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समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता देने की याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘पर्सनल लॉ’ पर विचार नहीं किया जाएगा!

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को साफ कर दिया कि समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर फैसला करते समय वह शादियों से जुड़े ‘पर्सनल लॉ’ पर विचार नहीं करेगा और कहा कि एक पुरुष और एक महिला की धारणा, जैसा कि विशेष विवाह अधिनियम में संदर्भित है, वह “लिंग के आधार पर पूर्ण नहीं है।.

संवेदनशील मुद्दे पर दिन की कार्यवाही केंद्र की पुरजोर दलील के साथ शुरू हुई कि उसकी “प्रारंभिक आपत्ति” सुनी जाए और पहले फैसला किया जाए कि अदालत उस सवाल पर विचार नहीं कर सकती, जो अनिवार्य रूप से ‘संसद के अधिकार क्षेत्र’ में है।.