धर्म

अब क्यामत तो यक़ीनन आयेगी लेकिन कोई नबी नहीं आने वाला!

Shams Bond
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भारत में इस्लाम दो रास्तों से दाखिल हुआ एक समुद्री रास्ता था जिससे अरब के व्यापारी भारत के साथ अपना कारोबारी संबंध रखते थे । पड़ाव डालने के बाद खाते पीते और आपस में व्यवहार करते थे, ये सहाबा ( रसूल के साथी ) थे, उनके चरित्र, आचार व्यवहार से, लोकल लोगों ने इस्लाम को पसंद किया और अपने साथ उनके व्यवहार से इतने प्रभावित हुए कि स्वतः ही उनकी सेवा में लग गए और मुसलमानों के तौर तरीके से इतना अधिक प्रभावित हुए की उन्होंने अपने दादा परदादा की आस्थाओं को त्याग कर सारी सृष्टि का रचयिता और स्वामी अकेले अल्लाह को माने और ये विश्वास किया कि मुहम्मद pbuh अल्लाह के चुने हुए आखरी ज़माने के नबी हैं, अब क्यामत तो यकीनन आयेगी लेकिन कोई नबी नहीं आने वाला ।

उन्होंने इस्लाम को ग्रहण करने के लिए पढ़ना लिखना शुरू किया और आज उनकी तादाद की वजह से उस पूरे राज्य को भारत का सबसे शिक्षित राज्य कहा जाता है ।

जी हां ! मै केरल की ही बात कर रहा हूं जहां ख्वाजा के दादा परदादा के जन्म के पहले इस्लाम अपनी असली सूरत यानी किताबों के साथ पहुंच चुका था आज इस्लाम के वो सिपाही शिक्षा में झण्डा बुलंद किए हुए हैं ।

दूसरा रास्ता खुश्की के रास्ते इस्लाम दाखिल हुआ जहां राजे रजवाड़ों के दासों के साथ नाचते गाते इस्लाम की अच्छाई पेश की गई ।

चूंकि बपौती धर्मो को सीधा चैलेंज करने में जान का खतरा होता है, इसलिए मुस्लिम सूफियों ने गाने बजाने को तरजीह दिया, राज सेवकों ने जब विदेशी आदमी को गाते सुना तो चर्चा महलों तक पहुंची, और जब किसी की चर्चा महल में हो तो बस्ती के लोग भी चर्चा हिट कर देते हैं ।

सूफी ने कव्वाली गा कर लोगों को मंत्रमुग्ध किया, मुस्लिम के अच्छे चरित्र की वजह से सूफी मियां को चेले भी मिलते गए ,जो पहले ही भजन सुन कर झूमने के आदी थे अब उनको कव्वाली में मज़ा आने लगा, बस धड़ाधड़ सब लोग कलमा बोलना शुरू किए ।

और रोज़ कव्वाली सुन कर भाव विभोर होते रहे, फिर सूफी मरे तो उनकी जगह पर दफन करके एक स्मारक बनवा दिया गया सहयोग से ।
लुका राम और तुका राम नामी चेलों ने स्मारक को कब्जे में किया और भजन से भागे लोगों को कव्वाली सुनाने लगे, और वही परंपरा आज के डेट में बहुत बड़े कारोबार का रूप ले चुका है , मज़ार, बाज़ार, व्यापार, अर्थ, गीत संगीत और ताविज तबर्रुक का बहुत विशाल धंधा फल फूल गया ।

जिस रास्ते इस्लाम जिस रूप में दाखिल हुआ उसी रूप में विकसित होता गया ।
और आज सबूत है कि केरल इस्लाम की शिक्षा से कहां का कहां पहुंच चुका है लेकिन उत्तर प्रदेश राजस्थान और कश्मीर के लोग आज भी कव्वाली सुनने को ही इस्लाम की इबादत😁😭😁 मानते हैं ।

तो स्पष्ट हुआ की ख्वाजा के लाए इस्लाम और सहाबा के लाए इस्लाम में कितना बड़ा अंतर है ।

केरल के लोग शिक्षा में भारत का नाम ऊंचा किए है और यूपी बिहार राजस्थान को लोग बिना दिक्कत गोबड़पट्टी बोल देते हैं ।

कभी सोचना ज़रूर की भारत में ही अलग अलग राज्यों के मुसलमानों कि स्थिति का सबसे बड़ा और ज़ाहिर