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शिवेन्द्र सिंह “सवर्ण समर्थक” बता रहे हैं, ”इस औज़ार को अपने घर ख़रीद कर रखें, ये बहुत उपयोगी है’…सन्देश क्या है??

शिवेन्द्र सिंह “सवर्ण समर्थक”
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इस औजार को अपने घर खरीदकर रखें। ये बहुत उपयोगी है, इससे नारियल काटने में आसानी होती है।।
इसके अलावा बाग बगीचे की सुंदरता के लिए इससे छोटी मोटी टहनियां भी काट सकते हैं।।
#जय_श्री_राम 🚩


The Indo-Aryans

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क्षेत्री “क्षत्रिय” शब्द का बिगड़ा हुआ रूप है।
“क्षेत्री” खस जनसमूह का क्षत्रिय हिस्सा है। नेपाल में दो तरह के खस जनसमूह मिलाते हैं एक खस-क्षेत्री (खस क्षत्रिय) और दूसरा खस बहुन (खस ब्राह्मण)। यह उसी तरह है जैसे डोगरा राजपूत और डोगरा ब्राह्मण।
क्षेत्री-खस नेपाल और गढ़वाल की शासक कौम रही है। गोरखा भी इसी ट्राइब का हिस्सा है‌। क्षेत्री-खस पूरे नेपाल की जनसंख्या का 17% हैं और सभी हिंदू धर्म को मानने वाले हैं।
अगर जेनेटिक्स की बात करें तो इनकी 33% Ancestry South Indian, 33 % Aryan, 34% Ancestry East Asian है।
अतः स्पष्ट है आर्यों ने नेपाल की तरफ भी कूच किया और शासन किया। कुछ आर्यों ने ब्राह्मण (खस-बहुन) के रूप में पहचान अपनाई क्योंकि खस-ब्राह्मणों में 28% तक स्टेपे मिलता है और कुछ आर्यों ने नेपाल के स्थानीय शासक वर्गों के साथ घुल-मिल गए और शासन किया और खस-क्षेत्री के रूप में पहचान अपनाई। खस-क्षेत्रीयों का स्थानीय शासक वर्ग के साथ घुलना-मिलना इसलिए स्वीकार किया जाना चाहिए क्योंकि खस-क्षेत्रीयों में 16-18% तक स्टेपे मिलता है और खस-बहुन को छोड़कर बाकि किसी भी नेपाली ट्राइब में 2% स्टेपे भी नहीं मिलता।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी खस क्षत्रिय ही है।


Pradeep Kumar ·
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लेख : 76
विषय : बीवी का मेकअप
आज बहुत दिनो बाद सोनी जी के घर चाय पीने गया। चाय की चुस्की लेते हुए मैने सोनी जी से पूछा पुरुष इधर उधर ताका झांकी क्यों करते है। सोनी जी बोले ज्ञान तो बहुत है मुझे इस बारे में पर बोला तो पाठक नाराज हो जाएंगे खासकर महिला पाठक नाराज हो गई तो सारे लाइक कॉमेंट्स खत्म। सोनी जी बोले तुम मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर ला दो फिर बताऊंगा। सोनी जी ने जो प्रश्न बताए वो निम्नलिखित हैं।
1. महिला जैसी घर रहती है वैसी ही बाजार शॉपिंग पर
क्यों नहीं जाती।
2. कभी पति के घर आने से पहले मेकअप कर तैयार हो
कर गेट खोला है।
3. पति को तो फालतू समझती है इसके लिए तैयार होने
मे समय क्यों खराब करना।
4. घर पर सर्दी बहुत लगती है पर पार्टी में महिलाओं को
गर्मी क्यू लगती है।
जैसे एक पति की पत्नी दूसरो के लिए तैयार हो कर बाजार, पार्टी, या किसी भी उत्सव में जाती है वैसे ही दूसरो की पत्नियां भी आप के पति के लिए मेकअप कर सज संवर कर घर से बाहर निकलती है।
खूबसूरती को निहारना हर किसी के दिल की ख्वाइश होती है पर घर वापिस जाना होता है इसलिए दिल मारना पड़ता है।
सबसे हाथ जोड़ कर महिलाओं से माफ़ी। गोल गप्पे खा लो खुद गुस्से से गोलगप्पा मत बनो
खुश रहो मस्त रहो व्यस्त रहो
आप का अपना प्रदीप कुमार “सोनी जी”
दिल्ली वाला

Betiyan.in
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गिरधारी का सूरज
अरे कमबख्त, तुझे ये ही काम करना था तो फिर इतना पढ़ा लिखा ही क्यूँ था?हमारे अरमान तो धरे के धरे रह गये, नाम डूबा दिया तूने।
गिरधारी अपने मुहल्ले की दुकान में कपड़े सिलाई का कार्य करता था।एक ही बेटा था अनुज।गिरधारी निम्न मध्यम श्रेणी में था।उसने सोचा था बेटे को पढ़ा दूँ तो नौकरी करेगा तो परिवार को राहत मिलेगी।अपनी औकात के अनुसार अनुज को उसने ग्रेजुएट करा दिया।गिरधारी के लिये ग्रेजुएट तक की शिक्षा बहुत थी,उसका मानना था कि बस अपने अनु ने इतना पढ़ लिया है तो बस नौकरी अब लगी,अब लगी।
घर से दुकान और दुकान से घर तक जिसकी दुनिया हो उसे आज की शिक्षा,बेरोजगारी वातावरण का क्या पता?पर अनुज ने वास्तविकता पहचान अपने पिता के दर्जी के काम को ही नये रूप में बढ़ाने का निश्चय किया।
अनुज ने रेडीमेड कपडो की एक दो कम्पनी से संपर्क करके उनसे ट्रायल के लिये छोटे आर्डर लिये।कपड़ा कंपनी ने ही दे दिया।सिलाई वास्ते वो अपनी दुकान पर आया तो उसके पिता भड़क गये,उन्हें पढ़े लिखे बेटे का दर्जी का काम करना, अपना नाम डुबाना लग रहा था।
अनुज ने अपने पिता को समझाया कि बाबूजी नौकरी मिल नही रही तो अपने काम करने में क्या हर्ज है?बाबूजी यदि हमने ये आर्डर समय पर पूरे करके दे दिये तो हमे बडे आर्डर मिलने का मार्ग खुल जायेगा।बाबूजी मेरी सहायता करो,मैं आपको निराश नही करूँगा।मन मार कर गिरधारी ने अनुज के आर्डर को पूरा कर दिया।
सफाई से काम, समय से पूर्व काम से कंपनी के डायरेक्टर काफी प्रसन्न हुए और अबकी बार अनुज को पहले से बड़ा आर्डर दे दिया।समस्या थी स्टाफ और मशीनों की।अनुज ने प्रधानमंत्री बेरोजगार योजना के अन्तर्गत ऋण लेकर मशीनें भी खरीद ली तथा अपनी बराबर वाली एक और दुकान भी किराये पर ले ली।कारीगर भी बढ़ा लिये।अनुज ने अपने इसी पैतृक व्यवसाय को आधुनिक रूप में आगे बढ़ाना प्रारम्भ कर दिया।कंपनी के मनमुताबिक, सही और सही समय पर आर्डर पूरा करना अनुज ने अपनी विशेषता बना ली।
धीरे धीरे अनुज की मेहनत रंग लाने लगी।अब उसने अपनी भी रेडीमेड कपडो की एक फैक्ट्री रजिस्टर्ड करा ली थी।परिवार की आय भी दिन दूनी रात चौगनी बढ़ने लगी थी।गिरधारी को अब दुकान में मशीन के सामने रात दिन खटना नही पड़ता था।गिरधारी अब अक्सर कहता अनुज ने तो अपने घर मे रोशनी ही रोशनी कर दी है।
बालेश्वर गुप्ता, नोयडा
स्वरचित एवं अप्रकाशित।
#नाम डुबाना