साहित्य

आज जो सितारा चाँद के क़रीब आकर उसकी खूबसूरत बढ़ा रहा कल कहीं लापता हो जाए…

पन्ने मन के
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फिर तेरी याद चली आई……
सुनो ! आज मन है कुछ कहने का तुम सुनोगे न मेरा मन..?
बिल्कुल! कौन सा तूफ़ा लिए बैठी हो आज इन मंदिर की सीढ़ियों पर…कहो क्या कहना है ?( उत्सुकता से)
बस यूँ ही !कुछ बेतुके से सवाल ,इस चाँद और सितारे को देखकर।
अच्छा जी!
जी!
देखो न, आज आसमां कितना साफ है जैसे इनके मिलने की तलब इनसे ज्यादा आसमां को थी।
बिल्कुल! होनी भी चाहिए.. जैसे हमारे मिलन की बेताबी नदी से ऊपर आती हुई इस चौथे सीढ़ी को होती है.. है न।
हम्म!
अरे! इतना ठंडा जबाब.. चलो छोड़ो इन चाँद तारों को अपनी कहो…मन में क्या चल रहा तुम्हारे..?
सच बताओगे न.. अगर मैं कुछ तुम्हारे मन के विरुद्ध पूछना चाहूँ..?
वादा रहा…. “पूरा सच।”
मुझसे पहले भी मिली होगी कोई तुम्हें..?दौर शिकवे शिकायतों के तब भी चले होंगे..क्या तब बिना झगड़े के अलग हुए थे या आरोप पत्यारोप का दौर चला था खूब..?
“ यार तुम हमेशा जख्मों को कुरेदने की बातें क्यों करती हो ?जानती हो न कुछ रास्ते कई बार गलत मोड़ ले लेते है उनको सही समय पर ठीक न किया जाए तो भटकाव के अलावा कुछ नहीं मिलता जिंदगी में..बस। “
हम कभी नहीं अलग होंगे..तुम मंज़िल हो मेरी।
(कसकर गले लगाते हुए )
“ मन की बातें है सुन लो…. कुछ भी मुकम्मल नहीं होता लकीरों में क्या लिखा यह कोई नहीं जान सकता…क्या पता कल हम भी जुदा हो जाए हमारे हिस्से की जमीं छीन जाए, आसमां बदल जाए… आज जो सितारा चाँद के करीब आकर उसकी खूबसूरत बढ़ा रहा कल कहीं लापता हो जाए… और बरसों बाद साथ आ जाए..
क्या हम एक बार बिछड़ कर फिर कभी साथ आ पाएंगे…?
(हथेलियों को चूमते हुए कन्धे को बाँहों का सहारा देते हुए)
“ मुझे नहीं सुननी यार ..!ये बिछड़ने की बातें ।
तुमसे जुदा होने के ख़्याल से ही दिल में दर्द होने लगता है ।और तुम …तुम ऐसी बातें सोचती ही क्यों हो ..? तुम्हें पता है
मेरे बाबा कहते थे जब इन ग्रहों का मिलना हो तो मुँह से निकली हर बात सच हो जाती है… उस समय मन में बुरे ख्याल नहीं आने चाहिए… ऐसी बातें न कहो प्रिय! मेरा दिल डरता है तुम्हें खोने से।
अच्छा बाबा! नहीं कहती ऐसी बातें…
देखो संध्या आरती का वक़्त हो गया…चलो मंदिर के भीतर चले। पुजारी काका हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे, माता की आरती तुम्हें ही करनी है न ।
पहले वादा करो..?
क्या..?
मुझसे अलग होने के ख्याल फिर कभी नहीं आयेंगे तुम्हारे जहन में.. बोलो..?
किस्मत का पता नहीं कब कौन का पन्ना पलट ले।
कुछ कहा तुमने..!
हाँ !बहुत सारा प्यार तुम्हें.. और माता रानी क्षमा करें।
बुद्दू कहीं की कुछ भी सोचती रहती हो..!
……..
क्या तुमने भुला दिया मुझे…?
संजोग देखो! बरसों बाद आज फिर…नवरात्रा के तीसरे दिन आसमां साफ चाँद और सितारे बिल्कुल पास… नहीं है कुछ अगर तो बस जमीं पर तुम मेरे साथ।
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Priya Sharma