नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पंजाब में आत्महत्या के लिए उकसाने के 2008 में दर्ज एक कथित मामले में तीन आरोपियों को आरोपमुक्त करते हुए कहा, ‘‘हमारी अपराध न्याय प्रणाली स्वयं एक सजा हो सकती है।’’.
शीर्ष अदालत ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अप्रैल 2009 के फैसले से उत्पन्न अपील पर सुनवायी 13 साल तक लंबित रही। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। निचली अदालत ने तीनों के खिलाफ आरोप तय किये थे।
पुलिसिया राज कभी भी एक स्वस्थ लोकतंत्र का परिचायक नहीं हो सकता। बढ़ते अपराध का कारण हमारे न्याय प्रणाली को और तीव्र एवं सशक्त करने की आवश्यकता है न कि उसकी जगह ठोक दो नीति चलाने की। हमारी व्यवस्था
हर व्यक्ति तक न्याय को पहुंचाने की होनी चाहिए @PMOIndia @myogiadityanath pic.twitter.com/znLteQiWL9— Sanjeet Baghel (@SanjeetBaghel) December 10, 2021