सेहत

सांस संबंधी किसी बीमारी से मौत का जोखिम बढ़ जाता है : रिपोर्ट

लंदन, आठ मार्च (भाषा) शैशवावस्था में श्वसन संबंधी संक्रमण होने पर 26 से 73 साल की आयु के बीच सांस संबंधी किसी बीमारी से मौत का जोखिम बढ़ जाता है। लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।.

अध्ययन के मुताबिक श्वसन संबंधी रोगों से समय-पूर्व मृत्यु के कुल मामले कम हैं, लेकिन दो साल की उम्र तक ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसे निचली श्वसन नलिका संक्रमण (एलआरटीआई) से ग्रसित होने वाले लोगों के वयस्क होने पर सांस संबंधी बीमारी से समय-पूर्व मृत्यु का खतरा 93 प्रतिशत अधिक होता है, भले ही सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि कैसी भी हो।.

Yogi Anand Rishi
@YogiAnandRishi

मुलेठी का उपयोग कर कोरोना पर पाये काबू मुलेठी गरम पानी और नमक का गरारा गले के लिए सैनिटाइजर- गला या इससे जुड़े किसी भी संक्रमण, कफ, सांस संबंधी तकलीफ, त्वचा रोगों, खून की उल्टी, शरीर से विषैले तत्त्व बाहर निकालने, अल्सर, मुंह के छाले, कमजोरी दूर करने, घाव भरने, अपच आदि में फायदेम

शोध में दावा, कोरोना संक्रमण के दौरान ब्लड ग्रुप से सांस संबंधी बीमारियों का संबंध

एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान सांस संबंधी समस्याएं विकसित होने में रुधिर वर्ग यानि कि ब्लड ग्रुप मुख्य घटक का काम करता है। इस अध्ययन में इटली और स्पेन के हॉटस्पॉट इलाकों के 1,610 मरीजों पर किया गया, जिसके आधार पर यह बात कही गई है।

शोध में बताया गया है कि जिन मरीजों का ब्लड ग्रुप ‘A’ पॉजिटिव है, उनमें खतरे का डर ज्यादा है। जबकि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ‘O’ पॉजिटिव है, वो कुछ हद तक सुरक्षित हैं। हालांकि इस शोध की अभी समीक्षा होनी बाकी है। अध्ययनकर्ताओं का पता लगाना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद उन लोगों में क्या-क्या आम जीन थे जिन्हें सांस संबंधी गंभीर बीमारी हुई।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन में कुछ महत्वपूर्ण बातें सामने रखी कि जिन मरीजों का ब्लड ग्रुप ‘A’ पॉजिटिव है, उनमें खतरे का डर ज्यादा है। जबकि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ‘O’ पॉजिटिव है, वो कुछ हद तक सुरक्षित हैं। ‘ABO’ ब्लड ग्रुप बताता है कि किसी इंसान का ब्लड ग्रुप क्या है। इस शोध से वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस को लेकर ज्यादा फायदा मिल सकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वायरस के गंभीर होने के पीछे सबसे बड़ा कारण होता है, सांस लेने में दिक्कत होना। कोविड-19 के अलग-अलग लक्षण, अलग उम्र और लिंग वाले लोगों के लिए अलग रहते हैं। शुरुआत से ऐसा कहा जा रहा है कि कोविड-19 से बुजुर्गों को ज्यादा बचने के लिए जरूरत है।

यह शोध स्पेन और इटली के हॉटस्पॉट वाले इलाकों के 1,610 मरीजों के सैंपल के आधार पर तैयार किया गया है, इन मरीजों में कोरोना गंभीर स्थिति में था। लोगों के आम जीन की तुलना करने के लिए 2,205 लोग जिन्होंने रक्तदान किया था, उनके भी सैंपल लिए गए।

शोध में यह भी बताया गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ मरीजों में खून के धक्के जमने जैसे भी लक्षण दिखाई दिए। जीनोम-वाइड एसोसिएशन अध्ययन बीमारी को समझने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सभी घटकों मे से सबसे महत्वपूर्ण हैं। जीनोम बताया है कि कैसे कोई शरीर कोशिकाएं बनाती है।

आण्विक जीव विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ आरएन माकरू का कहना है कि बीमारी और बल्ड ग्रुप में एक गहरा संबंध होता है लेकिन कोरोना के मामले इस संबंध में तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता, जबतक एक पुख्ता शोध विकसित ना हो जाए।