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सीरिया ने ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन में सदस्यता प्राप्त करने की कोशिश शूरू की : रिपोर्ट

सीरिया ने ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन में सदस्यता प्राप्त करने की कोशिश शूरू कर दी है।

सीरिया के वित्तमंत्री कनआन याग़ी ने बताया है कि दमिश्क़ ने ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन में सदस्यता हासिल करने का प्रयास आरंभ कर दिया है।

उन्होंने यह भी बताया कि सीरिया के भीतर Sberbank की ब्रांच खुलने जा रही है। यह रूस की सबसे बड़ी बैंक है जिसको यूरोप की तीसरी सबसे बड़ी बैंक माना जाता है। इसी बीच समाचार मिला है कि सीरिया के अतरिक्त 13 अन्य देश ब्रिक्स की सदस्यता के लिए कोशिश कर रहे हैं। चीन जब ब्रिक्स का प्रमुख था तो उसने इसके विस्तार की बात कही थी। लगभग सात वर्ष पहले उसने ब्रिक्स पल्स के गठन की बात पेश कर दी थी।

ब्रिक्स इस समय दुनिया की उभरती पांच आर्थिक शक्तियों का संगठन है। चीन, भारत, रूस, ब्राज़ील और दक्षिणी अफ्रीका इसके सदस्य देश हैं। ब्रिक्स के दो सदस्य देश रूस और चीन सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं। इसके अतिरिक्त ब्रिक्स के तीन अन्य देश भारत ब्राज़ील और दक्षिणी अफ्रीका वे देश हैं जो सुरक्षा परिषद की सदस्यता की मांग करने के साथ ही संयुक्त राष्ट्रसंघ के ढांचे में सुधान के भी इच्छुक हैं। शंघाई सहयोग संगठन का गठन 15 जून 2001 में किया गया था। यह एक यूरेशियन आर्थिक एवं राजनीतिक संस्था है। शंघाई सहयोग संगठन को अमरीका तथा नेटो के प्रभाव को रोकने के उद्देश्य से गठित किया गया था। इसका मुख्यालय चीन में है। इसके 20 सदस्य देश हैं।

ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन की क्षमता को देखते हुए दुनिया के बहुत से देश इसकी सदस्यता ग्रहण करने के प्रयास कर रहे हैं। यह ग़ैर पश्चिमी संगठन हैं जिनका प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। वैसे इन संगठनों के अधिकतर सदस्य इन संगठनों में अन्य देशों की सदस्यता के विरोधी नहीं हैं। सीरिया की ओर से सदस्यता की मांग से पहले कुछ वे देश जो पहले पश्चिमी विशेषकर अमरीकी ब्लाक का हिस्सा रहे हैं उन्होंने भी अपना रास्ता बदल दिया है और अब वे पश्चिम के स्थान पर पूरब की ओर निगाह लगाए हुए हैं जैसे सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात।

मध्यपूर्व में अमरीका के घटते प्रभाव और यहां के आंतरिक परिवर्तनों और यूक्रेन युद्ध के अन्तर्राष्ट्रीय दुष्परिणामों के दृष्टिगत फ़ार्स की खाड़ी के कुछ तटवर्ती देश अब धीरे-धीरे पश्चिमी ब्लाक से निकलकर पूरब में बनने वाले नए ब्लाक का हिस्सा बनने के प्रयास में दिखाई दे रहे हैं। इन हालात में ब्रिक्स तथा शंघाई सहयोग संगठन में सीरिया की सदस्यता विशेष महत्व की स्वामी है। इस देश के पुनर्निमाण के लिए अरबों डालर के पूंजी निवेश की ज़रूरत है। यह संभावना इन दो संगठनों विशेषकर चीन के भीतर पाई जाती है।