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सीरिया और इराक़ में दाइश को फिर से सक्रिय करने में लगा अमरीका

इस बारे में लगातार चेतावनियां दी जा रही हैं कि अमरीका, दाइश के आतंकवादियों को फिर सक्रिय कर रहा है।

हालिया दिनों में सीरिया और इराक़ के स्थानीय सूत्रों ने बताया है कि सीरिया में जेलों में बंद दाइश के आतंकवादियों को जेलों से निकालकर अमरीका, फिर से उनको सक्रिय करना चाहता है।

इस संदर्भ में सीरिया के एक अधिकारी ने बताया है कि अमरीका जब भी क्षेत्र में स्वयं को धिरा हुआ पाता है या फिर यह सोचता है कि अमुक अभियान में उसको पराजय का मुंह देखना पड़ सकता है तो वह सीरिया की जेलों में बंद दाइश के आतंकवादियों से सहायता लेता है।

इसी बीच इराक़ के एक सुरक्षा सूत्र ने बताया है कि अलहसका और ग़वीरान की जेलों से क़ैदियों को भगाया जाना अमरीकी योजना का हिस्सा है जिसके अन्तर्गत दाइश के उन ख़ूख़ार कमांडरों को जेल से भगाया जा रहा है जिनको फांसी की सज़ा हुई है।

हालिया कुछ दिनों के दौरान संचार माध्यमों ने पूर्वोत्तरी सीरया की जेलों से कुछ आतंकवादियों के निकल भागने की सूचना दी थी। यह वह घटना है जिसकी पिछले दो वर्षों के बीच कई बार पुनरावृत्ति हुई है। अमरीका के जनरल माइक एरिक कोरिला ने 21 अगस्त को सीरिया की यात्रा की थी। अपनी इस यात्रा के दौरान अमरीकी जनरल ने पूर्वोत्तरी सीरिया में स्थिति उन दो शिविरों का निरीक्षण किया था जिनमें दाइश के आतंकी और उनके परिवार के सदस्य रहते हैं।

उधर इराक़ के सुन्नी मुसलमानों के धर्मगुरूओं के संघ के प्रमुख जब्बार अलमावूरी ने दियाला प्रांत में अपने एक भाषण में सचेत किया कि अमरीकी, सीरिया की अलहूल छावनी में दाइश की चौथी पीढी को तैयार कर रहे हैं। उन्होंने इसको बहुत ही ख़तरनाक योजना बताया है। अलहूल नामक शिविर, पूर्वोत्तरी सीरिया में स्थित है जो इराक़ की सीमा से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका प्रबंधन अमरीका के नियंत्रण वाले सीरिया के कुर्द डेमोक्रेटिक बलों के हाथों में है।

जानकारों का कहना है कि हालिया समय में सीरिया के विभिन्न क्षेत्रों में की जाने वाली आतंकवादी कार्यवाहियों में दाइश के उन्ही तत्वों का हाथ था जिनको कुर्दो के नियंत्रण वाली जेलों में रखा गया था। टीकाकारों का कहना है कि क्षेत्र में अगर दाइश को अमरीका द्वारा फिर से ज़िंदा किया गया तो इसका सबसे बड़ा नुक़सान यूरोपीय संघ को होगा।

इसका कारण यह है कि सीरिया के अलहूल शिविर में दाइश के जो आतंकवादी मौजूद हैं उनमें से अधिकांश का संबन्ध यूरोपीय देशों से हैं जिनको यह देश ले नहीं रहे हैं। अब जबकि दाइश के आतंकवादियों को जेलों से फरार कराए जाने की प्रक्रिया जारी है एसे में वहां से बाहर आने वाले आतंकवादियों के क़दम यूरोप तक पहुंचेंगे जिनको रोकना संभव नहीं होगा।