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समलैंगिक सम्बन्धों पर आये फैसले के बाद दारुल उलूम देवबन्द ने जताई नाराज़गी,देखिए क्या कहा ?

नई दिल्ली: 6 सितंबर का दिन भारत के इतिहास के लिये बड़ा महत्वपूर्ण होगया है जब आज़ादी के नाम पर चंद लोगों की मांग पर भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध की श्रेणी से निकाल दिया है,और इसको एक सामाजिक रिश्ते के तौर पर स्वीकार कर लिया है,सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है कि भारत में अब दो वयस्कों के आपसी सहमति से के साथ बनाये गए सम्बन्ध अपराध नही है।

इस फैसले के बाद से देशभर के कई सारे लोगो को बड़ा दुःख हुआ है और उन्होंने इसकी खुले शब्दों में निंदा करी है,वहीं बॉलीवुड में इसको लेकर जश्न मनाया जारहा है,कई सारे बड़े सेलिब्रिटीयों ने इसको आज़ादी की जीत बताया है।

एशिया में सबसे बड़े दीनी ऐसिहसिक मदरसे दारुल उलूम देवबंद ने इसको भारतीय संस्क्रति के विपरीत बताते हुए कहा कि ये अस्वीकार्य है और दुःख दायक है,इस सम्बन्ध में दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ़्ती अबुल क़ासिम नोमानी ने कड़े शब्दों में समलैंगिकता पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दुनिया के सभी धर्मों और प्रतिष्ठित समाज में इसको बुरा समझा गया है और इसको जुर्म माना गया है।

मुफ़्ती अबुल क़ासिम ने कहा कि नैतिक और प्राकृतिक रूप से समलैंगिलता एक शर्मनाक बुरा काम है,इस्लाम ने इसको हराम क़रार दिया है,क्योंकि ये घिनोना अपराध है,मोहतमिम दारुल उलूम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हम कोई टिपण्णी नही कर कसते इसलिए कि अभी इस फैसले की कॉपी हमारे पास नही है।

मुफ़्ती अबुल क़ासिम ने आगे बात करते हुए कहा कि लेकिन जितना खबरों में पता चला है उससे ये ही अंदाज़ा लगाया जासकता है कि समलैंगिक सम्बन्ध भारत में एक प्रतिष्ठित समाज के लिये अस्वीकार्य है,और दुःखदायक हैं।