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सऊदी अरब की इज़राईल से दोस्ती के खिलाफ उलेमा आवाज़ उठाएँ, येरुशलम हाथों से निकल गया तो मदीना भी नही बचेगा : मोहम्मद अदीब

नई दिल्ली: पूर्व सांसद महोम्मद अदीब ने सऊदी अरब के इजराइल और अमेरिकी हमदर्दी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त किया है। सऊदी अरब की आलोचना करते हुए भारतीय उलेमा ए किराम से ज़ोरदार अपील की है कि वह उसके खिलाफ आवाज़ उठायें। उन्होंने उलेमा ए किराम से सवाल किया है कि आखिर वह इसके खिलाफ आवाज़ कब उठाएंगे?

कांस्टीट्यूशन क्लब में इंक़लाब ब्यूरो से बात करते हुए मोहम्मद अदीब ने कहा कि मैं उन सभी उलेमा ए किराम से कहना चाहता हूँ कि जो सऊदी सरकार के कसीदे पढ़ते रहते हैं और सऊदी अरब के कानून हम पर थोंपते हैं कि सऊदी अरब के जो क्राउन प्रिंस ने अमेरिका जाकर वहां इजराइल के समर्थन में जो बयान दिया है उसकी निंदा करने की जुरअत पैदा करें।

उन्होंने कहा कि अगर वह दीन की ओर आकर्षित हैं तो उन्हें सोचना चाहिए कि आप ने इजराइल को अगर पावर दे दी और वह यरूशलेम चला गया तो फिर मदीना भी नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि खुदा के लिए सऊदी सरकार के गलत कार्यों की निंदा करने की हिम्मत पैदा करें। उन्होंने कहा कि उन लोगों से बात कीजिये और बताइए कि उस देश में क्या हो रहा है।

क्या कहा था राजकुमार ने ?

सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा है कि इजरायल को अपनी जमीन पर शांति से रहने का अधिकार है। सलमान ने ये बयान एक इंटरव्यू में दिया। बिन सलमान ने इस बयान से रियाद और तेल अवीव के बीच रिश्तों के पास होने के संकेत भी दे दिया।

जब बिन सलमान से यह पुछा गया की “क्या उनका मानना है कि यहूदी लोगों को अपने पूर्वजों के देश के कम से कम हिस्से में राष्ट्र-राज्य का अधिकार है”?

तो उन्होंने कहा की “मेरा मानना है कि फिलीस्तीनियों और इजरायल को अपनी जमीन में रहने का अधिकार है, लेकिन हमें सभी के लिए स्थिरता सुनिश्चित करने और सामान्य संबंध रखने के लिए शांति समझौता करना होगा।”

जेफरी गोल्डबर्ग ने शहजादे से पूछा, ‘‘ क्या यहूदी लोगों को अपने पूर्वजों की भूमि के कम से कम एक हिस्से में एक राष्ट्र का अधिकार है?’’ तीन सप्ताह के दौरे पर अमेरिका आए शहजादे ने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि हर व्यक्ति चाहे वह कहीं भी हो, उसे अपने शांतिपूर्ण देश में जीवन जीने का अधिकार है. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि फिलिस्तीनियों और इजराइलियों को अपनी जमीन रखने का अधिकार है. ’’ शहजादे ने कहा, ‘‘ लेकिन हमें सभी की स्थिरता तथा सामान्य संबंध सुनिश्चित करने के लिए शांति समझौता करना होगा.’’