विशेष

हमारी बच्ची को पहचान चाहिए थी जो स्कूल ने स्वतंत्रता दिवस पर नहीं दिया….क्यूँ ?

Khalid Hussain
@khalidmfp
गुजरात के मेहसाणा के खेरालु गाँव में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कक्षा 10 के टॉपर्स बच्चों को सम्मानित किया जाना था। जिसमें पहले नम्बर के छात्र की जगह पर सीधा दूसरे नम्बर के छात्र को बुला कर सम्मानित किया गया। पहले नम्बर वाले को बुलाया ही नहीं गया। जानते हैं क्यूँ ?
वजह सिर्फ इतनी है कि पहले नंबर वाली छात्रा मुस्लिम समुदाय से थी। उस बच्ची के पैरेंट्स ने जब स्कूल से इस का कारण जानना चाहा तो स्कूल ने कहा की हम आपकी बच्ची को बाद में उसका पुरुस्कार दे देंगे। ये सुनकर बच्ची रोने लगी। बच्ची के माता पिता ने कहा कि हमें पुरस्कार नहीं चाहिए था। हमारी बच्ची को पहचान चाहिए थी जो स्कूल ने स्वतंत्रता दिवस पर नहीं दिया। और हमारी बच्ची के साथ नाइंसाफ़ी हुई है।
ये घटना उस राज्य की है जहां से हमारे देश के प्रधानमंत्री
@narendramodi
जी आते हैं। और ये उस प्रधानमंत्री के राज्य की घटना है जहां के प्रधानमंत्री “सबका साथ, सबका विकास” की बात करते हैं। ये कैसा सबका साथ, सबका विकास है।

AJAY SINGH
@CPFIBAjaySingh2
ऐसा प्रतीत होता है इस खबर का गुजराती वर्जन खालिद ने सामने रखा है जिसे गुजराती नहीं आती उसको यथार्थ क्या पता चले वैसे फेक न्यूज़ पर अब कानून बन गया इसकी सत्यता की जांच करनी चाहिए अगर ऐसा है तो यह गलत है और नहीं तो ठीक फेक न्यूज़ होने पर गुजरात के पुलिस को उसकी जानकारी देनी चाहिए

Himanshu Rana
@amsamraat_01
ये गलत हुआ है | सभी छात्रों को बराबर सम्मान मिलना चाहिये | और साथ ही सभी छात्रों को भी स्कूल मे एक समान ड्रेस कोड मे आना चाहिए जिससे उनमे एक दूसरे के लिए अलग भावना ना पैदा हो | बुर्का जैसी चीजें भी बंद होनी चाहिए | तभी समानता होगी |

और आज भी कुछ स्कूल मे शुक्रवार की छुट्टी की जाती है नमाज के लिए वो भी बंद की जानी चाहिये | सभी स्कूल को एक जैसा अनुशासन बनाये रखना चाहिए |

ViNoD VM 🔆
@ViNoDVM15
अगर ये सही खबर है तो बहुत ही गलत हुआ बच्ची के साथ, मानसिक तनाव कितना झेलना पड़ रहा होगा उसे ,बाकी बच्चों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा,इस पर कार्यवाही जरूर होनी चाहिए अगर ये सही है तो,कुछ कीचड़ जैसे लोगों के कारण देश की एकता खंडित होते जा रही है इनको सबक मिलना ही चाहिए 🤬🤬

ɪʀғᴀɴ ᴋʜᴀɴ
@IrafanK64188572
एकबात बताओं जो लोग नफ़रत में मशगूल हैं वो अपना सफर और टाइम तो बताओ के आखिर आप कब तक और कहां तक ऐसे नफ़रत करोगे। याद रखना ये जिंदगी बहुत छोटी है और अगर लंबी उम्र भी चाहते हो तो क्या फायदा ना हिला जायेगा और ठिक से बोला जायेगा। इसलिए मोका है ऐसा काम करो जो इंशान भी और भगवान दोनो खुश

 

डिस्क्लेमर : लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है, लेख सोशल मीडिया से प्राप्त हैं