नई दिल्ली: सऊदी अरब में सरकार या उनके सहयोगियों के ख़िलाफ़ बोलने का मतलब सीधा जेल माना जाता है,क्योंकि सरकार किसी को कोई राय या मश्विरा देने की इजाजत नही देती है,जिसने आजतक सरकार में सुधार लाने या मश्विरा देने की कोशिश करी है उनका अंजाम बुरा हुआ है उन्हें जेलों के सींखचों की बंदिशें झेलनी पड़ी हैं।
सऊदी अरब के कई चोटी के उलेमा जिनका दुनियाभर नाम है जब उन्होंने सरकार के कार्यों की आलोचना करी तो उन्हें ऐसी जेल में क़ैद कर दिया गया है जिसका उनके परिजनों को भी नही मालूम है।
सऊदी के फ्रीलेंस जर्नलिस्ट मोहम्मद अल हुतैफी ने अपने एक ट्वीट में सऊदी अरब के एक सहयोगी देश की आलोचना करी थी जिसके बाद उन्हें जेल काटनी पड़ रही है और उन्हें पाँच साल की सज़ा सुनाई गई है।
अल जज़ीरा ने एक अज्ञात सूत्र का हवाला देते हुए कहा कि सऊदी अदालत ने यूएई और मिस्र के संदर्भ में विरोधी पोस्ट के बाद अल-हुतैफी का सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिया है।
#Saudi writer jailed following anti-UAE tweethttps://t.co/zifwbN7sMb
— Middle East Monitor (@MiddleEastMnt) May 31, 2018
मिडिल ईस्ट मॉनिटर के मुताबिक, सऊदी लेखक को जेल की अवधि पूरी होने के बाद पांच साल तक यात्रा करने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।
अरब नामा को मिली जानकारी के मुताबिक, सऊदी अधिकारियों ने 11 मई से अब तक कम से कम 11 प्रमुख महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच की मिडिल ईस्ट की निदेशक सारा लीह व्हिटसन ने कहा कि ऐसा लगता है कि सऊदी सरकार विपक्ष को चुप करने के अपने प्रयासों में इतनी गड़बड़ी कर रही थी।
सऊदी सरकार एक तरफ महिलाओं के अधिकारों की बात कर रही है तो दूसरी तरफ महिलाओं के हक में आवाज़ उठाने वाले कार्यकर्ताओं को ही सऊदी ने गिरफ्तार कर कर रहा है