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💃💃💃स्त्री की परिभाषा💃💃💃-सीताराम “पथिक” की रचना पढ़िये!
Sitaram Pathik =============== 💃स्त्री की परिभाषा💃 🌻🌹💚🪔💚🌹🌻 किसी ने उजली आशा लिख दी, किसी ने घोर निराशा लिख दी। जिसने जैसा चाहा जग में, स्त्री की परिभाषा लिख दी। लिखने वालों ने स्त्री मन, एक बार भी झांक न देखा, पुरुषों ने तो अपने मन की, सारी बस अभिलाषा लिख दी। इस समाज ने एक […]
“जिस दिन तुम्हें लगे कि तुम एक बार भी क्रोधित नहीं हुए, ठोंकी हुई कीलों में से एक कील निकाल लेना”
Dr. Sweety Srivastava -Clinical psychologist ================ Krodh: *एक पिता ने अपने गुस्सैल बेटे से तंग आकर उसे कीलों से भरा एक थैला देते हुए कहा ,”तुम्हें जितनी बार क्रोध आए तुम थैले से एक कील निकाल कर बाड़े में ठोंक देना !”* बेटे को अगले दिन जैसे ही क्रोध आया उसने एक कील बाड़े की […]
⚘रावण ज़ोरों का ठहाका लगाया, फिर अचानक शान्त हो कुछ सोचा और मुस्कुराया : रूबी सत्येन्द्र कुमार की कविता
रूबी सत्येन्द्र कुमार की कविता मंजरी =============== · छन्दमुक्त कविता लंकापति ⚘अबकी दशहरे पर हमने फिर इक रावण बनाया। ⚘बिल्कुल रावण के जैसे भीमकाय शरीर पर बीस भुजाओं व दस सिरों को सजाया। ⚘रेशमी चमकदार वस्त्रों व आभूषणों को भी पहनाया। ⚘अब रावण ठहरे लंकापति यही सोचकर थोडा भव्य जलवा भी बनाया। ⚘जब रावण तैयार […]