। एनसीपी के विधायकों को तोड़ने का प्लान फिलहाल सिर्फ स्थगित किया गया है, सही समय आने पर इस प्लान को दोबारा एक्टिवेट किया जाएगा। वहीं इस पूरे प्रकरण के बाद महाविकास आघाड़ी के अन्य दल अलर्ट हो गए है। वे अजित पवार के हर हलचल पर नजर रखे हुए हैं।

वहीं अजित पवार ने अपने बचाव में कहा है कि उनके बगावत की खबरें बेबुनियाद और गलत है। वो मरते दम तक एनसीपी में ही रहेंगे और पार्टी के लिए काम करेंगे। शरद पवार ने भी मीडिया से कहा है कि ‘विधायक छोड़कर जायेंगे, उनके सिग्नेचर ले लिए गए हैं’ यह जानकारी तथ्यहीन और गलत है। अजित पवार की सफाई के बावजूद उनका पिछला रिकॉर्ड देखते हुए किसी को भी अजित पवार पर भरोसा नहीं हो रहा है।


शरद पवार और गौतम अडानी की मुलाकात से भूचाल

मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी आज शरद पवार से मुलाकात करने के लिए उनके मुंबई स्थित आवास पर पहुंचे थे। यह मुलाकात करीब 2 घंटे तक चला। कुछ दिन पहले ही शरद पवार ने एक बयान देते हुए कहा था कि गौतम अडानी मामले में JPC के जरिए जांच करने की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद अब गौतम अड़ानी शरद पवार से मुलाकात करने पहुंचे थे। बंद कमरे में दोनों की हुई मुलाकात के बारे में अबतक अडानी या शरद पवार की तरफ से कोई जानकारी साझा नहीं की गई है। इस मामले पर नेताओं द्वारा अलग अलग प्रतिक्रिया दी गई है।

क्या बोले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष

गौतम अडानी और शरद पवार के बीच हुई इस मुलाकात को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि जो बैठक हुई है उसको राजनीतिक नहीं लेना चाहिए। उन दोनों की बैठक को राजनीतिक अर्थ नहीं निकालना चाहिए। पूरी दुनिया को पता है कि शरद पवार और अडानी की मित्रता पूर्वक संबंध है। दोनों एक दूसरे के घर जाते हैं। इसका राजनीतिक अर्थ नहीं निकालना चाहिए और यह जगजाहिर है कि उनकी दोनों की मैत्री है। चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अडानी कोई विषय लेकर उनके घर जाएंगे। उनका संबंध मित्रता का है। मैत्रीपूर्ण संबंध को लेकर राजनीतिक सवाल नहीं उठाना चाहिए,

कांग्रेस ने क्या कहा..

इस मामले पर कांग्रेस पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई ने कहा कि शरद पवार की अडानी के साथ मीटिंग को लेकर कोई दिक्कत नही है। क्योंकि उनके अडानी के साथ पहले भी संबंध रहे है। पवार साहब ने कभी नही कहा कि अडानी के खिलाफ JPC गलत है। उन्होंने कहा कि जेपीसी में सत्ता दल की भागीदारी ज्यादा होती है। लेकिन फिर भी विपक्ष जेपीसी की मांग करेगा तो वो विपक्ष के साथ रहेंगे। अडानी-पवार साहब की मीटिंग पर उठ रहे सवालों का जवाब तो शरद पवार ही दे सकते है। सभी नेताओं के अपने हित होते हैं।

शरद पवार का मत

संयुक्त संसदीय समिति (JPC) मामले पर शरद पवार ने कहा था कि गौतम अडानी मामले में जेपीसी की कोई आवश्यकता नहीं हैं। उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा था कि मैंने कभी हिंडनबर्ग का नाम भी नहीं सुना है। शरद पवार ने ये भी कहा था कि उस कंपनी की रिपोर्ट पर कैसे भरोसा किया जाए। साथ ही उन्होंने जेपीसी यानी ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के खिलाफ भी स्टैंड लिया है।