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सवाल – तस्वीर में जो बुजुर्ग महिला हैं, उन्होंने नाक में क्या पहन रखा है?….By – Mamta Singh

Mamta Singh
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सवाल-3 तस्वीर में जो बुजुर्ग महिला हैं, उन्होंने नाक में क्या पहन रखा है?
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प्रदीप मंडोलिया जी,
यह अपातानी जनजाति की एक बुजुर्ग महिला हैं। नाक के दोनों ओर लकड़ी की ठेपियां यानि नोज प्लग लगाने की परंपरा को यहां ‘यापिंग हुर्लो’ कहा जाता है। लेकिन यह अब बीते जमाने की बात हो गई है। क्योंकि 1970 में ही अरुणाचल सरकार ने इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, गांव की वृद्ध महिलाएं अब भी इसके साथ नजर आ जाती हैं।


मालूम हो कि अरुणाचल प्रदेश में 26 जनजातियां और 100 से अधिक उपजातियां रहती हैं। इनमें से अपातानी चौथी सबसे बड़ी जनजाति है। डोन्यी-पोलो यानी सूर्य और चंद्रमा की उपासना करने वाले ज़िरो वैली के लोगों को अपातानी कहा जाता है। देश के कई जनजातीय समुदायों से वैचारिक रूप से अधिक परिपक्व, जल, जंगल, जमीन के रक्षक कहे जाने वाले अपातानी समाज की कई अनूठी विशेषताएं हैं। इन्हीं में से एक है युवतियों की पहचान नाक के दोनों ओर लकड़ी की ठेंपियां यानी नोज प्लग और चेहरे पर बने गोदना यानी टैटू की परंपरा।


जानकार बताते हैं कि लंबे समय तक इनका बाहरी दुनिया से कोई खास संपर्क नहीं था। इनके बारे में कहा जाता है कि सबसे पहले 1897 में एक ब्रिटिश फोटोग्राफर ने नोज प्लग और टैटू लगाए महिलाओं की तस्वीरंे खीचीं। इसके बाद ही बाहरी दुनिया ने इनके बारे में जाना और इनसे संपर्क बढ़ा।
यहां की कुछ महिलाओं ने बताया कि नोज प्लग और टैटू करवाना तब काफी कष्टदायक और जानलेवा था। तब टैटू बनाने के लिए किसी बंदूक और विशेष प्रकार की स्याही का इस्तेमाल नहीं होता था। इसके लिए चाकू से गाल के नीचे हिस्से पर चीरे लगाए जाते थे। उसके बाद उन चीरों का रंग गहरा नीला करने के लिए उन पर जानवरों की चर्बी की लेप लगाई जाती थी। टैटू की लाइन मोटी और गहरी हो, इसके लिए जख्मों में संक्रमण होने दिया जाता था। इस क्रम में टिटनेस आदि से कई बार लड़कियों की मौत हो जाती थी, क्योंकि तब इलाज के लिए आधुनिक साधन भी मौजूद नहीं थे। इसी प्रकार नाक में ठेंपियां यानी नोज प्लग लगाने के बारे में महिलाओं ने बताया कि यह लकड़ी की गुटके होते थे जो उम्र के साथ छेद बढ़ने के कारण दूसरे साइज के लगवाए जाते थे।
जाने माने समाजशास्त्री और चिकित्सक डा. तागे कानो बताते हैं कि उनके समाज के बारे में सुनियोजित तरीके से नोज प्लग और टैटू परंपरा के चलन को लेकर मिथक गढ़ा गया जो सरासर गलत है।
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