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#अग्निवीरों को मोदी ने दिया बड़ा झटका, मैदान में उतरने से पहले ही सरकार ने पांव के नीचे से खींची ज़मीन : रिपोर्ट

भारत की मोदी सरकार ने बीते बुधवार 14 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि अग्निवीर पूरी तरह से अलग कैडर है और भारतीय सेना, नौसेना या वायुसेना में शामिल होने पर अग्निवीर की भारतीय सशस्त्र बलों के साथ चार साल की सेवा को नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा।

अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ दाख़िल याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया है कि अग्निवीर पूरी तरह से भारतीय सेना से अलग कैडर है साथ ही इसमें यह प्रस्तावित किया गया कि अगर कोई अग्निवीर चार साल बाद सशस्त्र बलों में शामिल होता है, तो उसे नई भर्ती माना जाएगा। बार एंड बेंच की रिपोर्ट बताती है कि मोदी सरकार के अनुसार, इसके पीछे तर्क यह है कि एक व्यक्ति चार साल तक अग्निवीर के रूप में बुनियादी प्रशिक्षण से गुज़रता है और फिर उच्च स्तर के प्रशिक्षण के लिए एक सिपाही के रूप में सेना में शामिल होता है। सरकार की ओर से कहा गया, ‘वास्तव में, लगभग 10-15 वर्षों के बाद कोई भी सिपाही ऐसा नहीं होगा जो अग्निवीर न रहा हो।’

समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा के अनुसार सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी अदालत में कहा, ‘अग्निवीर कैडर को अलग कैडर के रूप में बनाया गया है। इसे नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा। बता दें कि अदालत सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए हाल ही में लागू की गई अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। ग़ौरतलब है कि संविदा आधारित अग्निपथ योजना में चार साल के लिए भारतीय सेना में युवाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है। चुने जाने पर इन्हें अग्निवीर कहा जाएगा। इस अवधि के बाद चयनित उम्मीदवारों में से केवल 25 फ़ीसदी को भारतीय सेना में रखा जाएगा, जबकि शेष को सशस्त्र बलों में रोज़गार देने से इनकार कर दिया जाएगा। योजना के लागू होने पर देश भर में व्यापक विरोध देखा गया था, जिनमें से कुछ विरोध प्रदर्शन हिंसक भी हो गए थे। योजना के विरोध में विभिन्न अदालतों में ढेरों याचिकाएं भी लगाई गई हैं।