विशेष

अहंकार और दंभ मनुष्यों को अज्ञानता और असफ़लता, विनाश की ओर ले जाता है!

सुलैमान के नीतिवचनों से बुद्धि
==============
नीतिवचन 4:10
मेरे बेटे, सुन और मेरी कहावतों को ग्रहण कर; और तेरे जीवन के वर्ष बहुत-से होंगे।

क्या आप लंबी उम्र जीना चाहते हैं? कई लोग लम्बा जीवन जीने की चिन्ता से ग्रस्त हैं, जैसा कि उनके द्वारा विटामिनों, दवाईयों, सर्जरी, आहार और व्यायाम की योजनाओं पर किए जानेवाले धन और समय के बड़े खर्च से पता चलता है। यह नीतिवचन हमारे सामने एक लंबा जीवन जीने का मार्ग रखता है, लेकिन बहुत कम लोग इसमें रुचि लेंगे, क्योंकि इसके लिए विनम्रता और आज्ञाकारिता की आवश्यकता होती है। अधिकांश लोग जिमखानों और मेहेंगे आहारों पर रूपया लुटाना अधिक पसंद करेंगे और पाप और जीवन के घमण्ड में बने रहेंगे।

दाऊद ने सुलैमान को बुद्धि की लालसा करना और उसे महत्व देना सिखाया (नीतिवचन 4:3-9), और सुलैमान ने अपने बेटे को भी यही सिखाया (नीतिवचन 4:1-2)। दो पीढ़ियों के ज़ोर दिए जाने के माध्यम से – एक असाधारण पिता और दादा – बुद्धि के महत्व को स्पष्ट किया गया। उसके बाद, सुलैमान अपने बेटे से अनुरोध करता है कि वह उस पिता की सलाह को सुने और ग्रहण करे जो उसे स्वयं एक जीवन जीने के लिए सिखाई गई थी।

सुलैमान ने कहा, “मेरे बेटे, सुन।” मनुष्यों को सलाह सुनना अच्छा नहीं लगता, क्योंकि उनकी अपनी भावनाएं, विचार, कल्पनाएँ, राय, प्राथमिकताएं और लक्ष्य उनके मूर्ख दिमागों से जोर से दौड़ते हैं। अन्य लोग घमंड का पीछा करने में बहुत व्यस्त हैं और उनके पास सुनने का समय नहीं है। कुछ ही लोगों के पास सुनने के लिए समय देने की बुद्धि होती है, और जिन्हें परमेश्वर ने शिक्षकों के रूप में नियुक्त किया और भेजा है उनसे से ज्ञान की बातें सीखने के लिए वे अपनी अज्ञानतापूर्ण सोच को त्याग देते हैं (नीतिवचन 18:1-2)।

सुलैमान ने कहा, “मेरी कहावतों को ग्रहण कर।” मनुष्य ताड़ना सुनने, शिक्षा पाने, और डांट से चिढ़ते हैं, क्योंकि उनका घमण्ड यह नहीं मानता कि वे गलत हैं। अहंकार और दंभ का बंधन अधिकांश मनुष्यों को अज्ञानता और असफलता के जीवन के विनाश की ओर ले जाता है (नीतिवचन 26:12,16)। वे सीख नहीं सकते, क्योंकि वे दूसरे को अपने से अधिक बुद्धिमान मानने के लिए उनके अपने विचारों का त्याग नहीं करेंगे। कुछ ही लोगों में अपनी अज्ञानता को स्वीकार करने और दूसरों से सीखने की बुद्धि होती है (1 राजा 3:7; भज 131:1-3; यिर्म 1:6; मत्ती 18:3-4)।

परमेश्वर, माता-पिता और पास्टर ज्ञान सिखाते हैं। परमेश्वर ने बाइबल लिखी, 66 पुस्तकों का एक दिव्य पुस्तकालय जो विभिन्न साहित्यिक रूपों में बुद्धि और ज्ञान से भरा है। परमेश्वर बच्चों को माता-पिता देता है ताकि वे इस दुनिया में आते ही उन्हें जीवन के संकटों से बचने में मदद करे। और यीशु मसीह ने सच्चे पास्टरों को ठहराया ताकि वह उनके द्वारा अपने लोगों को ज्ञान और समझ देकर उनका पालन-पोषण करे (यिर्म 3:15)। यह आपका कर्तव्य है कि आप स्वयं को दीन करें और इन नियुक्त शिक्षकों के सामने थरथराएं (यशा 66:2; इफिसियों 6:1-3; 1 थिस्स 5:20)।

बुद्धि को सीखना आपके जीवन को बढ़ाएगा, और इससे आपके जीवन की उन्नति होगी। बुद्धि और ज्ञान में सुरक्षा है जो आपको जीवन के खतरों और परमेश्वर और मनुष्यों के न्याय से बचाएँगे (नीतिवचन 2:18; 3:2,16; 5:5; 7:27; 8:36; 9:11,18; 10: 2; 11:4,19; 12:28; 13:14; 14:12,27; 16:14,25; 18:21; 21:6)। और बुद्धि में ऐसा प्रतिफल है जो महिमा और आदर लाता है (नीतिवचन 3:16; 4:8-9; 22:4)। क्या आप अपने शिक्षकों की बातें सुनने और ग्रहण करने के मूल्य की पूरी तरह से सराहना करते हैं?

बुद्धि स्वाभाविक रूप से आपके जीवन का विस्तार करेगी, विशेष रूप से नीतिवचन की इस पुस्तक की बातें। यहां दुर्घटनाओं, व्यभिचार, क्रोध, कटुता, टूटे हुए दिल, मृत्युदंड, अपराध, अवसाद, बीमारी, तलाक, नशे, ईर्ष्या, भय, लोलुपता, शोक, अपराधबोध, घृणा, वैवाहिक दुष्क्रियता, हत्या, एड्स, तनाव, संघर्ष, हिंसा के जीवन-घटाने वाले परिणामों के खिलाफ चेतावनियाँ दी गई है। अकाल मृत्यु के इन पापमय कारणों पर विचार करना ही बुद्धिमानी है।
यदि आपको नहीं लगता कि उपरोक्त बातें भौतिक जीवन को छोटा करती हैं, तो आपको फिर से सोचने की आवश्यकता है। कुछ आपको सीधे मार डालेंगे; कुछ आपको अप्रत्यक्ष रूप से मार देंगे। ऐसा जीवन जीने की शुरूवात करने वालों में उत्पन्न होनेवाली मनोदैहिक बीमारियों की विशाल शक्ति पर विचार करें – मानसिक या आध्यात्मिक समस्याओं के कारण शारीरिक व्याधियां (नीतिवचन 15:13; 17:22; 18:14)। आधुनिक चिकित्सा इस बात की पुष्टि करती है कि अपने वैवाहिक जीवन में एक-पत्नीक पुरुष जो केवल अपनी पत्नी से संतुष्ट और खुश रहता है, वह वेश्यागमन करनेवाले किसी भी अन्य पुरुष के मुक़ाबले अधिक जीवित रहेगा।

बुद्धि आपके लिए परमेश्वर की आशीषों को प्राप्त करके और उसके न्याय और ताड़ना से आपको बचा के आपके जीवन को अलौकिक रूप से बढ़ाएगी। जीवित परमेश्वर दुष्टों के प्राणों को नाश करेगा (भजन 55:23; सभोपदेशक 7:17), परन्तु वह धर्मियों के प्राणों की उन्नति करेगा (नीतिवचन 10:27; भजन 34:11-16; 91:14-16; 128:6; 1 तीमु 4:8; 1 पतरस 3:8-12)। माता-पिता की आज्ञा मानने पर मिलनेवाले लंबे जीवन के प्रतिफल को स्मरण रखें (इफिसियों 6:1-3)। जब परमेश्वर अपने वचन और शिक्षकों के प्रति आपकी आज्ञाकारिता के द्वारा आपके पक्ष में होता है, तो आपने अपने भविष्य के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए किसी भी व्यायाम या आहार कार्यक्रम से अधिक कुछ बड़ा कर लिया है।

जगत के निवासियों के अल्प जीवनों (उत्पत्ति 7:21-24), सदोम के अच्छे नागरिकों (उत्पत्ति 19:24-25), एर और ओनान (उत्पत्ति 38:7-10), एली के पुत्रों (1 शमूएल 2:25) , नाबाल (1 शमूएल 25:38), हनन्याह और सफीरा (प्रेरितों के काम 5:1-11), हेरोदेस (प्रेरितों के काम 12:23), और कुरिन्थुस की कलीसियाँ के कई सदस्यों (1 कुरिन्थियों 11:30) पर विचार करें। यह कोई हँसी की बात नहीं है, क्योंकि आप इसे पूरे पुराने नियम में देखते हैं, और आप इसे नए नियम के कलीसिया के सदस्यों के बीच भी देखते हैं।

सुलैमान ने अन्यत्र लिखा, “अत्यन्त दुष्‍ट भी न बन, और न मूर्ख हो; तू क्यों अपने समय से पहले मरे?” (सभोपदेशक 7:17।) यह एक ज्ञात तथ्य है कि कठिन जीवन – एक पापमय जीवन शैली – जीवन की अपेक्षित लम्बाई को कम करता है। आप अपने जीवन में शिक्षकों से सिखाई जाने वाली बातों का क्या करेंगे? क्या आप उन्हें सुनेंगे और ग्रहण करेंगे और जीवित रहेंगे? या उन्हें ठुकराकर मर जाएंगे?

हे पुत्र, क्या तू अपके पिता की बातें सुनता और उन्हें ग्रहण करता है? क्या तू ख़ुशी-ख़ुशी अपने पिता की सुनता है और उसकी ताड़ना, हिदायत और चेतावनियों की क़द्र करता है? या क्या तू अपने महान अनुभव और ज्ञान की उपेक्षा करने के लिए उससे नाराज हैं? क्या तू इसलिए उसकी उपेक्षा करता है क्योंकि वह तेरी मूर्ख और व्यर्थ की दुनिया के संपर्क से बाहर है? अपने को दीन कर, अन्यथा तू जवानी में ही मर जाएगा (इफिसियों 6:1-3)।
पिता, क्या आप अपने बेटे को बुद्धिमानी की बातें नियमित रूप से सिखाते हैं? या क्या आप बस चोकलेट घर लाते हैं, टेलीविजन के सामने बैठकर समय गुज़ार देते हैं, और एक आलूचिप्स का जीवन जीते हैं। तुम्हें उसे परमेश्वर की बुद्धि सिखानी होगी (भजन 34:11; इफि 6:4; योएल 1:3)। आज से ही यह करो, नहीं तो तुम उसके जीवन के कई वर्ष बर्बाद कर दोंगे। यदि आप उसे बुद्धिमान होने की शिक्षा नहीं देने जा रहे हैं, तो आपने उसे पैदा ही क्यों किया?
स्वर्ग के परमेश्वर ने अपने वचन के द्वारा बातें कीं है। क्या आप उसकी बातें सुनकर उन्हें ग्रहण करेंगे? उसने अपने लोगों को उस शब्द से खिलाने के लिए पादरी भेजे हैं। क्या तुम उनके वचन सुनोगे और ग्रहण करोगे? प्राकृतिक और अलौकिक आशीषें आपके चुनाव पर निर्भर करती हैं। आपका चुनाव क्या होगा? क्या आप एक लंबा और भरपूर जीवन जिएंगे? या आप एक दुर्भाग्यपूर्ण जीवन जीने के बाद अपने समय से पहले ही मृत्यु से नाश कर दिए जाओगे