
हिंसा ग्रस्त मणिपुर में हालात बेकाबू हैं। वहां की भयावह स्थिति का अंदाजा इस बात से लगााय जा सकता है कि शुक्रवार को दस ट्राइबल (कुकी) विधायकों ने अलग राज्य की मांग कर दी है। उन्होंने कहा कि यह नेतृत्व परिवर्तन की बात नहीं है। हमारे लोगों को मारा गया, घरों को जलाया गया है ऐसे में मैतेई के साथ नहीं रहा जा सकता।
दस आदिवासी विधायकों ने शुक्रवार को मीडिया को दिए एक बयान में कहा, हमारे लोग अब मणिपुर के तहत मौजूद नहीं रह सकते हैं। मणिपुर के इन 10 विधायकों में हाओखोलेट किपगेन (सैतु), न्गुरसंग्लुर सनाटे (तिपाईमुख), किमनेओ हाओकिप हंगशिंग (साइकुल), लेपाओ हाओकिप (तेंगनूपाल), एलएम खौटे (चुराचांदपुर), लेत्जामांग हाओकिप (हंगलेप), चिनलुथांग (सिंगगेट), पाओलीनलाल हाओकिप (साइकोट), नेमचा किपगेन (कांगपोकपी) और वुंगजागिन वाल्टे (थानलॉन) शामिल हैं।
मणिपुर में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, 40 हजार लोग प्रभावित हैं और 20 हजार लोग शिफ्ट किए गए हैं।
हजारों घर नष्ट हो गए और राज्य के 15-20 पुलिस स्टेशनों से AK-47 समेत कई हथियारों को लूटा गया है।
प्रदेश में हालात बहुत गंभीर हैं।
: मणिपुर कांग्रेस प्रभारी… pic.twitter.com/Wb0LQMbEur
— Congress (@INCIndia) May 11, 2023
इन आदिवासी विधायकों ने कहा कि पहाड़ी आदिवासियों के खिलाफ की गई हिंसा ने मणिपुर राज्य में अलगाव की भावना प्रबल हुई है। विधायकों ने मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के लोगों को राज्य में आदिवासियों के खिलाफ बेरोकटोक हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा विधायकों ने मणिपुर सरकार पर हिंसा में शामिल उपद्रवियों का ‘समर्थन’ करने का भी आरोप लगाया।
कथित रूप से एक फ़ोन लगा के रूस यूक्रेन युध्द रुकवा लेने वाले विशगुरु मणिपुर फोन काहे नहीं लगा पा रहे हैं? #ManipurViolence #ManipurBurning #vishguru #RussiaUkraineWar pic.twitter.com/2yJ2QFAkWR
— Kunal Shukla (@kunal492001) May 12, 2023