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अफ़ग़ानिस्तान में शांति स्थापित होने की दिशा की सबसे बड़ी रुकावट क्या है, जानिये!

अफगानिस्तान के बारे में क़तर में एक बैठक हो रही है। कतर में होने वाली बैठक इस बात की सूचक है कि अफगानिस्तान से संबंधित मामलों विशेषकर सुरक्षा मामलों पर विश्व समुदाय ध्यान दे रहा है जबकि कुछ धड़े व गुट अफगानिस्तान में शांति स्थापित नहीं होने देना चाहते।

इस बैठक में भाग लेने के लिए कुछ अफगान चेहरों को आम को आमंत्रित किया गया है। इससे पहले अफगानिस्तान के संबंध में विभिन्न बैठकें दूसरे देशों में हो चुकी हैं जिसमें इस देश में शांति स्थापित करने और अफगानिस्तान की जनता व लोगों की सहायता के बारे में विचारों का आदान- प्रदान किया गया था।

इसका अर्थ है कि अफगानिस्तान में तालेबान को सत्ता की बागड़ोर संभाले हुए डेढ़ वर्ष से अधिक का समय हो रहा है परंतु तालेबान ने सुरक्षा स्थापित करने आदि के बारे में जो वादा किया था उस पर अमल नहीं हुआ है और तालेबान के वादों के बारे में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पायी जाती है।

अमेरिका ने आतंकवाद से मुकाबले और अफगानिस्तान में शांति व सुरक्षा स्थापित करने के बहाने साढ़े 21 साल पहले अफगानिस्तान पर हमला किया था और उसकी अगुवाई में नाटो के सैनिक भी 20 वर्षों तक अफगानिस्तान में बने रहे परंतु विदेशी अतिग्रहणकारी सैनिकों की उपस्थिति का परिणाम यह निकला कि अफगानिस्तान एक खंडर देश में परिवर्तित हो गया।

यही नहीं अफगानिस्तान के जिन क्षेत्रों में विदेशी सैनिक तैनात थे वहां मादक पदार्थों की खेती और उसकी तस्करी में ध्यान योग्य वृद्धि हो गयी। इस संबंध में अफगान मामलों के राजनीतिक विशेषज्ञ अब्दुल लतीफ़ नज़री कहते हैं तालेबान ने वादा किया था कि जब वह सत्ता में आ जायेगा तो असुरक्षा सहित अफगानिस्तान की बहुत सी समस्याओं का समाधान कर देगा पर अब तक एसा कुछ भी नहीं हुआ जबकि तालेबान अधिकारियों ने कहा है कि इस संबंध में उन्होंने जो वादे किये थे उसे लागू करने में सफल रहे हैं।

अफगानिस्तान में शांति व सुरक्षा स्थापति होने के लिए व्यापक सरकार का गठन बहुत ज़रूरी है परंतु तालेबान अफगानिस्तान के लोगों की इस मांग व अपेक्षा पर ध्यान नहीं दे रहा है। जानकार हल्कों का मानना है कि हथियारों के बल पर शांति स्थापित नहीं की जा सकती और अगर एसा होता तो अमेरिका और नाटो के सैनिक 20 वर्षों तक अफगानिस्तान में मौजूद रहे और वे शांति स्थापित कर देते।

अफगान मामलों के एक अन्य विशेषज्ञ मोहम्मद रज़ा बहरामी कहते हैं कि अफगानिस्तान को सालों से असुरक्षा और अतिग्रहण का सामना रहा है। इन सबके बावजूद अफगानिस्तान में सत्ताधारी सरकारों ने लोगों की समस्याओं के समाधान की दिशा में कुछ नहीं किया और इस समय भी अफगानिस्तान और वहां के लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं व चुनौतियों का सामना है और बहुत सी समस्याओं की वजह यह है कि तालेबान गुट अफगानिस्ताना के लोगों पर अपनी मर्ज़ी व इच्छा थोपना चाहता है।

बहरहाल अफगानिस्तान के बारे में चिंतायें उस वक्त मौजूद रहेंगी जब तक तालेबान गुट अफगानिस्तान के लोगों की मांगों व इच्छाओं पर ध्यान नहीं देगा।