विशेष

हमको बार-बार एक ही तरह के सांप मुख्तलिफ नामों और तरीक़ों से डसते हैं!

Ashraf Azmi
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एक शख्स झाड़ियों के दरमियान से गुज़र रहा था कि उसने एक सांप फंसा हुआ देखा, सांप ने उस आदमी से मदद की गुहार लगाई उस आदमी ने लकड़ी की मदद से सांप को बाहर निकाला, बाहर आते ही सांप ने उस आदमी से कहा: मैं तो तुम्हें डसूंगा, उस शख्स ने सांप से कहा कि: मैंने तो तुम्हारे साथ नेकी की है, तुम मेरे साथ बदी करना चाहते हो,

सांप ने कहा: हां नेकी का बदला बदी है, उस आदमी ने कहा: चलो किसी से फैसला करा लेते हैं, वो एक गाय के पास गए उसको सारा वाक़्या सुनाया और फैसला करने को कहा उसने कहा वाक़ई नेकी का बदला बदी है, जब मैं जवान थी अपने मालिक को दूध देती थी,वो मेरा बहुत ख्याल रखता था, मुझे चारा देता था, अब मैं बूढ़ी हो गई हूं उसने मेरा ख्याल रखना छोड़ दिया, ये सुन कर सांप ने कहा : अब तो मैं डसूंगा,

उस आदमी ने कहा: चलो एक और फैसला ले लेते हैं, सांप मान गया उन्होंने एक गधे से फैसला करवाया गधे ने भी यही जवाब दिया कि नेकी का बदला बदी है, जब मेरे अंदर दम था मालिक के काम आता था वो मेरा ख्याल रखता था, ज्यूंही मैं बूढ़ा हुआ उसने मुझे भगा दिया, सांप उस आदमी को डसने ही लगा था कि उसने मिन्नत करके कहा: एक मौक़ा और दे दो,सांप के हक़ में दो फैसले हो चुके थे इसलिए वो आखरी फैसला लेने पे मान गया अबकि बार वो एक बंदर के पास गए उसको सारा वाक़्या सुनाया और कहा कि: फैसला करो-

बंदर ने कहा: मुझे उन झाड़ियों के पास ले चलो और सांप को मेरे सामने उन झाड़ियों में फेंको और फिर बाहर निकालो उसके बाद मैं फैसला करूंगा, वो तीनों इन झाड़ियों के पास चले गए, उस शख्स ने सांप को झाड़ियों के अंदर फेंक दिया और फिर बाहर निकालने ही लगा था कि बंदर ने मना कर दिया और कहा: इसको मत निकालो ये नेकी के क़ाबिल ही नहीं है और ना था, खुदा की क़सम वो बंदर हमसे ज़्यादा अक़्लमंद था हमको बार बार एक ही तरह के सांप मुख्तलिफ नामों और तरीक़ों से डसते हैं, लेकिन हमको ख्याल ही नहीं आता कि ये सांप हैं उनके साथ नेकी और हमदर्दी करना खुद को मुश्किल में डालने के बराबर है इसलिए भाईयो आप भी ख्याल करो कहीं आपके इर्द गिर्द भी इसी तरह के इंसानी नुमा सांप तो नहीं.