यौन शोषण, भेदभाव और तानेबाजी… मर्चेंट नेवी में काम करने वाली महिलाएं आए दिन इन अपराधों का सामना करती हैं. वे शिकायत करें भी तो महासागर में उन्हें कौन बचाएगा.
ऐन बचपन से ही नाविक बनना चाहती थीं. उनका सपना पूरा हुआ भी, लेकिन एक हफ्ते के भीतर ही चकनाचूर भी हो गया. डीडब्ल्यू से बात करते हुए ऐन ने बड़े नपे-तुले शब्दों का इस्तेमाल किया. ऐन ने कहा, “हां, आप एक महिला हैं, तो आपके कुछ बुरे अनुभव जरूर होंगे.” थोड़ी देर बाद ऐन ने बताया कि मरीन कॉलेज में दाखिले के दूसरे ही हफ्ते उनका बलात्कार किया गया. ब्रिटेन के मरीन कॉलेज में पढ़ रही ऐन तब 16 साल थी.
उस वक्त ऐन को इतनी शर्म आई कि उन्होंने किसी को इसके बारे में नहीं बताया. कॉर्गो शिप इंडस्ट्री में दुनियाभर में करीब 15 लाख लोग काम करते हैं. इनमें महिलाओं की संख्या महज दो फीसदी है. इनमें से ज्यादातर महिलाएं अक्सर जहाजों पर अकेले ड्यूटी करती हैं.
अकेली महिला और अथाह समंदर
नए जहाज पर भी ऐन को दुर्व्यवहार झेलना पड़ा. ट्रेनर अफसर ही उनका शोषण करने लगा. अफसर सुनिश्चित करता था कि ऐन हमेशा उसके साथ अकेली काम करें और कोई उन्हें देख न सके.
एक शाम ऐन नहाकर निकलीं, तो वही अफसर उनके कमरे में घुसा हुआ था. वह ऐन को घूरकर मुस्कुराता रहा. ऐन कहती हैं कि उन्हें ऐसा लगा कि वह पर्सनल केबिन में भी सुरक्षित नहीं हैं. शिकायत करने पर एचआर के एक कर्मचारी ने कहा कि ऐन को अंदाजा होना चाहिए था कि ऐसा तो होगा ही. उस कर्मचारी ने यह भी कहा कि उन्हें समंदर में भेजते वक्त उनके पिता क्या सोच रहे थे. मैं तो अपनी बेटी को कभी जहाज पर काम करने के लिए नहीं भेजता. यह सुनते ही ऐन को अहसास हो गया कि वह जहाज पर बिल्कुल अकेली हैं और यहां से वह कहीं भी नहीं जा सकतीं.
ऐसे दर्जनाक अनुभव झेलने वाली ऐन अकेली नहीं हैं। जहाज पर काम करने वाले लोगों की काउंसिलिंग करने वाली मनोविज्ञानी रेचल ग्लिन विलियम्स के मुताबिक वह आज तक मर्चेंट नेवी में काम करने वाली जितनी महिलाओं से मिली हैं, उनमें से सिर्फ एक ने कहा कि उसने ऐसे हालात नहीं झेले.
ऐन ने 12 साल तक नौकरी की. इस दौरान वह दुनियाभर के देशों में पहुंचीं. हर बार जब नई ड्यूटी की कॉल आती थी, तो वह सोचने लगती थीं कि क्या इस बार क्रू में परेशान करने वाला कोई पुरुष होगा. धीरे-धीरे ऐन ने कुछ सहकर्मियों से दूर रहना सीख लिया और “सही कपड़े” पहनने भी सीख लिए.