साहित्य

हमें मर्यादा सिखाने वालो तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते हो….!!लक्ष्मी सिन्हा लेख!!

Laxmi Sinha
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यहा किसी से भी उम्मीदें वफा मत कर….!!
ए मेरे दिल….!!
समझ ले के ये दौर पत्थरों का है….!!
एक स्त्री के योनि से जन्म लेने के बाद उसके
वक्षस्थल से निकले दूध से अपनी भूख, प्यास
मिटाने वाला इंसान बड़ा होते औरतों से इन्ही
दो अंको की चाहत रखता है, और अगर
असफल होता है, तो इसी चाहत में विभत्स
तरीकों को आजमा देता है….!
बलात्कार और फिर हत्या….!
जननी वर्ग के साथ इस तरह की मानसिकता क्यों….?
वध होना चाहिए ऐसी दूषित मानसिकता के लोगों का….
मेरे दूध का कर्ज मेरे ही खून से चुकाते हो
कुछ इस तरह तुम अपना पौरुष दिखाते हो
दूध पीकर मेरा तुम इस दूध को ही लजाते हो
वाह रे पौरुष तेरा तुम खुद को पुरुष कहते हो
हर वक्त मेरे सीने पर नजर तुम जमाते हो
इस सीने में छिपी ममता क्यों देख नहीं पाते हो
एक औरत ने जन्मा, पाला-पोसा है तुम्हें….!
बड़े होकर ये बात क्यों भूल जाते हो….!
तेरे हर एक आंसू पर हजारों खुशियां कुर्बान कर देती हूं
मैं क्यों तुम मेरे हजार आंसू भी नहीं देख पाते हो….??
हवस की खातिर आदमी होकर क्यों नर पिशाच बन
जाते हो….!!
हमें मर्यादा सिखाने वालो तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल
जाते हो….!!

#Laxmi_sinha
प्रदेश संगठन सचिव सह प्रदेश मीडिया प्रभारी
महिला प्रकोष्ठ राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बिहार