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साहेब के ग़ुलाम ने केन्द्र सरकार को सचेत कर दिया, ”यूसीसी से सभी अल्पसंख्यक नाराज़ हो जाएंगे”

भारत के पूर्व केंद्रीय मंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को आगाह करते हुए कहा कि यह क़दम एक साथ सभी अल्पसंख्यक समुदायों को नाराज़ कर देगा।

ग़ुलाम नबी आज़ाद ने जोर देकर कहा कि यूसीसी को लागू करना अनुच्छेद 370 को रद्द करने जितना आसान नहीं होगा क्योंकि इसमें सभी धर्म शामिल हैं।

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि इसे लागू करने का सवाल ही नहीं पैदा होता, यह अनुच्छेद 370 को रद्द करने जितना आसान नहीं है, इसमें सभी धर्म शामिल हैं, न केवल मुस्लिम, बल्कि ईसाई और सिख के अलावा आदिवासी, जैन, पारसी भी हैं, एक साथ इन सभी लोगों को नाराज़ करना किसी भी सरकार के लिए अच्छा नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि इसलिए मैं इस सरकार को सुझाव देता हूं कि वह यह क़दम उठाने के बारे में सोचे भी नहीं।

मालूम हो कि समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि सभी लोग, चाहे वे किसी भी क्षेत्र या धर्म के हों, नागरिक क़ानूनों के एक समूह के तहत बंधे होंगे।

समान नागरिक संहिता, सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, वर्तमान में विभिन्न धर्मों के अलग-अलग व्यक्तिगत क़ानून यानी पर्सनल लॉ हैं।

यूसीसी का कार्यान्वयन दशकों से भाजपा के एजेंडे में रहा है, लेकिन बीते जून महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्य प्रदेश में एक रैली के दौरान इसकी जोरदार वकालत करने के बाद इसे लेकर नए सिरे से राजनीतिक विमर्श शुरू हो गया है।