कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर FIR दर्ज हुए भी 10 दिन बीत चुके हैं। नाबालिग समेत 7 महिला रेसलर्स ने उनके खिलाफ यौन शोषण का केस दर्ज कराया है। इनमें POCSO जैसी गंभीर धाराएं हैं, जिनमें आरोपी को फौरन गिरफ्तार करने के नियम हैं। इसके बावजूद अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे बृजभूषण सिंह को क्यों नहीं गिरफ्तार कर रही दिल्ली पुलिस और कितनी सही हैं ये वजहें? पूरे मामले को हमने 7 सवालों के जवाब में समेटा है…
सवाल 1: बृजभूषण सिंह के खिलाफ जो केस दर्ज हुए हैं, उसमें गिरफ्तारी के क्या नियम हैं?
जवाब: बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और सेक्शुअल हैरेसमेंट के केस दर्ज हुए हैं। नाबालिग से होने वाले सेक्शुअल हैरेसमेंट को रोकने के लिए पॉक्सो एक्ट कानून बना है। ये कानून काफी सख्त है। इस केस में आरोपी को पुलिस बेल नहीं दे सकती है। पुलिस सबसे पहले आरोपी को गिरफ्तार करती है और उसके बाद जांच आगे बढ़ाती है।
Vinod Kumar Dixit INC
@VinodKu51806624
बृजभूषण शरण सिंह पर 86 एफ आई आर दर्ज है अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी गवाह है लेकिन पुलिस कोई पूछताछ नहीं कर रही है राहुल गांधी जी ने चोर को चोर कह दिया था उनके ऊपर मुकदमा हुआ जज ने उनको सजा सुनाई और उनकी संसद सदस्यता निरस्त हो गई इसी को कहते हैं जुमलेबाज की गुंडागर्दी
यूपी के पूर्व DGP विक्रम सिंह के मुताबिक पुलिस गिरफ्तारी से पहले आरोप की सत्यता की जांच कर सकती है। प्राइमरी जांच में पुलिस को आरोप सही लगता है तो आरोपी को गिरफ्तार होने से कोई नहीं रोक सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के मुताबिक पॉक्सो कानून में केस दर्ज होने के बाद अपराधों की जांच और उनके ट्रायल के लिए विशेष व्यवस्था बनी है। ऐसे मामलों में गिरफ्तारी के बाद जमानत मिलने में भी मुश्किल होती है। FIR और गिरफ्तारी के लिए CrPC में कानूनी व्यवस्था बनाई गई है।
केस दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में अरनेश कुमार और बिहार सरकार के मामले में गाइडलाइन बनाई थीं, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह के मामले में उनका पालन नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की है। CrPC की धारा-41 और 42 के तहत पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।
सवाल 2: जब तुरंत गिरफ्तारी के नियम फिर बृजभूषण सिंह को 10 दिन बाद भी गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट ने सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो के मामले में कहा है कि संज्ञेय अपराध में भी गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है। जब तक ऐसा केस के जांच अधिकारी को न लगता हो। यानी यहां दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी को बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी जरूरी नहीं लगती। इसलिए उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश नहीं की जा रही।
#Shahji देखिये गुण्डे की हरकत 👇
एक युवा पहलवान आया और मंच पर बृजभूषण से कहा, "सर, हमें न्याय चाहिए ! यह सुनते ही #भाजपा_सांसद_बृजभूषण ने उन्हें थप्पड़ मारना शुरू कर दिया ! जब पुरुषों के साथ ऐसा बर्ताव किया जाता है, तो सोचिए कि उन्होंने महिला पहलवानों के साथ क्या किया होगा ? 👇 pic.twitter.com/5a1ZbQlg1S— Archana Singh (@BPPDELNP) April 30, 2023
हालांकि, ऐसी ही दूसरे मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। कानून के एक्सपर्ट रमेश गुप्ता का मानना है कि पुलिस गिरफ्तारी न करके अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है।
सवाल 3: बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार न करके पुलिस अपने अधिकारों का दुरुपयोग किस तरह कर रही है?
जवाब: विराग गुप्ता का कहना है कि रेप, मर्डर, किडनैपिंग और डकैती जैसे मामलों में शामिल लोगों की गिरफ्तारी जरूर होती है, जिससे समाज को और अपराधों से बचाया जा सके। इन 4 तरह सिनेरियो में आरोपी की गिरफ्तारी जरूरी हो जाती है…
1. अगर संगीन अपराध हुआ है
2. अगर आरोपी से समाज को खतरा है
3. अगर आरोपी से सबूतों और गवाहों को खतरा है
4. अगर आरोपी के भागने का खतरा है
बृजभूषण सिंह के केस में 4 में से 3 सिनेरियो गिरफ्तार किए जाने की तरफ इशारा करते हैं।
1. बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में केस दर्ज हुआ है, जो संगीन अपराध है। इस आधार पर देखें तो गिरफ्तारी होनी चाहिए।
2. बृजभूषण के खिलाफ 30 से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं। इनमें मर्डर, आर्म्स एक्ट जैसे अपराध शामिल हैं। इस आधार पर देखें तो गिरफ्तारी होनी चाहिए।
3. बृजभूषण सिंह 6 बार से सांसद हैं। वह कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। इस पद रहते हुए उन पर ये गंभीर आरोप लगे हैं। इसके बावजूद वह अपने पद पर बने हुए हैं। ऐसे में पद और रसूख का इस्तेमाल करके वह सबूत से छेड़छाड़ कर सकते हैं। इस आधार पर भी उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए।
4. वह बड़े नेता हैं। एक बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। ऐसे में उनके भागने की संभावना कम है। ऐसे में इस आधार पर उनके गिरफ्तारी की जरूरत नहीं लगती है।
सवाल 4: क्या किसी पद पर होने की वजह से बृजभूषण अभी गिरफ्तार नहीं होंगे?
जवाब: विराग गुप्ता कहते हैं कि आपराधिक कानून के मामले में संविधान के अनुसार राष्ट्रपति और राज्यपाल को विशेष सुरक्षा मिली है और अन्य सभी लोग कानून के सामने बराबर हैं।
संसद सत्र के दौरान यदि किसी सांसद की गिरफ्तारी होती है तो स्पीकर को सूचित करने का नियम और प्रोटोकॉल है, लेकिन भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और सांसद होने के नाते बृजभूषण शरण को विशेष कानूनी कवच नहीं मिला है।
सवाल 4: जिन दो मामलों में बृजभूषण के खिलाफ केस दर्ज हुए हैं, उनमें कितनी सजा मिल सकती है?
जवाब: बृजभूषण के खिलाफ महिला की लज्जा भंग करने के आरोप में IPC की धारा 354, 354(A), 354(D) के तहत केस दर्ज किया गया है। इस मामले में अगर वो दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें अधिकतम 3 साल तक की सजा हो सकती है। वहीं, एक केस पॉक्सो एक्ट में भी दर्ज किया गया है। पॉक्सो एक गैर-जमानती अपराध है। इसमें दोषी पाए जाने पर कम से कम 7 साल की जेल और अधिकतम उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
सवाल 5: क्या इस तरह के मामले में पद या सांसदी पर भी कोई असर पड़ सकता है?
जवाब: देश में एक तिहाई विधायक और सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। बृजभूषण शरण के खिलाफ पहले भी कई आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। सरकारी अधिकारियों के खिलाफ FIR हो जाए तो उन्हें नौकरी से निलंबित कर दिया जाता है, लेकिन ऐसे मामलों में सांसदों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
इस मामले की जांच के बाद चार्जशीट फाइल होगी या फिर पुलिस क्लोजर रिपोर्ट भी फाइल कर सकती है। लोकसभा की अवधि एक साल के भीतर समाप्त हो रही है, इसलिए उनकी वर्तमान सांसदी में कोई संकट नहीं दिखता है। अदालत में लंबे ट्रायल के बाद यदि उन्हें दो साल से ज्यादा की सजा हुई तो अयोग्य होने के कारण भविष्य में वह 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
सवाल 6: क्या सेक्शुअल हैरेसमेंट और पॉक्सो एक्ट में दर्ज केस की कार्रवाई के नियम बाकी धाराओं में दर्ज केस से अलग होते हैं?
जवाब: 2012 में निर्भया कांड की वजह से यौन अपराधों के मामले में जांच के लिए वर्मा कमीशन बना। 2013 में इस कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद कई कानूनों में बदलाव हुए। यौन अपराध को लेकर कानून पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं। यूपी के पूर्व DGP विक्रम सिंह के मुताबिक बाकी धाराओं में दर्ज केस से पॉक्सो एक्ट में दर्ज केस दो वजहों से अलग होते हैं…
यौन अपराध के मामले में सही से कार्रवाई नहीं करने पर IPC की धारा 166A के तहत पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। उचित कार्रवाई नहीं करने वाले अधिकारियों को अपराधी माना जाएगा और उन्हें 6 महीने की जेल हो सकती है।
सेक्शुअल हैरेसमेंट के केस में CrPC के तहत 90 दिनों के अंदर जांच पूरी होनी चाहिए। अरेस्ट के लिए कोई तय समय नहीं होता है। हालांकि, पॉक्सो में अरेस्ट का ही नियम है और बेल का कोई प्रावधान नहीं है।
सवाल 7: बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विदेश में यौन शोषण के आरोप हैं, ऐसे में क्या जांच पर कोई असर पड़ सकता है?
जवाब: विराग का कहना है कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विदेश में यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगे हैं। ऐसे मामलों की जांच में क्षेत्राधिकार का सवाल खड़ा हो सकता है। मामले बहुत पुराने होने की वजह से सबूतों को जुटाना भी मुश्किल होगा।
गुंडई ऐसी कि SP ऑफिस में SP पर ही पिस्टल तान दी। राजनीति ऐसी कि लगातार 6 बार से सांसदी का चुनाव जीत रहे हैं। कारोबार ऐसा कि 50 से ज्यादा स्कूल-कॉलेज के मालिक हैं। रसूख ऐसा कि पार्टी लाइन से अलग भी बयानबाजी करते हैं। बेधड़क इतने कि इंटरव्यू में हत्या की बात कबूल करते हैं। दबदबा ऐसा कि 11 साल से भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष हैं।
हम बात कर रहे हैं बृजभूषण शरण सिंह की, जिनके खिलाफ एक बार फिर देश के कई नामी पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 8 पहलवान सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। इन्होंने कोर्ट से बृजभूषण के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है।
SP ऑफिस में ही SP पर पिस्टल तान दी
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक कांग्रेसी नेता हुए चंद्रभान शरण सिंह। उन्हीं के परिवार में 1957 में बृजभूषण शरण सिंह पैदा हुए। कॉलेज के दिनों से ही बृजभूषण छात्र राजनीति में सक्रिय थे।
सत्तर के दशक में के.एस. साकेत महाविद्यालय, अयोध्या में महामंत्री बने। स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि छात्र राजनीति के दौरान ही कॉलेज के किसी मामले में उन्होंने हैंडग्रेनेड चला दिया था, जिसके बाद उनका नाम उछला और फिर राजनीति में वो सक्रिय होते गए।
1987 की बात है। जिले के गन्ना डायरेक्टरी के चुनाव में बृजभूषण ने भी पर्चा भर दिया। बृजभूषण को SP ने बुलाया और उन्हें गाली देते हुए नामांकन वापस लेने की धमकी दी।
बृजभूषण एक इंटरव्यू में बताते हैं, ‘मैंने SP पर पिस्टल तान दी और उसे 200 गालियां दीं। स्थानीय पत्रकार हनुमान सिंह सुधाकर वहीं थे। इसके बाद मैंने अपनी बाइक उठाई और वहां से निकल गया।’
बाबरी मस्जिद गिराने के लिए फावड़ा और बेलचा दिया
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी समेत जो 40 लोग आरोपी बनाए गए, उनमें बृजभूषण शरण सिंह भी थे।
एक इंटरव्यू में बृजभूषण बताते हैं, ‘जब कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद पर हमला किया तो किसी के पास कोई हथियार नहीं था। वहां पास में कृष्णा गोयल का काम चल रहा था। हमने स्टोर रूम तोड़ा और कारसेवकों तक गैती फरुआ पहुंचाया। हमने गिराया नहीं है, लेकिन रात 10 बजे तक हम वहीं थे।’
CBI की स्पेशल कोर्ट ने साल 2020 में बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
1991 में BJP के टिकट से शुरू हुआ जीत का सिलसिला
छात्र राजनीति और जन्मभूमि आंदोलन की वजह से बृजभूषण क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हो चुके थे। 1991 में जब BJP ने बृजभूषण सिंह को लोकसभा टिकट दिया तब इनके खिलाफ 34 आपराधिक मामले दर्ज थे। BJP ने सिंह को गोंडा का रॉबिनहुड कहकर बचाव किया। वो बड़े अंतर से चुनाव जीते।
1996 में जब बृजभूषण सिंह टाडा के तहत तिहाड़ जेल में सजा काट रहे थे, तब इनकी पत्नी केतकी सिंह ने गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। बृजभूषण के जेल में होने के बावजूद केतकी सिंह ने कांग्रेस के आनंद सिंह को 80,000 वोटों से हराया।
बृजभूषण को जेल में मिली वाजपेयी की लिखी चिट्ठी
बृजभूषण शरण सिंह को लेकर सबसे बड़ा विवाद तब हुआ था, जब इन पर अंडरवर्ल्ड के साथ जुड़े होने के आरोप लगे। इनके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से टाडा का मामला दर्ज किया गया। दाऊद से फोन पर बात करने और उसकी मदद करने के आरोप भी लगे थे। बाद में CBI ने इन सभी आरोपों से सिंह को बरी कर दिया।
30 मई 1996 को तिहाड़ जेल में सजा काट रहे बृजभूषण सिंह को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की चिट्टी मिली। इसमें उन्होंने लिखा था कि आप बहादुर हैं। सावरकर जी को याद करिए। उन्हें उम्रकैद की सजा मिली थी।
मायावती और संघ के बड़े नेता से ले लिया पंगा
बृजभूषण एक इंटरव्यू में बताते हैं, ‘मायावती का गोंडा में एक कार्यक्रम था। उन्होंने गोंडा का नाम बदलकर लोकनायक जयप्रकाश नगर करने की घोषणा की। मैं मायावती से भिड़ गया। मैंने आंदोलन खड़ा किया। इसकी तस्वीरें लेकर मैं अटल जी के पास गया और अटल जी ने एक फोन पर जिले का नाम रोक दिया, लेकिन ये नामकरण संघ के बड़े नेता नाना जी ने कराया था और फिर मेरा संघ में विरोध शुरू हो गया।’
गोंडा से बृजभूषण का टिकट काटकर घनश्याम शुक्ल को दे दिया गया। जिस दिन वोट पड़ रहा था उसी दिन घनश्याम शुक्ल का एक्सीडेंट में निधन हो गया। कुछ दिनों बाद एक्सीडेंट कराने का आरोप बृजभूषण पर लगा।
इस घटना की CBI जांच का आदेश दिया गया। बाद में बृजभूषण BJP छोड़कर सपा में शामिल हो गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीते। 2014 के चुनाव से पहले BJP में घर वापसी हो गई और तब से BJP सांसद हैं।
बृजभूषण ने मंच पर पहलवान को जड़ा था थप्पड़
रांची में अंडर-15 नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण ने एक पहलवान को मंच पर ही थप्पड़ जड़ दिया था। दरअसल, उस पहलवान की उम्र ज्यादा थी। वो बृजभूषण के कॉलेज के नाम पर प्रतियोगिता में शामिल होना चाहता था। वहां बृजभूषण बैठे थे और उन्होंने पहलवान पर हाथ छोड़ दिया।
इंटरव्यू में खुद कबूली एक हत्या करने की बात
यूपी में 2022 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सांसद बृजभूषण शरण का एक इंटरव्यू खूब वायरल हुआ। इसमें उन्होंने खुद एक हत्या की बात कबूली। कहा- मेरे जीवन में एक हत्या मुझसे हुई है। लोग चाहे कुछ भी कहें। रविंद्र को जिस आदमी ने मारा था। उसकी पीठ पर राइफल से मैंने गोली मारी थी।
दरअसल, यह मामला 1983 का है। रविंद्र सिंह, अवधेश सिंह और बृजभूषण तीनों दोस्त थे। ये खनन के ठेके लेते थे। तीनों दोस्त एक जगह गए तो वहां पर विवाद हो गया। वहां उनके दोस्त को किसी ने गोली मार दी। इसके बाद बृजभूषण ने हमला करने वाले को गोली मार दी। बताया जाता है कि इस मामले में कोर्ट ने उनको बरी कर दिया।