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सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च, फंडिंग के रास्ते बंद कर दिए जाने के बाद अभी तक 80 वैज्ञानिक और अन्य कर्मचारी संस्थान छोड़ कर जा चुके हैं!

सीपीआर का कहना है कि उसकी फंडिंग के रास्ते बंद कर दिए जाने के बाद 80 वैज्ञानिक और कर्मचारी संस्थान को छोड़ कर जा चुके हैं. फरवरी में सीपीआर का विदेश से चंदा लेने का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था.

सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च (सीपीआर) ने उसके एफसीआरए लाइसेंस को रद्द कर देने के केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती दी हुई है और दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चल रही है. संस्थान ने अदालत से यह भी अपील की है कि उसे उसके बैंक खातों में पड़ी धनराशि को फिर से इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाए.

संस्थान ने अदालत को बताया कि उसकी करीब 70 प्रतिशत फंडिंग विदेश से आती हैऔर लाइसेंस के निलंबित होने की वजह से उसका संचालन बिल्कुल रुक गया है. संस्थान का कहना है कि वो छह महीनों से अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पाया है.

छोड़ कर जा चुके वैज्ञानिक
सीपीआर की स्थापना 21वीं सदी में भारत की चुनौतियों पर शोध करने के लिए 1973 में की गई थी. इसकी स्थापना अर्थशास्त्री पाई पानिन्दिकर ने की थी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ इसकी गवर्निंग बॉडी के सदस्य रह चुके हैं.

संस्थान गवर्नेंस, कृषि, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, पर्यावरण, ऊर्जा, स्वास्थ्य, राजनीति, अंतरराष्ट्रीय मामले, रोजगार, भूमि अधिकार, सामाजिक न्याय, शहरीकरण, टेक्नोलॉजी, जल संसाधन आदि जैसे विविध विषयों पर शोध के लिए जाना जाता है.

सिर्फ 2022 में ही सीपीआर से जुड़े विशेषज्ञों ने 511 लेख लिखे, 39 नीतिगत रिपोर्टें तैयार कीं, विशेष पत्रिकाओं में 31 लेख लिखे, 10 वर्किंग पेपर तैयार किये, अलग अलग किताबों के लिए चार अध्याय और एक किताबी भी लिखी.

लेकिन संस्थान ने अदालत को बताया कि अब वेतन ना मिल पाने की वजह से उसके कर्मचारी नौकरी छोड़ कर जा रहे हैं और अभी तक 80 वैज्ञानिक और अन्य कर्मचारी संस्थान छोड़ कर जा चुके हैं.

कौन हैं सीपीआर से जुड़े लोग
सीपीआर की अध्यक्ष दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज की पूर्व प्रिंसिपल मीनाक्षी गोपीनाथ हैं. उन्हें 2007 में यूपीए सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान के लिए ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया था.

संस्थान की प्रेजिडेंट और मुख्य कार्यकारी हैं यामिनी अय्यर जो पब्लिक पॉलिसी की विशेषज्ञ हैं. वो कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर की बेटी हैं. दिसंबर 2022 में सीपीआर को इनकम टैक्स विभाग ने नोटिस जारी किया थाजिसमें विभाग ने संस्थान को मिली हुई आयकर से छूट को चुनौती दी थी.

Yamini Aiyar
@AiyarYamini
A letter from Karnataka reveals the new fault-lines in India’s fiscal federal relations. The 16th FC, soon to be appointed has a challenging task ahead. In DH today

सीपीआर को 2027 तक यह छूट दी गई थी, लेकिन आयकर विभाग ने अपने नए नोटिस में कहा कि संस्थान ऐसी गतिविधियों में शामिल था जो उन “उद्देश्यों और शर्तों के अनुकूल नहीं थीं जिनके मद्देनजर उसका पंजीकरण हुआ था.”

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि विभाग के अनुसार इन गतिविधियों में छत्तीसगढ़ में हसदेव जंगलों को कोयला खनन से बचाने के लिए छेड़ी गई मुहीम में सीपीआर का शामिल होना था.

विभाग ने कहा था कि हसदेव आंदोलन को चलाने वाले ‘जन अभिव्यक्ति सामाजिक व्यास’ को पिछले चार सालों में जितना चंदा मिला है, उसमें से 87-98 प्रतिशत चंदा सीपीआर ने दिया था.

सरकार से असहमति की कीमत?
सीपीआर के वकील ने हाई कोर्ट में कहा, “हो सकता है आपको देश में असहमति अच्छी नहीं लगती हो, लेकिन उन बेचारे कर्मचारियों ने क्या किया है?…ये बेहद दुखद होगा अगर आप इस तरह के भारतीय थिंक-टैंकों को बंद कर देंगे…एक छोटी सी असहमति और ऐसा कर दिया गया. यह एक पैटर्न है.”

वकील ने अदालत को यह भी बताया कि गृह मंत्रालय ने अपने ऑडिट में सीपीआर के खिलाफ कोई अनियमितताएं नहीं पाई थीं और सीएजी ने भी कोई अनियमितता नहीं पाई थी, लेकिन उसके बाद अचानक से यह सब हो गया.

अदालत ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वो संस्थान के बैंक खातों में पड़े पैसों का इस्तेमाल करने के उसके आवेदन पर पांच सितंबर तक फैसला ले. अदालत ने सरकार से मामले की फाइलें लाने के लिए भी कहा ताकि अदालत सरकार की जांच के बारे में और समझ सके.

हाल के सालों में इस तरह के कदम कई संस्थानों के खिलाफ उठाये गए हैं. मार्च 2023 में इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि उसके पहले के सिर्फ सात महीनों में ही करीब 400 संस्थानों केएफसीआरए लाइसेंस रद्दया निलंबित कर दिए गए हैं या उनके रिन्यूअल की अनुमति नहीं दी गई है या लाइसेंस को समाप्त मान लिए गया है.

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चारु कार्तिकेय