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शाहजहांपुर : शायर हमीद ख़िज़्र के सम्मान में अलीगढ़ में शाम-ए-ग़ज़ल का आयोजन : योगेश वाजपेई की रिपोर्ट!

Yogesh Bajpai
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शायर हमीद खिजर के सम्मान में अलीगढ़ में शाम ए ग़ज़ल का आयोजन
शाहजहांपुर। शाहजहांपुर के शायर व लेखक हमीद खिजर के सम्मान में अलीगढ़ में महफ़िल ए शेर ओ सुखन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता नसीम नूरी ने की। शायरों ने गीत ग़ज़लें सुनाकर वाहवाही लूटी।

महफ़िल का आगाज़ आदिल फ़राज़ की नात-ए-पाक से हुआ। मेहमान शायर हमीद खिजर ने सुनाया – मुझको तो धूप में रहना है अभी। आप अपने लिए साया कर लें।। असगर यासिर ने कहा – जर्द हाथों में सियाही के सिवा कुछ भी नहीं। अब वह किस मुंह से भला घर जाएगा।। अफताब कामिल ने सुनाया – कड़ी मसाफतें कैसे तमाम हो पातीं। तेरा ख़्याल अगर हमसफ़र नहीं होता।। जम्मू-कश्मीर के शायर इरम नवाज खान ने अपनी शायरी पेश की। सगीर बिन क़मर ने अपने दोहे साझा किए। डॉ. मोहम्मद वसी बेग “बिलाल” अलीग ने अपनी ग़ज़ल पेश की। इसके बाद वफा नकवी, डॉ. मुजीब शजर की ग़ज़लें खूब सराही गईं। नसीम नूरी ने अपना गीत प्रस्तुत किया। इस दौरान हमीद खिजर ने भोर की लालिमा की प्रति भेंट की। कार्यक्रम का संचालन वफा नकवी ने की। अंत में डॉ. मोहम्मद वसी बेग “बिलाल” अलीग ने सभी का आभार व्यक्त किया।