इतिहास

स्वतंत्रता सेनानी बेगम सक़ीना लुक़मानी➡️*अंगरेज़ के माफ़ी प्रस्ताव को ठुकराकार जेल मे जाना पसंद किया*

Ataulla Pathan
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#मेरी_माटी_मेरा_देश ➡️
स्वतंत्रता सेनानी बेगम सकीना लुकमानी➡️ *अंगरेज के माफी प्रस्ताव को ठुकराकार जेल मे जाना पसंद किया*
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राष्ट्रीय आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले तैयबजि परिवार से आने वाली स्वतंत्रता सेनानी बेगम सकीना लुकमानी जी का जन्म 1865 के आसपास गुजरात राज्य में हुआ था। वह स्वतंत्रता सेनानी न्यायमूर्ति बदरुद्दीन तैय्यबजी की बेटी थीं, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीसरे सत्र की अध्यक्षता की थी।

तैयबजी परिवार में प्रचलित देशभक्ती माहौल से प्रेरित होकर सकीना लुकमानी ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की गतिविधियों में भाग लिया। 1930 में महात्मा गांधीजी के आह्वान के जवाब में, उन्होंने 65 वर्ष की आयु में, गुजरात में शराबबंदी और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की मांग को लेकर आयोजित आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने चिलचिलाती धूप की परवाह न करते हुए शराब की दुकानों और विदेशी सामान बेचने वाली दुकानों के सामने धरना दिया। वह गुजरात में शराब की दुकानों और विदेशी वस्तुओं की दुकानों के सामने धरना आयोजित करने में प्रेरणा स्रोत के रूप में खड़ी रहीं।

ब्रिटिश सरकार ने सकीना लूकमानी को कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया और उन्हें चार महीने के कठोर कारावास की सजा सुनाई और एक सौ रुपये का जुर्माना लगाया। उनके कारावास की खबर से लोगों में हंगामा मच गया। जनता की मांग के आगे झुकते हुए ब्रिटिश सरकार ने प्रस्ताव दिया कि यदि वह माफी याचिका प्रस्तुत करती है तो वे सजा कम करने पर विचार करेंगे, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। तब गुजरात के युवा बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए और उन्होंने घोषणा की कि अगर मां सकीना को जेल में रखा गया तो वे उनके द्वारा शुरू किए गए आंदोलन को जारी रखेंगे और सरकार को उन सभी को गिरफ्तार करने और सजा देने की चुनौती दी।

फलस्वरूप सरकार नरम पड़ गयी और सश्रम कारावास को साधारण कारावास में बदल दिया। इन सभी बातों का जिक्र करते हुए महात्मा गांधी ने असाधारण साहस दिखाने के लिए उनकी और तैय्यबजी परिवार के सदस्यों की सराहना की. बेगम सकीना लुकमानी गुजरात महिला कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय आंदोलन के एक हिस्से के रूप में शराब पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए वायसराय को संबोधित पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक थीं। जब गांधीजी को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया, तो उन्होंने गुजरात की महिलाओं की एक विशाल सार्वजनिक बैठक आयोजित की और सरकार के कृत्य की आलोचना की। स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारत के विभाजन से वह बहुत दुःखी हुईं और उन्होंने खुद को राजनीति से अलग कर लिया। 6 फरवरी, 1960 को बेगम सकीना लुखमानी ने अंतिम सांस ली।

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संदर्भ -THE IMMORTALS- 2
— SYED NASEER AHAMED
( 94402 41727)
संकलन तथा अनुवादक लेखक
– अताउल्लाखा रफीकखा पठाण
सेवानिवृत्त शिक्षक
टूनकी,संग्रामपूर,बुलडाणा, महाराष्ट्र
9423338726