देश

शशि थरूर ने कहा-दिल्ली सेवा अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक के ज़रिये ‘शक्तियों’ के संवैधानिक पृथक्करण में खुलेआम तोड़फोड़ हो रही है!

दिल्ली सेवा अध्यादेश की जगह लेने वाले ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक’ को लोकसभा में गुरुवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। इसके बाद अरविंद केजरीवाल से लेकर कई अन्य विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इसे लेकर कहा कि दिल्ली सेवा अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक के जरिये ‘शक्तियों’ के संवैधानिक पृथक्करण में खुलेआम तोड़फोड़ हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहकारी संघवाद की बात करते हैं, जबकि देश प्रतिरोधी संघवाद का गवाह बन रहा है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर लोकसभा में शशि थरूर ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक भारतीय गणतंत्र के इतिहास में एक गंभीर अध्याय का प्रतिनिधित्व करता है। यह कई मायनों में हमारी लोकतांत्रिक विरासत और संघवाद की भावना पर हमला है। शशि थरूर ने यह भी कहा कि जब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित था, ऐसे समय ठोस नीतिगत बदलाव वाला विधेयक नहीं लाया जाना चाहिए था। उन्होंने दावा किया कि हमने इस सरकार में बार-बार देखा है कि राज्यों की स्वायत्तता को कम करने के लिए प्रयास किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी सहकारी संघवाद के बारे में बात करते हैं लेकिन हम इसके बजाय जबरदस्ती संघवाद देख रहे हैं जो केंद्र सरकार के हाथों में सारी शक्ति को केंद्रीकृत करना चाहता है। थरूर ने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली से जुड़ा विधेयक संविधान में निहित अधिकारों के बंटवारे के प्रावधानों का उल्लंघन है।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से इस सदन में लाए गए 27 अविश्वास प्रस्तावों में, इस सरकार द्वारा 2018 में दो विधेयकों के साथ ऐसा करने से पहले (अविश्वास प्रस्ताव की अवधि के दौरान) किसी भी विधेयक पर बहस या पारित नहीं किया गया था। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव लंबित रहने के दौरान इस तरह से ठोस नीतिगत बदलाव का अनुचित परिचय लोकतांत्रिक नैतिकता के खिलाफ है।

इस दौरान कांग्रेस नेता थरूर ने यह भी याद दिलाया कि लगभग चार साल पहले लोकसभा में सरकार ने अनौपचारिक रूप से एक विधेयक पारित किया था, जिसने राज्य सरकार के भाग्य को व्यावहारिक रूप से रातोंरात सील कर दिया था। सरकार का रवैया हमारी लोकतांत्रिक राजनीतिक संस्कृति के साथ एक धोखा है, यह राज्य के लोगों और चुनावों के माध्यम से खुद को दिए जाने वाले राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मूल्य के प्रति घोर अवमानना है।

बता दें कि, अमित शाह ने ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक, 2023’ को चर्चा और पास कराने के लिए निचले सदन पर रखा। उन्होंने कहा कि दिल्ली न तो पूर्ण राज्य है, न ही पूर्ण संघ शासित प्रदेश है। राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते संविधान के अनुच्छेद 239 (ए) (ए) में इसके लिए एक विशेष प्रावधान है। संविधान के अनुच्छेद 239 (ए) (ए) के तहत इस संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र या इससे संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।