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अमरीका और उसके घटक को उकसावे वाली कार्यवाही का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा : उत्तरी कोरिया

कोरिया प्रायद्वीप में बढ़ते तनाव के बीच उत्तरी कोरिया ने कहा है कि उकसावे वाली कार्यवाही का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

उत्तरी कोरिया की सेना के प्रवक्ता ने शनिवार को चेतावनी देते हुए कहा है कि क्षेत्र में अमरीका और उसके घटकों की किसी भी प्रकार की उकसावे वाली कार्यवाही को पियुंगयांग के मुंहतोड़ जवाब का सामना करना पड़ेगा।

हालांकि अमरीका और उसके घटक उत्तरी कोरिया के सैन्य कार्यक्रम को ख़तरनाक बताते रहे हैं किंतु वास्तविकता यह है कि पूर्वी एशिया में अपनी सैन्य उपस्थति को मज़बूत करते हुए अमरीका, दक्षिणी कोरिया और जापान को उत्तरी कोरिया के विरुद्ध हमले के लिए उकसा रहा है जबकि दूसरी ओर चीन, उत्तरी कोरिया को हथियारों की प्रतिस्पर्धा में आगे ला रहा है।

इसी के साथ क्षेत्र में जापान के युद्धक विमानों की उड़ानों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। इन सब बातों को देखते हुए उत्तरी कोरिया अपनी सीमा पर हवाई उड़ान के लिए बाध्य है। यह सारी बातें उत्तरी कोरिया के विरुद्ध क्षेत्र में शत्रुतापूर्ण कार्यवाही को दर्शाती हैं। उत्तरी कोरिया ने बचाव के लिए अपने मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को अधिक मज़बूत बनाने का काम तेज़ कर दिया है। इससे पता चलता है कि कोरिया प्रायद्वीप में अमरीका की सैन्य उपस्थति को उत्तरी कोरिया बहुत ही गंभीरता से ले रहा है। इस काम को वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा मानता है।

कोरिया प्रायद्वीप के तनावपूर्ण हालिया वातावरण के दृष्टिगत जापान द्वारा डराने वाला वातावरण पैदा किया जा रहा है जिसको उत्तरी कोरिया स्वीकार नहीं करेगा। हालांकि जापान का कहना है कि वह उत्तरी कोरिया के सैन्य कार्यक्रम से भयभीत है किंतु उसने भी क्षेत्र में शांति स्थापित करने के मार्ग में कोई क़दम नहीं उठाया है। अधिकांश जापानी भी यही चाहते हैं कि क्षेत्र को हर प्रकार के तनावपूर्ण वातावरण से दूर रखा जाए। यहां पर इस बिंदु की ओर ध्यान देखा ज़रूरी है कि अगर कोरिया प्रायद्वीप में किसी भी प्रकार की अशांति पैदा होती है तो उसका नुक़सान जापान और दक्षिणी कोरिया को भी निश्चित रूप में होगा।

कोरिया प्रायद्वीप के संकट का हल करने के उद्देश्य से की जाने वाली छह पक्षीय वार्ता को अमरीका द्वारा विफल बनाना यह दर्शाता है कि वाशिग्टन को कोरिया प्रायद्वीप के संकट को समाप्त कराने में कोई भी दिलचस्पी नहीं है बल्कि वह तो उत्तरी कोरिया का भय दिखाकर पूरे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोकना चाहता है। इस प्रकार से पूर्वी एशिया में अमरीका की सैन्य पकड़ मज़बूत हो जाएगी।

जैसाकि सबको पता है कि जापान और दक्षिणी कोरिया का व्यापार अधिकतर निर्यात पर आधारित है। एसे में उनको क्षेत्र में शांति की अधिक आवश्यकता है। अगर क्षेत्र में अशांति होगी तो इससे उनका निर्यात प्रभावित होगा जो इन देशों की अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक सिद्ध होगा। एसे में अगर किसी भी लाभ होगा तो वह होगा अमरीका और पश्चिम की हथियार बेचने वाली कंपनियों को जैसाकि यूक्रेन युद्ध में देखा जा रहा है।