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अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना भारत की ज़िम्मेदारी है, भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की ज़रूरत : गुटेरेश

संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने अपने दो दिवसीय भारत दौरे के दौरान कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना भारत की जिम्मेदारी है.

गुटरेश की यात्रा की शुरूआत मुंबई से हुई. उन्होंने मुंबई के होटल ताज पैलेस में 26/11 के आतंकी हमले के मृतकों को श्रद्धांजलि दी. मुंबई हमले में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों घायल हुए थे.

इस साल जनवरी में दूसरी बार कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है. इससे पहले उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अक्टूबर 2018 में भारत का दौरा किया था.

आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा, “मैं पीड़ितों को श्रद्धांजलि देता हूं, मैं उनके परिवारों, दोस्तों, भारतवासियों और दुनिया के अन्य हिस्सों के उन सभी लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने मुंबई हमले में अपनी जान गंवाई.”


United Nations in India
@UNinIndia

Terrorism is absolute evil.

And, terrorism has no room in today’s world.

Fighting terrorism must be a global priority for every country and fighting terrorism is a central priority for the @UN.

UNSG @antonioguterres pays tribute to victims of the 26/11 Mumbai terror attacks.

उन्होंने आगे कहा, “कोई भी कारण आतंकवाद को सही नहीं ठहरा सकता. आज की दुनिया में इसका कोई स्थान नहीं है. यहां इतिहास की सबसे बर्बरता वाली आतंकवादी घटनाओं में से एक घटी जिसमें 166 लोगों ने अपनी जान गंवाई.”

साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़ना हर देश के लिए वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिए और आतंकवाद से लड़ना संयुक्त राष्ट्र के लिए एक केंद्रीय प्राथमिकता है.

इसके बाद उन्होंने आईआईटी बॉम्बे के छात्रों को संबोधित करते हुए भारत को अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की सीख दी. उन्होंने छात्रों से बात करते हए कहा, “मानवाधिकार परिषद के एक निर्वाचित सदस्य के रूप में भारत पर वैश्विक मानवाधिकारों को आकार देने और अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों समेत सभी व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा और उसे बढ़ावा देने की जिम्मेदारी है.”

उन्होंने कहा, “मानवाधिकारों के सम्मान के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता दिखाकर ही विश्व में भारत की बात को स्वीकार्यता और विश्वसनीयता हासिल हो सकती है.”

2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ही आलोचकों का कहना है कि देश के अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और अभद्र भाषा में तेजी आई है. यही नहीं, सरकार के आलोचकों और पत्रकारों खास तौर पर महिला पत्रकारों के प्रति भी नफरत बढ़ी है. हाल के सालों में कई महिला पत्रकारों को बलात्कार की धमकी समेत ऑनलाइन हेट के मामलों का सामना करना पड़ा है.

गुटेरेश ने ब्रिटेन से आजादी के 75 साल बाद भारत की उपलब्धियों की प्रशंसा भी की. गुटेरेश ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा, “बहुलता का भारतीय मॉडल एक सरल लेकिन गहरी समझ पर आधारित है. विविधता एक ऐसी खूबी है जो आपके देश को मजबूत बनाती है. यह समझ रखना हर भारतीय का जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है. इसे हर दिन बेहतर और मजबूत बनाना चाहिए.”

उन्होंने पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों और शिक्षाविदों के अधिकारों और उनकी आजादी की रक्षा करने और भारत की न्यायपालिका की निरंतर स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की जरूरत पर भी जोर दिया.

भारत यात्रा के दौरान गुटेरेश की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी होगी. इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर गुटेरेश के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे.