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सुप्रीम कोर्ट ने सपा नेता मोहम्मद अब्दुल्ला आज़म ख़ान की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया!

उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर की स्वार सीट से पूर्व विधायक और सपा नेता मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने सपा नेता मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि स्वार विधानसभा क्षेत्र के चुनाव परिणाम इस याचिका के परिणाम के अधीन होंगे। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या एक आपराधिक मामले में सजा के कारण एक विधायक का निलंबन अपराध में शामिल नैतिक पतन पर आधारित होना चाहिए? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले महीने अब्दुल्ला की ओर से 15 साल पुराने धरना प्रदर्शन मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। उन्होंने इस फैसले को ही शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। दो साल की सजा के कारण विधायक के रूप में अब्दुल्ला को अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला त्रिवेदी की पीठ ने अब्दुल्ला की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने यह भी साफ किया कि 10 मई को स्वार विधानसभा के लिए होने वाला उपचुनाव अब्दुल्ला की याचिका के फैसले के अधीन होगा। जस्टिस रस्तोगी ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से पूछा कि किसी को दो साल के लिए दोषी ठहराया गया है और वह अयोग्य है लेकिन क्या हम उस व्यक्ति की नैतिकता का परीक्षण नहीं कर सकते हैं जिसे दोषी ठहराया गया है। क्या किसी भी तरह की सजा उसे जनप्रतिनिधि बनने के लिए अयोग्य बनाती है।

इस पर नटराज ने जवाब दिया कि न्यायालय के इस तरह से परीक्षण करने की जरूरत नहीं है क्योंकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में दोषसिद्धि पर दो वर्ष या उससे अधिक की अवधि की कैद पर विधायक या सांसद की स्वत: अयोग्यता का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व फैसले में यह साफ कर रखा है। इस पर जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि हम एक बात जानना चाहते हैं। यदि आप यह साबित करने में सक्षम हैं कि जिस व्यक्ति को अपराध की प्रकृति के लिए दोषी ठहराया गया है, जो उसे जनप्रतिनिधि होने के लिए अयोग्य बनाता है तो आपको लाभ मिलता है, क्योंकि नैतिकता है। उन्होंने फिर पूछा कि प्रश्न यह है कि क्या न्यायालय को यह देखना चाहिए कि क्या अपराध व्यक्ति को प्रतिनिधि बनने के अयोग्य बनाता है।

अब्दुल्ला अपने पिता के साथ धरने पर बैठे थे
सुनवाई के दौरान अब्दुल्ला की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा ने दलीलें पेश की। उन्होंने तर्क दिया कि उन्हें अपने पिता के साथ धरने पर बैठने के लिए सजा सुनाई गई थी जब वह केवल 15 वर्ष के थे। उन्होंने कहा कि इस घटना के समय 15 वर्षीय अब्दुल्ला अपने पिता के साथ कार में थे। पिता गुस्सा हो जाते हैं और सड़क पर उतर जाते हैं उसी समय अब्दुल्ला उनके साथ सड़क पर बैठ जाते हैं। धरने पर बैठने के लिए उसे दो साल की सजा हुई है।

यह है मामला
बीती फरवरी में 15 साल पुराने धरना प्रदर्शन के मामले में अब्दुल्ला को दोषी ठहराए जाने और दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द कर दी गई थी। गत पांच अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को अब्दुल्ला की याचिका पर जल्द सुनवाई कर फैसला करने का आग्रह किया था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि हाईकोर्ट यह भी गौर करे कि अब्दुल्ला वाली सीट (स्वार) पर चुनाव आयोग उपचुनाव की अधिसूचना जारी करने वाला है। बाद में हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। अब्दुल्ला का कहना है कि घटना के समय वह नाबालिग था।