धर्म

#हजरत_अली र.अ का ईमान लाना : #SiratunNabiSeries Part -3

मोहम्मद सलीम
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#हजरत_अली (र.अ) का ईमान लाना
#SiratunNabiSeries Post-3
एक दिन हुजूर सल्ल० और हजरत खदीजा (र.अ) नमाज पढ़ रहे थे कि हजरत अली आए। उस वक़्त आप को सख्त ताज्जुब हुआ, अगरचे आप पहले भी हुजूर सल्ल० को नमाज पढ़ते देख चुके थे, लेकिन हजरत खदीजा को कभी न देखा था। जब वह नमाज़ से फ़ारिग हुए, तो आप ने हुजूर सल्ल० से पूछा, आप दोनों क्या कर रहे हैं ?
हुजूर सल्ल० ने फ़रमाया, नमाज पढ़ रहे हैं। आप ने हैरान होकर कहा, नमाज ! लेकिन सज्दा बुतों को किया जाता है और आप के सामने कोई बुत न था ?
हुजूर सल्ल० ने फ़रमाया, बुतों को नहीं पूजते, वल्कि खुदा (अल्लाह) को पूजते है, हजरत अली यह सुन कर हैरान रह गये।
आप सल्ल० ने कहा, यह तो अजीब बात है, मैं ने पहले कभी नहीं सुनी।
हुजूर सल्ल० ने फ़रमाया, अली ! मैं खुदा का रसूल हूं। खुदा का पैगाम मुझ पर उतरता है। आओ, तुम भी दीने हक में दाखिल हो जाओ।
हजरत अली ने कहा, मुझे सोचने दीजिए।
हुजूर सल्ल० ने फ़रमाया, ऐ अली! अगर तू इसे कबूल कर ले तो रात तक उसे छिपाना, ताकि खुदा तेरे दिल में इस्लाम डाल दे।
हजरत अली ने इस बात का इकरार कर लिया।
जब रात गुजर गयी तो हजरत अली हुजूर सल्ल० के पास आए और कहा, मैं अब खुदा के दीन में दाखिल होना चाहता हूं।
हुजूर सल्ल० ने तुरन्त कलिमा पढ़वा कर मुसलमान कर लिया और हिदायत की कि अभी अपने इस्लाम को किसी पर जाहिर न करें।
हुजूर सल्ल० चाहते थे कि धीरे-धीरे कुछ लोग मुसलमान हो जाएं, तब एलानिया तब्लीग करें और हुक्म भी यही आया था कि पहले घर वालों को खुदा से डराओ।
To be Continued ….
Source:
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज