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आख़िर कौन है जो बहुसंख्यक भील समाज को अल्पसंख्यक बनाने का खुला खेल खेल रहा है : राजस्थान से धर्मेन्द्र सोनी की रिपोर्ट

 

कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा राजस्थान रिपोर्टर धर्मेन्द्र सोनी

* आखीर कौन है जो बहुसंख्यक भील समाज को अल्पसंख्यक बनाने का खुला खेल खेल रहा है! कुशलगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में क्यों धर्मांतरण जारी है, राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़, विधानसभा क्षेत्र के भोले भाले बहुसंख्यक आदीवासी समाज में इन दिनों धर्मांतरण का कुचक्र खेल धीरे धीरे परवान चढ़ रहा है,आए दिन ग्रामीण क्षेत्रों में धर्मांतरण अपने पेर पसार रहा है इसी कुचक्र की भनक पर कुशलगढ़ के

*हिंदू युवा जनजाति संगठन ने दिया प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा जीस में

संविधान के अनुच्छेद 25 की गलत व्याख्या और राजनीतिक व शासकीय मशीनरी के प्रश्रय में ठेठ दक्षिण राजस्थान की जनजाति गांव में आज भी सक्रिय हैं। मूल जनजाति संस्कृति संहारक यह औपनिवेशिक अंश ग्रुप अर्थात धर्मांतरण कराने वाले कहे जाते हैं।

ताजा घटना कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा से जानकारी में आई है। जानकारी के अनुसार ग्रामीणों की बीमारी तक ठीक जैसे ए वैज्ञानिक और अंधविश्वास के नाम पर यह कथित सत्संग आयोजित किया है। बता दें कि हिंदू जनजाति समाज को विदेशी धर्मसत्ता अल्पसंख्यक प्रणाली यानि ईसाई मत में भोले भाले लोगों को भटकाने के उद्देश्य से 13 फरवरी से 15 फरवरी 2023 को ग्राम हाथियादिल्ली, पंचायत बघायचा तहसील कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा में तीन दिवसीय षडयंत्र पूर्वक यह कन्वेंशन रखा है। रणनीतिक तौर पर आंखों में धूल झोंकने के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर आयोजित इस कन्वेंशन के वक्ता अहमदाबाद के पादरी रवि कुंडा और मुख्य वक्ता डॉ हॉलिन डेविड बताए जा रहे हैं, जबकि इसका प्रबंधन धर्मांतरित व्यक्ति दिलीप मईडा़ द्वारा संभाले जाने की जानकारी प्राप्त हुई है।

हमको याद ही है कि विदेशी धर्म सत्ता और राजसत्ता के विरुद्ध जनजातियों ने मानगढ़ का आंदोलन कर स्वाधीनता के लिए बहुत कुर्बानियां दी है परंतु स्वतंत्र भारत में भी छद्म रूप में ये लोग अभी भी अभी एवं प्रलोभन देकर जनजातियों में धर्मांतरण के जरिए हमारी स्वाधीनता को हानि पहुंचा रहे हैं।

देश के बहुसंख्यक समाज के अभिन्न अंग जनजातियों की संस्कृति को नाश करने वाला यह औपनिवेशिक तंत्र कैसे लगातार सक्रिय है इसका एक नमूना कुशलगढ़ में देखा जा सकता है। क्षेत्र में लगातार सक्रिय यह तंत्र इस प्रकार का सातवां आयोजन कर रहा है जैसा कि पेंपलेट दर्शा रहा है।
इस क्षेत्र में राजनीतिक प्रश्रय की भी जानकारी एक ग्रामीण ने दी है, जो कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ है। उनके अनुसार विगत 4 वर्षों में स्थानीय जनजातियों को बहुत अधिक सामाजिक, सांस्कृतिक, एकात्मकता से और नैतिकता से हानि हुई है। क्षेत्र के गांव-गांव में चर्च बनाने का क्रम चल पड़ा है,। पहले यह पारितंत्र सीमित था और इतना सक्रिय भी नहीं था, परंतु विगत तीन-चार वर्षों में जैसे खुली छूट यहां इनको मिली हुई है। कोई स्थानीय भाई कह रहा है तो इसका निश्चित रूप से एक मायना है अनुभूति है और तथ्यात्मक जानकारी भी है। यह दर्द और पीड़ा यदि संपूर्ण समाज उठाने लग जाए तो विदेशी धर्म सत्ता का यह गैर कानूनी तरीके से धर्मांतरण का खेल रुक सकता है। वैसे संवैधानिक और कानूनी दृष्टि से देखा जाए तो यह खेल जनजाति समाज को और उसके कुछ सदस्यों को अल्पसंख्यकों में सम्मिलित करने की प्रक्रिया है जो समाज का विखंडन एवं एकता भंग होना ही है।

क्षेत्र के जागरूक युवाओं ने हिंदू युवा जनजाति संगठन के बैनर तले प्रशासन को ज्ञापन देकर इस कन्वेंशन को तत्काल रोकने की मांग की है।
ज्ञापन
अवैध तरीके से धर्मान्तरण के मामले को लेकर हिंदु युवा जनजाति संगठन ने दिया तहसीलदार को ज्ञापन, पंचायत बगायचा के हथियादिल्ली में ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित किया जा रहा तीन दिवसीय शिविर जिसमें भोले भाले आदिवासी जनजाति समाज को गुमराह कर बीमारी के नाम पर अवैध धर्मांतरण कराया जाता है, जिसकी भनक हिंदु युवा जनजाति संगठन बांसवाड़ा को मिलने पर प्रशासन को अवगत कराया और अवैध रूप से होने वाले शिविर को बंद किया जावे, अन्यथा हिंदु युवा जनजाति संगठन द्वारा आंदोलन किया जाएगा, इस मौके पर संगठन के जिलाध्यक्ष कमलेश डामोर, उपाध्यक्ष नारूलाल राणा, उदयसिंह राणा, रणवीर अमलियार, राजेश्वर पारगी , प्रीतेश डामोर, पारसिंह राणा, दीपक, डूंगरसिंह, दिनेश राणा, विदित गहलोत, सुभाष सोलंकी, हेमंत पडियार, और संगठन के कार्यकर्ता मौजुद रहे।

अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन पर राजनीतिक दबाव कितना रहता है और समाज सक्रिय होकर इन औपनिवेशिक तंत्र के चलो को कैसे भगाता है??बहुसंख्यक भील समाज को अल्पसंख्यक बनाने का खुला खेल-धर्मांतरण जारी है, कुशलगढ़, बांसवाड़ा

हिंदू युवा जनजाति संगठन ने दिया प्रशासन को ज्ञापन।

संविधान के अनुच्छेद 25 की गलत व्याख्या और राजनीतिक व शासकीय मशीनरी के प्रश्रय में ठेठ दक्षिण राजस्थान की जनजाति गांव में आज भी सक्रिय हैं। मूल जनजाति संस्कृति संहारक यह औपनिवेशिक अंश ग्रुप अर्थात धर्मांतरण कराने वाले कहे जाते हैं।
ताजा घटना कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा से जानकारी में आई है। जानकारी के अनुसार ग्रामीणों की बीमारी तक ठीक जैसे ए वैज्ञानिक और अंधविश्वास के नाम पर यह कथित सत्संग आयोजित किया है। बता दें कि हिंदू जनजाति समाज को विदेशी धर्मसत्ता अल्पसंख्यक प्रणाली यानि ईसाई मत में भोले भाले लोगों को भटकाने के उद्देश्य से 13 फरवरी से 15 फरवरी 2023 को ग्राम हाथियादिल्ली, पंचायत बघायचा तहसील कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा में तीन दिवसीय षडयंत्र पूर्वक यह कन्वेंशन रखा है। रणनीतिक तौर पर आंखों में धूल झोंकने के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर आयोजित इस कन्वेंशन के वक्ता अहमदाबाद के पादरी रवि कुंडा और मुख्य वक्ता डॉ हॉलिन डेविड बताए जा रहे हैं, जबकि इसका प्रबंधन धर्मांतरित व्यक्ति दिलीप मईडा़ द्वारा संभाले जाने की जानकारी प्राप्त हुई है।

हमको याद ही है कि विदेशी धर्म सत्ता और राजसत्ता के विरुद्ध जनजातियों ने मानगढ़ का आंदोलन कर स्वाधीनता के लिए बहुत कुर्बानियां दी है परंतु स्वतंत्र भारत में भी छद्म रूप में ये लोग अभी भी अभी एवं प्रलोभन देकर जनजातियों में धर्मांतरण के जरिए हमारी स्वाधीनता को हानि पहुंचा रहे हैं।

देश के बहुसंख्यक समाज के अभिन्न अंग जनजातियों की संस्कृति को नाश करने वाला यह औपनिवेशिक तंत्र कैसे लगातार सक्रिय है इसका एक नमूना कुशलगढ़ में देखा जा सकता है। क्षेत्र में लगातार सक्रिय यह तंत्र इस प्रकार का सातवां आयोजन कर रहा है जैसा कि पेंपलेट दर्शा रहा है।
इस क्षेत्र में राजनीतिक प्रश्रय की भी जानकारी एक जागरूक ग्रामीण ने दी है, उनके अनुसार विगत 4 वर्षों में स्थानीय जनजातियों को बहुत अधिक सामाजिक, सांस्कृतिक, एकात्मकता से और नैतिकता से हानि हुई है। क्षेत्र के गांव-गांव में चर्च बनाने का क्रम चल पड़ा है,। पहले यह पारितंत्र सीमित था और इतना सक्रिय भी नहीं था, परंतु विगत तीन-चार वर्षों में जैसे खुली छूट यहां इनको मिली हुई है। कोई स्थानीय भाई कह रहा है तो इसका निश्चित रूप से एक मायना है अनुभूति है और तथ्यात्मक जानकारी भी है। यह दर्द और पीड़ा यदि संपूर्ण समाज उठाने लग जाए तो विदेशी धर्म सत्ता का यह गैर कानूनी तरीके से धर्मांतरण का खेल रुक सकता है। वैसे संवैधानिक और कानूनी दृष्टि से देखा जाए तो यह खेल जनजाति समाज को और उसके कुछ सदस्यों को अल्पसंख्यकों में सम्मिलित करने की प्रक्रिया है जो समाज का विखंडन एवं एकता भंग होना ही है।

क्षेत्र के जागरूक युवाओं ने हिंदू युवा जनजाति संगठन के बैनर तले प्रशासन को ज्ञापन देकर इस कन्वेंशन को तत्काल रोकने की मांग की है।
ज्ञापन
अवैध तरीके से धर्मान्तरण के मामले को लेकर हिंदु युवा जनजाति संगठन ने दिया तहसीलदार को ज्ञापन, पंचायत बगायचा के हथियादिल्ली में ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित किया जा रहा तीन दिवसीय शिविर जिसमें भोले भाले आदिवासी जनजाति समाज को गुमराह कर बीमारी के नाम पर अवैध धर्मांतरण कराया जाता है, जिसकी भनक हिंदु युवा जनजाति संगठन बांसवाड़ा को मिलने पर प्रशासन को अवगत कराया और अवैध रूप से होने वाले शिविर को बंद किया जावे, अन्यथा हिंदु युवा जनजाति संगठन द्वारा आंदोलन किया जाएगा, इस मौके पर संगठन के जिलाध्यक्ष कमलेश डामोर, उपाध्यक्ष नारूलाल राणा, उदयसिंह राणा, रणवीर अमलियार, राजेश्वर पारगी , प्रीतेश डामोर, पारसिंह राणा, दीपक, डूंगरसिंह, दिनेश राणा, विदित गहलोत, सुभाष सोलंकी, हेमंत पडियार, और संगठन के कार्यकर्ता मौजुद रहे।

अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन पर राजनीतिक दबाव कितना रहता है और समाज सक्रिय होकर इन औपनिवेशिक तंत्र के चलो को कैसे भगाता है??