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आंतरिक और विदेशी स्तर रजब तैयब अर्दोग़ान को बढ़ती समस्याओं का सामना : रिपोर्ट

आंतरिक और विदेशी स्तर पर रजब तैयब अर्दोग़ान की सरकार में ग़लत नीतियों को अपनाने की वजह से अंकारा के अधिकारियों को एक ही साथ विभिन्न क्षेत्रों में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

इस बारे में एक साथ कई आंतरिक और विदेशी समाचारों का उल्लेख किया जा सकता है। वास्तव में जिस स्थिति में अंकारा के अधिकारी, विशेष रूप से राष्ट्रपति, तुर्क जनता से निरर्थक वादे करते हैं, देश का आर्थिक संकट और भी तेज़ होता जा रहा है।

मिसाल के तौर पर, तुर्किए के राष्ट्रपति ने तीन दिन पहले जनता से वादा किया था कि वह कम समय में देश के आर्थिक संकट को हल कर लेंगे जबकि तुर्की में मुद्रास्फीति की दर पिछले सितम्बर के महीने में दो प्रतिशत से अधिक बढ़कर 83.4 प्रतिशत तक पहुंच गयी। इस राशि को दो दशकों से अधिक समय में तुर्किए में मुद्रास्फीति की उच्चतम दर माना जा रहा है।

कोविड-19 महामारी के बीच पर्यटन उद्योग पर तुर्किए की अर्थव्यवस्था की निर्भरता ने अंकारा सरकार के राजस्व में भारी कमी कर दी है। इसीलिए अर्दोग़ान की सरकार ने राजस्व में कमी के कारण होने वाले बजट घाटे की भरपाई के लिए असंबद्ध धन जारी किए हैं।

यह कार्रवाई राष्ट्रीय मुद्रा के मूल्य में कमी और तुर्किए में मुद्रास्फीति दर में वृद्धि की वजह बन गयी और साथ ही बैंक ब्याज दर में कमी के कारण भी मुद्रास्फीति दर में वृद्धि हो गयी।

इस संदर्भ में, सेंट्रल बैंक ने एक रिपोर्ट में घोषणा की कि तुर्किए की राष्ट्रीय मुद्रा ने जिसने इस साल की शुरुआत से अब तक अपनी आधी से ज़्यादा क़ीमत गंवा दी, पिछले सोमवार को 18.56 प्रतिशत प्रति डॉलर की क़ीमत के हिसाब से कारोबार किया ।

आर्थिक संकट के बढ़ने और सरकार की आय में कमी के कारण अंकारा के अधिकारियों ने घोषणा की है कि उन्होंने रूस से अगले 2 वर्षों के लिए इस देश को गैस ऋण का भुगतान स्थगित करने का अनुरोध किया है जबकि रूसी सरकार अभी तक इस अनुरोध पर सहमत नहीं हुई है।

गैस ऋण के भुगतान को स्थगित करने का अनुरोध एसी हालत में है कि इससे पहले रूस के राष्ट्रपति ने अपने तुर्क समकक्ष के अनुरोध का विरोध किया था।

आर्थिक संकट, मंहगाई और ख़र्चों में वृद्धि ने तुर्किए की 8 करोड़ 50 लाख की आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को प्रभावित किया है।

अंकारा सरकार की आंतरिक समस्याओं, आर्थिक और वित्तीय संकट के अलावा, अर्दोग़ान सरकार द्वारा ढुलमुल विदेश नीति को अपनाए जाने की वजह से यह देश एक दशक के बाद अपने पिछले दौर की ओर लौट गया है।

इसी के साथ यह संभावना भी नहीं है कि अर्दोग़ान सरकार तुर्किए के कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) के साथ टकराव को दरकिनार कर देगी और आगामी चुनावों के एजेन्डों पर अपने पर ध्यान केंद्रित करेगी। विदेश नीति में, सीरिया, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात और नस्लभेदी ज़ायोनी शासन के साथ बातचीत के अलावा, तुर्किए को साइप्रस द्वीप को सैन्य सहायता की सहित अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

तुर्किए राष्ट्रपति ने जिन्होंने पहले ग्रीस और साइप्रस द्वीप को सैन्य हमले की धमकी दी थी, अब शांति वार्ता को फिर से शुरू करने की मांग करते हुए दूसरे पक्ष को मैत्रीपूर्ण संदेश भेजे हैं।