साहित्य

हम सब नकारात्मक विचारों को त्याग कर, सकारात्मक विचारों को अपनाएं,,,,,,,।…..By – लक्ष्मी सिन्हा

Laxmi Sinha
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हम जैसा होना और बनना चाहते हैं विचार हमें उसी
लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा प्रदान करती है।,,
सद् विचार जीवन रूपी तपस्या के हवन कुंड से
निकलने वाली वह प्राणदायिनी उर्जा है, जो यत्र_
तत्र_सर्वत्र को अपनी आभा से सुगंधित कर देती है।
सद् विचार परिष्कृत मंत्र के पर्याय है, जिसके श्रवन
मात्र से दृष्टि ही नहीं, जीव की सृष्टि तक में भी
परिवर्तन संभव है। ये मनुष्य के दैहिक,लौकिक,
बौद्धिक,सामाजिक एवं आत्मिक उन्नति का आधार
है। विचार जब आचरण की कोख से जन्म लेकर
अवतरित होती है तो उसमें समाज, लोक एवं परंपरा
में आमूल_चूल परिवर्तन करने की अपूर्व क्षमता
समाई रहती है। वैचारिक परिशुद्धता ही मनुष्य को
जीवन में जीव से श्रेष्ठतम करार देती है।विचार वह
संपत्ति है, जो अदृश्य होते हुए भी दृष्ट अथवा
अलौकिक संपत्ति से कई गुना श्रेष्ठतर,दीधजीवी
और शाश्वत होती है। एक सद्विचार अपने में समूचे
विश्व को परिवर्तित कर देने की अपूर्व क्षमता रखती
है। विचार के अनुरूप ही हमारी शारीरिक,मानसिक,
सांसारिक एवं भौतिक सृष्टि का निर्माण होती है
और उससे ही आगामी जीवन_दर्शन की श्रेष्ठता की
गुणता निश्चित होती है। सकारात्मक विचार जीव_
जगत के कल्याण की संजीविनी सरीखे हैंवौचारिक
संपन्नता का दुर्लभ उपहार करुणानिधन ईश्वर अपने
किसी अनन्य उपासक को ही प्रदान करते हैं। हम
जैसा होना और बनना चाहते हैं, विचार हमें उसी
लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा प्रदान करती
है।विचार ही हमारे चरित्र, नीति, आदर्श एवं मूल्य के
नियोक्ता है।विचारों की निश्चयात्मकता हमारे गंतव्य
एवं मंतव्य की दिशा भी तय करती है। विचार ही
हमारे संस्कारों के परिशोधन की महागंगा है।आइए
हम सब नकारात्मक विचारों को त्याग कर
सकारात्मक विचारों को अपनाएं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।
समाज में नई दिशा
देने की हमारा संकल्प
नई उषा का आरंभ,,,,
___________________Laxmi sinha