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अमेरिका और रूस की ख़ुफ़िया एजेंसियो के प्रमुख तुर्की में मुलाक़ात हुई, क्या बात हुई जानिये!

अमेरिका और रूस की ख़ुफ़िया एजेंसियो के प्रमुख तुर्की में मुलाक़ात हुई है.

अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी यानी सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स और रूस की फ़ॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस (एसवीआर) के चीफ़ सर्गेई नारिश्किन ने अंकारा में यूक्रेन यद्ध के कारण पनपे परमाणु जंग के ख़तरे पर बात की है.

विलियम बर्न्स ने रूस में क़ैद अमेरिकी नागरिकों का विषय भी उठाया है. रूस ने कहा है कि आमने-सामने हुई ये असाधारण मुलाक़ात अमेरिकी पहल के कारण हुई है.

यूक्रेन पर रूसी चढ़ाई के बाद अमेरिका और रूस के बीच ये उच्चतम स्तर की वार्ताएं हैं.

अमेरिका ने कहा है कि सीआईए के चीफ़ विलियम बर्न्स युद्ध ख़त्म करने जैसे किसी विषय पर बातचीत के लिए नहीं गए थे.

उनका संदेश रूस की ओर से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के दुष्प्रभावों के बारे में था. व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि रूस को रणनीतिक स्थिरता के भंग होने के जोखिम के बारे में भी बताया गया है.

परमाणु युद्ध का ख़तरा
मौजूदा सीआईए चीफ़ साल 2005 से 2008 तक रूस में अमेरिकी राजदूत भी रहे हैं.

हाल के महीनों में अमेरिका ने रूस को यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर बार-बार चेतावनियां दी हैं. इसी बीच कई अवसरों पर रूस ने टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल की ओर संकेत दिए हैं.

सितंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिम पर रूस को तबाह करने की इच्छा रखने का आरोप लगया था. उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि वो रूस की रक्षा के लिए सभी उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल करने को तैयार हैं.

अमेरिका में इसे परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की अप्रत्यक्ष धमकी के तौर पर देखा गया था. अमेरिका ने कहा था कि वो इन धमकियों को काफ़ी गंभीरता से लेता है.

जासूसों की मुलाक़ात
विलियम बर्न्स और नारिश्किन के बीच मीटिंग की पुष्टि तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन के प्रवक्ता ने भी की है.

अर्दोआन हाल के हफ़्तों में रूस और पश्चिमी देशों के बीच शांति प्रयासों में एक अहम कड़ी बनते जा रहे हैं.

उधर अमेरिका ने अपने बयान में ज़ोर देकर कहा है कि सीआईए चीफ़ युद्ध के बारे में किसी तरह की बातचीत में हिस्सा नहीं ले रहे हैं.

उन्होंने कहा कि युद्ध के विषय में अमेरिकी नीति साफ़ है – यूक्रेन के बग़ैर यूक्रेन के बारे में कोई बात नहीं होगी.

अमेरिकी बयान में ये भी कहा गया है कि इस बैठक में रूस की जेलों में बंद अमेरिकी नागरिकों के बारे में भी बातचीत हुई है.

रूस ने अगस्त में अमेरिकी बास्केटबॉल स्टार ब्रिटनी ग्राइनर को स्मगलिंग और गांजा रखने के आरोप में नौ साल की सज़ा सुनाई थी. पिछले सप्ताह उन्हें एक जेल में डाल दिया गया था.

हालांकि, रूस में गांजा अवैध है. लेकिन रूस पर ग्राइनर को एक सियासी मोहरा बनाने का आरोप लगाया गया है.

इसी वर्ष जुलाई में अमेरिका ने क़ैदियों की अदला-बदली की पेशकश की थी ताकि ग्राइनर को अमेरिका वापस लाया जा सके. अमेरिका के पूर्व मरीन अधिकारी पॉल वेलान भी रूसी जेल में हैं और उन पर जासूसी का आरोप है.

बास्केटबॉल खिलाड़ी ग्राइनर के जेल में भेजे जाने के बाद व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव करीन ज्यां-पीयेर ने कहा था कि अमेरिका उन्हें आज़ाद करवाने के लिए प्रतिबद्ध है.

क्या करते हैं इंटेलिजेंस चीफ़
गुप्त ऑपरेशन्स के अलावा भी देशों के इंटेलिजेंस चीफ़ कई काम करते हैं. इनमें से एक प्रमुख काम पर्दे के पीछे दूसरे देशों के साथ कम्युनिकेशन करना होता है.

सीआईए चीफ़ विलियम बर्न्स ने रूस के साथ संवाद की दिशा में एक महत्वपूर्ण रोल अदा किया है.

रूस के यूक्रेन पर हमले के कई हफ़्ते पहले ही उन्हें वहां भेजा गया था ताकि वो युद्ध के ख़तरों और उसके परिणामों से रूस को अवगत करवा सकें.

लेकिन अंकारा में दोनों के बीच दरअसल क्या बात हुई, इसका सटीक जवाब नहीं है. सीआईए के प्रवक्ता का कहना है कि वे कभी भी अपने चीफ़ के अमेरिका से बाहर की इंगेजमेंट के बारे में बात नहीं करते.

लेकिन संकेत साफ़ हैं.

ये बैठक ऐसे वक़्त पर हो रही है जब रूस को यूक्रेनी शहर खेरसोन से बाहर निकलना पड़ रहा है. सवाल ये है कि रूस खेरसोन में मिली शिकस्त से कैसे निपटना चाहेगा.

वैसे रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी के प्रमुख नारिश्किन पुतिन के ख़ास अधिकारियों में शामिल नहीं हैं और न ही रूस में उनका उतना प्रभाव है जितना विलियम बर्न्स का अमेरिका में है.

उन्हें फ़रवरी में यूक्रेन पर हमले से ठीक पहले पुतिन ने एक सार्वजनिक मीटिंग में अपमानित किया था.

लेकिन अमेरिका को उम्मीद है कि आमने-सामने की बैठक के बाद सीआईए निदेशक रूस में युद्ध को लेकर चल रही सोच को भांप पाएंगे.

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गॉर्डन कोरेरा और ओलिवर स्लो
पदनाम,बीबीसी संवाददाता