ब्लॉग

समाज में बदलाव लाने के लिये किसी एक को कदम तो उठाना पड़ेगा…By-Shikha Singh

Shikha Singh
===============
इसे पूरा पढ़े
सभी को अपने दिमाग़ का विकास करना होगा किसी से ईष्या नहीं अपना होना तय करे
खुद का होना खत्म न करे, खुद का समाज में बराबरी का अधिकार तय करें ,यहाँ पुरुष या लड़कों से आपका निजी स्वार्थ द्वश या बदला लेना नहीं है ।
यहां सम्मान का अधिकार है हम सब भाई बहनों के साथ बड़े होते हैं।
पर फिर भी ये अधिकार बराबर क्यों नहीं दिये जाते, इसमें माता पिता और समाज का ही दोष है जो यह कह कर छोटा कर देता है। कि तुम लड़की हो जरा झुक कर रहो ।
बहू हो तो जरा सम्भल कर रहो ।
हमेशा लड़की के ही चरित्र पर ही सवाल क्यों लड़के के चरित्र पर क्यों नहीं ,ऐसे बहुत से सवाल हैं जो समाज परिवार स्वयं शुरु करते हैं और समाज का नाम देकर उनको परंपराओं में या रुढ़िवादी विचार कह कर बंधन बना देते हैं।
जब तक हम सब अपने सभी कामों में समानता नहीं लायेंगे तब तक कुछ भी नहीं बदल सकता ।
समाज में बदलाव लाने के लिये किसी एक को कदम तो उठाना पड़ेगा और आलोचना से भी धिरना पड़ेगा अपमानित भी होना पड़ेगा ।
डा० भीमराव अम्बेडकर जी ने अपने लिये कुछ नहीं किया समाज के निचले वर्ग और महिलाओं के लिये पीड़ा को सहन किया इतना संघर्ष समाज के लिये किया ।
हम सब को विचार संस्कार और व्यवहार बहुत कुछ बदलना पड़ेगा
लोग समाज को ऐसे ही नहीं बदलते उसमें साथ देना होता है ।
बेटी दिवस मनाने से हम बेटियों को आज़ाद या सम्मान नहीं देते उनका सम्मान सम्पूर्ण रुप से देने के लिये उन्हें स्व छंद और स्वतंत्र करना होगा वो है उनका डर समाज, परिवार, बलात्कार, ताने , षडयंत्र, यदि से मुक्ति ।
जितनी अपने कोख में पल रहे बेटे बेटी को बराबर के संस्कार और परवरिश नही दी जाती है।
आगे फिर कभी ..?
फिर भी
बेटी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं मेरी ओर से आज़ादी के साथ 😊 ❤🙏