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हिंसा ग्रस्त मणिपुर में हालात बेक़ाबू, स्थिति भयावह : उठी अलग राज्य की मांग : रिपोर्ट


हिंसा ग्रस्त मणिपुर में हालात बेकाबू हैं। वहां की भयावह स्थिति का अंदाजा इस बात से लगााय जा सकता है कि शुक्रवार को दस ट्राइबल (कुकी) विधायकों ने अलग राज्य की मांग कर दी है। उन्होंने कहा कि यह नेतृत्व परिवर्तन की बात नहीं है। हमारे लोगों को मारा गया, घरों को जलाया गया है ऐसे में मैतेई के साथ नहीं रहा जा सकता।

दस आदिवासी विधायकों ने शुक्रवार को मीडिया को दिए एक बयान में कहा, हमारे लोग अब मणिपुर के तहत मौजूद नहीं रह सकते हैं। मणिपुर के इन 10 विधायकों में हाओखोलेट किपगेन (सैतु), न्गुरसंग्लुर सनाटे (तिपाईमुख), किमनेओ हाओकिप हंगशिंग (साइकुल), लेपाओ हाओकिप (तेंगनूपाल), एलएम खौटे (चुराचांदपुर), लेत्जामांग हाओकिप (हंगलेप), चिनलुथांग (सिंगगेट), पाओलीनलाल हाओकिप (साइकोट), नेमचा किपगेन (कांगपोकपी) और वुंगजागिन वाल्टे (थानलॉन) शामिल हैं।

इन आदिवासी विधायकों ने कहा कि पहाड़ी आदिवासियों के खिलाफ की गई हिंसा ने मणिपुर राज्य में अलगाव की भावना प्रबल हुई है। विधायकों ने मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के लोगों को राज्य में आदिवासियों के खिलाफ बेरोकटोक हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा विधायकों ने मणिपुर सरकार पर हिंसा में शामिल उपद्रवियों का ‘समर्थन’ करने का भी आरोप लगाया।

आदिवासी विधायकों ने कहा कि मणिपुर राज्य हमारी रक्षा करने में बुरी तरह से विफल रहा है, ऐसे में हम भारत के संविधान के तहत एक अलग प्रशासन की मांग करते हैं। मणिपुर राज्य के साथ पड़ोसियों के रूप में शांति से रहना चाहते हैं।

गौरतलब है कि मणिपुर सरकार ने दावा किया कि हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बावजूद राज्य में समग्र कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है। मणिपुर सरकार के प्रवक्ता बसंत कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में समग्र सुरक्षा स्थिति नियंत्रण में है। सिंह ने भी बताया कि शांति बहाल करने के लिए राज्य सरकार विश्वास बहाली के उपाय कर रही है।