देश

हल्दवानी में हज़ारों लोगों को हटाए जाने पर कोर्ट ने लगाई रोक

भारत के उत्तराखण्ड राज्य के हल्द्वानी नगर में रेलवे की जमीन से 50 हजार लोगों को हटाए जाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोक लगा दी।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा है कि 7 दिनों में 50 हजार लोगों को रातों-रात नहीं उजाड़ सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतने सारे लोग लंबे समय से वहां रह रहे हैं। उनका पुनर्वास तो जरूरी है। 7 दिन में ये लोग जमीन कैसे खाली करेंगे?

भारतीय संचार माध्यमों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब उस जमीन पर कोई कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट नहीं होगा। हमने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है। केवल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है। इस केस की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी। कोर्ट का कहना है कि निश्चित तौर पर जमीन रेलवे की है तो उसे इसके डेवलप करने का अधिकार है, लेकिन अगर इतने लंबे समय से इतने ज्यादा लोग वहां पर रह रहे हैं तो उनका पुनर्वास जरूर किया जाना चाहिए।

लोग दावा कर रहे हैं कि वो 1947 के बाद यहां आए थे। ये प्रॉपर्टी नीलामी में रखी गई थी। डेवलपमेंट कीजिए और पुनर्वास की मंजूरी दी जानी चाहिए। आप 7 दिन में जमीन खाली करने के लिए कैसे कह सकते हैं? इन लोगों की किसी को तो सुननी ही पड़ेगी। हो सकता है कि दावा कर रहे सभी लोग एक जैसे न हों। कुछ अलग कैटेगरी के हों। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके लिए मानवीय पहलू के तहत विचार करने की जरूरत है। अभी हम हाईकोर्ट के आदेशों पर रोक लगा रहे हैं। यहां कोई नया निर्माण या विकास नहीं होगा।

याद रहे कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्दवानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को गिराने का आदेश दिया था। वहां करीब 4 हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं। इनमें के कुछ का कहना है कि यहां पर उनकी चार या पांच पीढ़िया रहती आ रही हैं और उन्होंने ज़मीनों को क़ानूनी ढंग से ख़रीदा है। कुछ का कहना है कि उनके पूर्वज यहां पर 1947 से भी पहले से रहते आ रहे हैं। वे यह भी कहते हैं कि उनके पास बिजली के बिल, पानी के बिल और मकानों की ख़रीद के क़ानूनी काग़ज़ात मौजूद हैं।

वास्ताव में हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की 29 एकड़ जमीन है। इस जमीन पर दशकों पहले कुछ लोगों ने कच्चे घर बना लिए थे। धीरे-धीरे यहां पक्के मकान बन गए। इस प्रकार से यहां पर बस्तियां बसती चली गईं। नैनीताल हाईकोर्ट ने इन बस्तियों में बसे लोगों को हटाने का आदेश दिया था।

हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के आसपास का यह इलाका करीब 2 किलोमीटर से भी ज्यादा के क्षेत्र को कवर करता है। इन इलाकों को ग़फ़ूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर के नाम से जाना जाता है। यहां के आधे परिवार भूमि के पट्टे का दावा कर रहे हैं। इस क्षेत्र में 4 सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी के टैंक, 10 मस्जिदें और चार मंदिर हैं।