साहित्य

ज़िंदगी को सदा आज़माते रहो : डा. रश्मि दुबे की रचनायें पढ़िये

डा. रश्मि दुबे
Writer

Rdubeyorai@gmail.com

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।
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212 212 212 212
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तर्ज़- तुम अगर साथ देने का वादा करो
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हाल कैसा भी हो गुनगुनाते रहो
जिंदगी को सदा आज़माते रहो
साथ छोड़ो कभी ना किसी दोस्त का
तुम मुहब्बत के दीपक जलाते रहो
काम आते हैं जो भी बुरे वक्त पर
मानो एहसान उनका जताते रहो
जीस्त अपनी सदा तुम रखो इस कदर
आसमां को भी नीचे झुकाते रहो
दिल किसी का दुखाना से क्या फ़ायदा
राब़्ता हर किसी से बनाते रहो
दर्द सह कर भी खुशियां मनाया करो
ग़म के मौसम में भी मुस्कुराते रहो
रुक सकी है नहीं कोई मंजिल कभी
हौसले से कदम तुम बढ़ाते रहो
डॉ रश्मि दुबे
गाजियाबाद

डा. रश्मि दुबे
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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।
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क्यों दुनिया में आया लिख दे
क्या खोया क्या पाया लिख दे
झूठे निज सपनों की खातिर
तूने किसे सताया लिख दे
क्या भूखे को चंद निवाले
तूने कभी खिलाया लिख दे
प्यासे को दो बूंद कभी भी
पानी कभी पिलाया लिख दे
निज स्वारथ को पूरा करने
कितनों को भरमाया लिख दे
इस दुनिया में क्या-क्या देखा
ईश्वर की थी माया लिख दे
तूने अपने कर्म सुधारे
या बदली हो काया लिख दे
सुख दुख में ईश्वर को प्यारे
कब-कब कहां बुलाया लिख दे
दुनिया से जाने से पहले
कितना धर्म कमाया लिख दे
डॉ.रश्मि दुबे
गाजियाबाद

डा. रश्मि दुबे
स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।
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बस यूं ही………एक छंद मुक्त रचना
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अनुभव
अनुभव कहता है
टेढ़े मेढ़े रास्ते अक्सर
दिखा जाते हैं
सीधी और सच्ची राह
चिकनी और सपाट
सड़कों पर मैने
अक्सर लोगों को
फिसलते देखा है
दम नहीं घुटने देती
टूटी फूटी झोपड़ी
उनके छेदों से
आती रहती है
साफ और स्वच्छ हवा
बंद हवेलियों में घुट कर
मैने कईयों को मरते देखा है
ज़मीन से जुड़े लोग
दिलों पर राज करते हैं
आसमान की चाह
रखते रखते
अक्सर
अपनी ज़मीन खो देते हैं
बहुत से लोग
किताबी बातें
हमें बना देती हैं
बड़ा ज्ञानी और विद्वान
किंतु जीवन का कड़वा सच
हमें इंसान बना देता है
अनुभव कहता है
कम से कम
मेरा अनुभव यही कहता है ।
डॉ रश्मि दुबे
गाजियाबाद