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सऊदी अरब, इस्राईल से ख़रीदेगा गैस, दुनिया को ओपेके प्लस देशों पर भरोसा करना होगा : रिपोर्ट!

रूस ने अपनी सीमाओं पर बढ़ते ख़तरे को दूर करने के दावे के साथ पिछले साल फ़रवरी में यूक्रेन पर हमला कर दिया था, जिसके बाद से पश्चिम उसके ख़िलाफ़ लगातार कड़े प्रतिबंध लगा रहा है।

यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले तक यूरोपीय देश रूस के तेल और गैस के सबसे बड़े ख़रीदार थे, लेकिन इन देशों ने अमरीका के सहयोग से रूस के तेल और गैस को भी निशाना बनाया है।

युद्ध की शुरूआत के क़रीब एक साल बाद सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अज़ीज़ बिन सलमान ने रूस पर पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंधों के कारण भविष्य में ऊर्जा का संकट पैदा होने की चेतावनी दी है।

न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रिंस अब्दुल अज़ीज़ ने शनिवार को कहाः प्रतिबंधों और निवेश की कमी के कारण ईंधन की कमी हो जाएगी, जिससे ऊर्जा संकट उत्पन्न हो सकता है।

प्रिंस अब्दुल अज़ीज़ ने यह भी बताया कि उनका देश यूक्रेन में एलपीजी भेजने की तैयारी कर रहा है। यूक्रेन में इसका मुख्य इस्तेमाल घरों को गर्म रखने में होता है।

उन्होंने तेल बाज़ार के 2022 के संकट से सबक़ लेने का ज़िक्र करते हुए कहा कि दुनिया को ओपेके प्लस देशों पर भरोसा करना होगा।

पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे रूस का निर्यात और आयात घट गया है।


सऊदी अरब, इस्राईल से ख़रीदेगा गैस

पश्चिमी एशिया में मौजूद एक ऐसा अवैध शासन कि जिसकी बुनियाद ही ग़ैर-क़ानूनी है। जिस अवैध शासन की एक-एक इंच ज़मीन फ़िलिस्तीनी मुसलमानों के ख़ून से रंगीन हो और जो इस्लाम की दूसरी सबसे पवित्र मस्जिद पर हर दिन हमला करता हो और उसपर क़ब्ज़ा करने की साज़िशें रच रहा हो, आज उससे एक ऐसा मुस्लिम देश अपने संबंधों को समान्य करने के लिए हाथ-पैर मार रहा है जो दुनिया भर के मुसलमानों का केंद्र है।

एक ख़बर कि जिसने पूरी दुनिया के मुसलमानों, विशेषकर फ़िलिस्तीनी मुसलमानों के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है, वह यह है कि अपने आपको दुनिया भर के मुसलमानों का ठेकेदार समझने वाले आले सऊद शासन ने इस्राईल से गैस ख़रीदने की योजना पर काम आरंभ कर दिया है। इस ख़बर में सबसे ध्यान योग्य बात यह है कि एक ऐसा अवैध शासन कि जो फ़िलिस्तीनियों की ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से ज़मीन पर क़ब्ज़ा करके वजूद में आया है, उस आतंकी शासन से सऊदी अरब गैस ख़रीदेगा, जबकि उस गैस पर केवल और केवल फ़िलिस्तीनियों का अधिकार है। वहीं इस बात में कोई संदेह नहीं है कि गैस के बदले में सऊदी अरब जो इस्राईल को पैसे देगा, वह पैसा फ़िलिस्तीनियों और इस्लामी जगत को नुक़सान पहुंचाने के लिए ही इस्तेमाल होगा। प्राप्त सूचना के मुताबिक़, हिब्रू भाषा के आर्थिक समाचार पत्र ग्लोब्स ने यह ख़बर दी है कि सऊदी अरब, मिस्र और अवैध ज़ायोनी शासन मिलकर रियाज़ को गैस की आपूर्ति के लिए एक संयुक्त परियोजना पर अध्ययन कर रहे हैं। इस परियोजना के तहत अक़्बा की खाड़ी से सऊदी अरब की सीमा तक गैस पाइपलाइन बिछाई जाएगी।

इस्राईली समाचार पत्रों ने दावा किया है कि यह गैस परियोजना “मोहम्मद बिन सलमान” की उस परियोजना की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करेगी जिसे नियोम सिटी कहा जाता है। साथ ही लाल सागर और अक़्बा की खाड़ी की अन्य पर्यटन परियोजनाओं के लिए भी इससे लाभ उठाया जा सकेगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यद्यपि अवैध ज़ायोनी शासन की सऊदी अरब को गैस आपूर्ति करने की योजना अपने प्रारंभिक चरण में है, लेकिन इसे रियाज और तेल अवीव के बीच आर्थिक संबंधों को लेकर एक दूसरे के बीच गहरे होते रिश्तों के रूप में भी देखा जा सकता है। द ग्लोब्स अख़बार ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में घोषणा की थी कि सऊदी अरब ने मिस्र से ख़रीदे गए तीरान और सनाफ़ीर नामक दो द्वीपों को अपने क़ब्ज़े में ले लिया है। इन दोनों द्वीपों में इस्राईली पर्यटकों को नज़र में रखते हुए सऊदी अरब ने बड़ी संख्या में होटल और कैसीनो का निर्माण शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि यह दोनों द्वीप इस्राईल और सऊदी अरब के बीच गहरे होते संबंधों की डोर को और मज़बूत करेंगे। वहीं फ़िलिस्तीनी जनता और प्रतिरोध गुटों ने रियाज़ सरकार के इस क़दम पर अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए इसे न केवल फ़िलिस्तीनी राष्ट्र बल्कि पूरे इस्लामी जगत के लिए शर्मनाक और विश्ववासघात बताया है।