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सरकार में समय पर फ़ैसले नहीं लिए जाते हैं, नितिन गडकरी का मोदी सरकार पर निशाना : गडकरी ने बीजेपी के उभार का श्रेय अटल, आडवाणी को दिया!

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का सरकार के कामकाज को लेकर दिया गया बयान एक बार फिर चर्चा है. उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ”सरकार में समय पर फ़ैसले नहीं लिए जाते हैं.”

अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया लिखता है कि नितिन गडकरी ने रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कहें.

उन्होंने कहा, ”निर्माण के मामले में समय सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है. समय सबसे बड़ी पूंजी है. सबसे बड़ी समस्या ये है कि सरकार फ़ैसले समय पर नहीं लेती है.”

उन्होंने कहा, ”आप चमत्कार कर सकते हैं. हमारे पास क्षमता है. मेरा कहना है कि भारत के बुनियादी ढांचे का भविष्य सुनहरा है. हमें दुनिया और भारत की अच्छी तकनीक़, अच्छी रिसर्च और सफ़ल तरीक़ों को स्वीकार करना होगा. हमारे पास वैकल्पिक संसाधन होने चाहिए जिससे हम गुणवत्ता से समझौता किए बिना लागत घटा सकें.”

अख़बार हिन्दुस्तान की वेबसाइट पर भी गडकरी के बयान की ख़बर है जिसका शीर्षक है- “समय पर फैसले नहीं लेती सरकार, नितिन गडकरी ने फिर इशारों में कह दी चुभने वाली बात”

हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार गडकरी ने साथ ही ये भी कहा, “मैं जब महाराष्ट्र में मंत्री था तो मैंने कह दिया था कि जो 1 दिन पहले बनेगा तो एक लाख रुपये का इनाम मिलेगा. यदि देरी हुई तो फिर इसी हिसाब से फाइन देना होगा. माहिम में फ्लाईओवर बनाने के लिए समय 24 महीने का था, लेकिन ठेकेदार ने 21 महीने में ही तैयार कर दिया. इसकी वजह यह थी कि उसे बोनस मिलना था.”

हालांकि, पार्टी ने गडकरी के बयान पर सफ़ाई देते हुए कहा कि उनका मतलब किसी एक सरकार से नहीं बल्कि सामान्य तौर पर सभी सरकारों से था.

इसके कुछ घंटों बाद नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान नितिन गडकरी ने बीजेपी के उभार का श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और दीनदयाल उपाध्याय को दिया.

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के मुंबई में 1980 के एक कॉनक्लेव में दिए गए भाषण का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, ”अटल जी ने कहा था कि अंधेरा छंट जाएगा, सूरज चमकेगा और एक दिन कमल खिलेगा… नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ऐसा काम किया है कि आज हम मोदी जी के नेतृत्व में सत्ता में हैं.”

पिछले महीने भी नितिन गडकरी का एक बयान सुर्खियां बना था जब उन्होंने कहा था कि राजनीति आजकल सत्तानीति हो गई है. इसका लोग कल्याण से कोई लेना-देना नहीं रह गया है. कई बार तो लगता है कि राजनीति से संन्यास ही ले लिया जाए.

हाल ही में नितिन गडकरी इसलिए भी चर्चा में आए थे क्योंकि उन्हें बीजेपी के संसदीय बोर्ड से हटा दिया गया था. इस  फ़ैसले को पार्टी में उनका कद घटने के तौर पर देखा जा रहा था.